डा श्याम गुप्त के दो गीत

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गीत

.1.मधु कल्पना हो…

तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो |
तुम सवालों से सजी नव अल्पना हो ||

रंग तुम हो तूलिका के
काव्य का  हर अंग हो |
काव्य-स्फुरणा से तू,
मन में उठी तरंग हो |

तुम रचयिता मन की,
सुन्दर औ सुखद सी प्रेरणा |
तुम हो रचना धर्मिता ,
रस भाव की उत्प्रेरणा |

काव्य भावों से भरे ,शुचि-
ज्ञान  की तुम व्यंज़ना |
मन बसी सुख-स्वप्न सी ,
भावुक क्षणों की संजना |

तुम चलो तो चल् पड़े संसार का क्रम |
तुम रुको थम जाय सारा विश्व-उपक्रम |

तुम सवालों से सजी मन-अल्पना हो |
तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो ||

जलज-दल पलकें उठालो ,
नित  नवीन विहान हो |
तुम अगर पलकें झुकालो,
दिवस का अवसान हो |

तुम सृजन की भावना ,
इस मन की अर्चन वन्दना |
तुम ही मेरा काव्य-सुर हो,
तृषित मन की रंजना |

तुम  ज़रा सा मुस्कुरालो,
मुस्कुराए  ये   जहां  |
तुम ज़रा सा गुनागुनालो ,
खिलखिलाए आसमां |

तुम बनालो मीत तो खिल जाय तन मन |
तुम छिटक दो हाथ तो हो विश्व अनमन |

तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो |
तुम सवालों से सजी , नव अल्पना हो ||

2.कितने भाव मुखर हो उठते …

कारण कार्य व प्रभाव गीत —-मेरे द्वारा नव-सृजित …..इस छः पंक्तियों के प्रत्येक पद या बंद के गीत में प्रथम दो पंक्तियों में मूल विषय-भाव के कार्य या कारण को दिया जाता है तत्पश्चात अन्य चार पंक्तियों में उसके प्रभाव का वर्णन किया जाता है | अंतिम पंक्ति प्रत्येक बंद में वही रहती है गीत की टेक की भांति | गीत के पदों या बन्दों की संख्या का कोई बंधन नहीं होता | प्रायः गीत के उसी मूल-भाव-कथ्य को विभिन्न बन्दों में पृथक-पृथक रस-निष्पत्ति द्वारा वर्णित किया जा सकता है | एक उदाहरण प्रस्तुत है –—
कितने भाव मुखर हो उठते …..
ज्ञान दीप जब मन में जलता,
अंतस जगमग होजाता है |
मिट जाता अज्ञान तमस सब,
तन-मन ज्ञान दीप्त हो जाते |
नव-विचार युत, नव-कृतित्व के,
कितने भाव मुखर हो उठते ||

प्रीति-भाव जब अंतस उभरे,
द्वेष-द्वंद्व सब मिट जाता है |
मधुभावों से पूर्ण ह्रदय हो,
जीवन मधुघट भर जाता है |
प्रेमिल तन-मन आनंद-रस के,
कितने भाव मुखर हो उठते ||

मदमाती यौवन बेला में,
कोइ ह्रदय लूट लेजाता |
आशा हर्ष अजाने भय युत,
उर उमंग उल्लास उमड़ते |
इन्द्रधनुष से विविध रंग के,
कितने भाव मुखर हो उठते ||

सत्य न्याय अनुशासन महिमा,
जब जन-मन को भा जाती है |
देश-भक्ति हो, मानव सेवा,
युद्ध-भूमि हो, कर्म-क्षेत्र हो |
राष्ट्र-धर्म पर मर मिटने के,
कितने भाव मुखर हो उठते ||

डा. श्याम गुप्तपरिचय – :

डा. श्याम गुप्त        

चिकित्सक  ,लेखक व् कवि 
शिक्षा—एम.बी.,बी.एस.,एम.एस.(शल्य), सरोजिनी नायडू चिकित्सा महाविद्यालय,आगरा.
व्यवसाय-चिकित्सक (शल्य)-उ.रे.चिकित्सालय, लखनऊ से व.चि.अधीक्षक पद से सेवा निवृत ।

साहित्यिक-गतिविधियां–विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से संबद्ध, काव्य की सभी विधाओं—कविता-गीत,   अगीत, गद्य-पद्य, निबंध,कथा-कहानी-उपन्यास, आलेख, समीक्षा आदि में लेखन। ब्लोग्स व इन्टर्नेट पत्रिकाओं में लेखन.

