आर्थिक मंदी के मारे ये विदेशी पर्यटक बेचारे

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– जगजीत शर्मा –

financial crisis,jagdhish sharmaडेढ़-दो साल पहले तक हर टीवी चैनल, हर अखबार और पत्र-पत्रिकाओं में ‘अतिथि देवो भवÓ  स्लोगन लिखे विज्ञापन आते थे जिनमें यह बताने की कोशिश की जाती थी कि भारत घूमने आने वाला पर्यटक हमारा अतिथि है, इसके मान-सम्मान और सामान की सुरक्षा करना हमारा नैतिक दायित्व है। सरकार बदली, तो मीडिया से विज्ञापन नदारद हो गया। वैसे देश में अतिथि को देव मानने की बहुत पुरानी और समृद्ध परंपरा रही है। घरों में आने वाले अतिथि के सेवा-सत्कार में किसी भी तरह की कमी न रह जाए, इसकी कोशिश हर परिवार करता था। कमोबेश यह भावना आज भी लोगों के दिलोदिमाग में कायम है, लेकिन अतिथि हैं कि आने को तैयार ही नहीं हैं।

पिछले कुछ सालों से विदेशी पर्टयक यानी हमारे अतिथि भारत आने को तैयार ही नहीं हैं। पिछले तीन सालों में विदेशी पर्यटकों के आने में काफी कमी आई है। विदेशी पर्यटक लगातार घटते जा रहे हैं। पर्यटकों की कमी का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। भारत के लिए पर्यटन उद्योग एक बड़ा उद्योग है। सकल घरेलू उत्पाद में इस उद्योग का हिस्सा 6.5 फीसदी है। इसी उद्योग की बदौलत देश के लगभग चार करोड़ लोगों को सीधे रोजगार मिला हुआ है। इससे कहीं ज्यादा लोग अपरोक्ष रूप से पर्टयन उद्योग से जुड़े हुए हैं। इनकी रोजी-रोटी का आधार विदेश से आने वाले पर्यटक ही हैं। जिस वर्ष देश में पर्यटकों की संख्या बढ़ जाती है, तो इनके घर में दोनों समय चूल्हा जल जाता है।
पिछले तीन सालों के ही आंकड़े पर अगर गौर करें, तो पिछले साल के मुताबले में इस वर्ष एक लाख से कहीं ज्यादा पर्यटक कम आए हैं। वर्ष 2014 में पिछले वर्ष यानी 2013 के मुकाबले दस फीसदी पर्यटक ज्यादा आए थे। उम्मीद व्यक्त की जा रही थी कि इस बार भी विदेशी पर्यटकों की संख्या में 25 फीसदी का इजाफा होगा, लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत। वैसे भारत सरकार के साथ-साथ जिन राज्यों में विदेशी पर्यटकों की रुचि के लायक पर्यटन स्थल हैं, उन राज्यों ने भी कोई कम प्रयास नहीं किए हैं, लेकिन फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिली है।

सरकारी आंकड़ा कहता है कि पिछले साल के 7.68 लाख पर्यटकों के मुकाबले इस साल अक्टूबर तक 6.58 लाख पर्यटक भारत में आए हैं। अक्टूबर 2015 तक भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में सबसे ज्यादा हिस्सा 15.22 प्रतिशत बांग्लादेशी पर्यटकों का रहा है। 15 देशों से भारत आने वाले कुल पर्यटकों के मामले में 12.99 प्रतिशत के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर रहा है। इस वर्ष भारत आने वाले कुल विदेशी पर्यटकों में ब्रिटेन का 11.31 प्रतिशत, श्रीलंका का 3.69 प्रतिशत, जर्मनी का 3.62 प्रतिशत, कनाडा का 3.58 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया का 3.37 प्रतिशत, मलेशिया का 3.03 प्रतिशत, फ्रांस का 3.01 प्रतिशत, नेपाल का 2.67 प्रतिशत, चीन का 2.55 प्रतिशत, जापान का 2.42 प्रतिशत, रूस का 2.03 प्रतिशत, सिंगापुर का 1.65 प्रतिशत और पाकिस्तान का 1.59 प्रतिशत हिस्सा रहा। भारत आने वाले कुल पर्यटकों में से 72.73 प्रतिशत यात्री तो इन्हीं 15 देशों के थे। यह तो सभी जानते हैं कि जब विदेशी यात्री भारत आते हैं, तो वे अपने साथ विदेशी मुद्रा भी लाते हैं। जनवरी-अक्टूबर 2015 के दौरान पर्यटन उद्योग से करीब 101,348 करोड़ रुपये की कमाई हुई है। इसकी तुलना पिछले साल हुई कमाई से किया जाए, तो वर्ष 2015 में सिर्फ 2.5 फीसदी का ही इजाफा हुआ है।

विश्व के सातवें अजूबे में शुमार किए जाने वाले ताजमहल के पर्यटकों की संख्या में भी काफी कमी आई है। पिछले साल के जनवरी से सितंबर के दौरान अगर इस साल की इसी अवधि की तुलना की जाए, तो ताज महल देखने आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में नौ फीसदी की गिरावट आई है। इस साल ताजमहल देखने सिर्फ 4.38 लाख पर्यटक ही पहुंच सके। हेरिटेज आर्क, गोल्डन ट्राइंगल के प्रचार के बाद भी बुनियादी सुविधाओं में कमी और बेहद महंगी टिकट को पर्यटकों की संख्या घटने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। देश में आने वाले 49 लाख से ज्यादा विदेशी मेहमान ताजमहल का दीदार किए बिना ही लौट गए।

भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी आने के प्रमुख कारणों में यूरोप की मंदी और भारत में विदेशी पर्यटकों के अनुकूल माहौल का न होना है। वैसे तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं इन दिनों आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रही हैं। इन देशों में लोगों की आय प्रभावित हो रही है। वे अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में ही काफी परेशान हो रहे हैं, ऐसे में पर्यटन का ख्याल ही उनके दिमाग में नहीं आ रहा है। आतंकवादी घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि होने से भी यूरोप, अमेरिका और अफ्रीकी देशों के लोग पर्यटन पर निकलने से घबरा रहे हैं।

भारत में विदेशी पर्यटकों के साथ होने वाले दुव्र्यवहार और भारत में दिनोंदिन बढ़ती जातीय और सांप्रदायिक हिंसक घटनाओं के चलते भी विदेशी अतिथि यहां आने से कतरा रहे हैं। एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूरोप, अमेरिका और एशियाई देशों में घूम-घूम कर लोगों को भारत आने और यहां पूंजी निवेश के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ यहां होने वाली सहिष्णुता-असहिष्णुता की बहस और धार्मिक उन्माद की घटनाएं उन्हें भारत आने से रोक रही हैं। भारत में आने वाली महिला विदेशी पर्यटकों के साथ होने वाले दुराचार, दुव्र्यवहार, मार-पीट और छीना झपटी की घटनाओं ने भी काफी हद तक पर्यटन उद्योग को प्रभावित किया है।
इंडस्ट्री चैंबर्स एसोचैम का भी यह मानना है कि विदेशी पर्यटक भारत में अपनी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। यहां की पुलिस और प्रशासन से अपेक्षित सहयोग न मिलने की वजह से कई बार विदेशी पर्यटकों को काफी परेशान होना पड़ा है। यदि उनके साथ कोई हादसा होता है, तो पुलिस और प्रशासन टालू रवैया अपनाकर इस कोशिश में जुट जाता है कि ये किसी तरह अपने देश वापस लौट जाएं, बस। इसका भी बुरा असर भारतीय पर्यटन उद्योग पर पड़ता है। ऐसे में यदि हमें पर्यटन उद्योग से होने वाली आय बढ़ानी है और विदेशी पर्यटकों को यहां आने के लिए आकर्षित करना है, तो सबसे पहले उनके लिए यहां सुरक्षा का वातावरण पैदा करना होगा, तभी हम उन्हें भारत आने के लिए लुभा पाएंगे। सुरक्षा का आश्वासन सिर्फ कथनी से नहीं, करनी से भी देना होगा।

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jagdeesh sharma,jagdish sharma,journalist jagdish sharmaपरिचय -:        

जगजीत शर्मा

समूह संपादक दैनिक न्यू ब्राइट स्टार

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