प्रकाशित कृतियाँ — १. काव्य दूत २.काव्य निर्झरिणी ३.काव्य मुक्तामृत (काव्य सन्ग्रह)  ४. सृष्टि–अगीत-विधा महाकाव्य ५.प्रेम-काव्य-गीति-विधा महाकाव्य ६.शूर्पणखा खंड-काव्य,  ७. इन्द्रधनुष उपन्यास, ८. अगीत साहित्य दर्पण- अगीत कविता विधा का छंद विधान, ९.ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में काव्य संग्रह ) एवं १०. कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए,रुबाई व शेर का संग्रह )

शीघ्र-प्रकाश्य- तुम तुम और तुम (गीत-सन्ग्रह), गज़ल सन्ग्रह, श्याम स्मृति, अगीत-त्रयी, ईशोपनिषद का काव्य भावानुवाद…..
मेरे ब्लोग्स( इन्टर्नेट-चिट्ठे)—श्याम स्मृति (http://shyamthot.blogspot.com), साहित्य श्याम, अगीतायन, छिद्रान्वेषी, विजानाति-विजानाति-विज्ञान एवं हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान.

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सम्मान आदि—
१.न.रा.का.स.,राजभाषा विभाग,(उ प्र) द्वारा राजभाषा सम्मान (काव्य संग्रह काव्यदूत व काव्य-निर्झरिणी हेतु).
२.अभियान जबलपुर संस्था (म.प्र.) द्वारा हिन्दी भूषण सम्मान( महाकाव्य ‘सृष्टि’ हेतु )
३.विन्ध्यवासिनी हिन्दी विकास संस्थान, नई दिल्ली द्वारा बावा दीप सिन्घ स्मृति सम्मान,
४.अ.भा.अगीतपरिषद द्वारा-श्री कमलापति मिश्र सम्मान व अ.भा.साहित्यकार दिवस पर प.सोहनलाल द्विवेदी सम्मान|
५. अ.भा.अगीत परिषद द्वारा अगीत-विधा महाकाव्य सम्मान( अगीत-विधा महाकाव्य सृष्टि हेतु)
६.जाग्रति प्रकाशन, मुम्बई द्वारा-साहित्य-भूषण एवं पूर्व पश्चिम गौरव सम्मान,
७.इन्द्रधनुष सन्स्था बिज़नौर द्वारा..काव्य-मर्मज्ञ सम्मान.
८.छ्त्तीसगढ शिक्षक साहित्यकार मंच, दुर्ग द्वारा-हिरदे कविरत्न सम्मान,
९.युवा कवियों की सन्स्था; ’सृजन’’ लखनऊ द्वारा महाकवि सम्मान एवं सृजन-साधना वरिष्ठ कवि सम्मान.
१०.शिक्षा साहित्य व कला विकास समिति,श्रावस्ती द्वारा श्री ब्रज बहादुर पांडे स्मृति सम्मान
११.अ.भा.साहित्य संगम,उदयपुर द्वारा राष्ट्रीय-प्रतिभा-सम्मान व शूर्पणखा काव्य-उपन्यास हेतु ‘काव्य-केसरी’ उपाधि |
१२. जगत सुन्दरम कल्याण ट्रस्ट द्वारा महाकवि जगत नारायण पांडे स्मृति सम्मान.
१३. बिसारिया शिक्षा एवं सेवा समिति, लखनऊ द्वारा ‘अमृत-पुत्र पदक
१४. कर्नाटक हिन्दी प्रचार समिति, बेंगालूरू द्वारा सारस्वत सम्मान(इन्द्रधनुष –उपन्यास हेतु)
१५.विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान,इलाहाबाद द्वारा ‘विहिसा-अलंकरण’-२०१२….आदि..
१६.युवा रचनाकार मंच द्वारा डा अनंत माधव चिपलूणकर स्मृति सम्मान -२०१५
१७.साहित्यामंडल श्रीनाथ द्वारा –द्वारा हिन्दी साहित्य विभूषण सम्मान

संपर्क – :
डा श्याम गुप्त,  सुश्यानिदी, के-३४८, आशियाना,लखनऊ-( उ.प्र. भारत )-२२६०१२ .
मो. ०९४१५१५६४६४   email—drgupta04@gmail.com ,  drshyamgupta44@gmail.com

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