डॉ डीपी शर्मा “धौलपुरी” की बारूदी कलम से कविता : आखिर मैं क्या हूं?

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डॉ डीपी शर्मा “धौलपुरी” की बारूदी कलम से – आखिर मैं क्या हूं?

डॉ डीपी शर्मा “धौलपुरी” की बारूदी कलम से

मैं दार्शनिक हूं, लेकिन दार्शनिकता मेरे भीतर नहीं इसलिए मैं दार्शनिकतावादी भी नहीं हूं! तो क्या हूं?

मैं भारतीय हूं, लेकिन भारतीयता मेरे भीतर नहीं इसलिए मैं भारतीयतावादी भी नहीं हूं!  तो क्या हूं?

 

मैं वफादार हूं, लेकिन वफादारी मेरे भीतर नहीं इसलिए मैं वफादारवादी भी नहीं हूं!  तो क्या हूं?
मैं मानव हूं, लेकिन मानवता मेरे भीतर नहीं इसलिए मैं मानवतावादी भी नहीं हूं! तो क्या हूं?

 

मैं महान हूं, लेकिन महानता मेरे भीतर नहीं इसलिए मैं महानतावादी भी नहीं हूं।  तो क्या हूं?
मैं ज्ञानी हूं, लेकिन ज्ञानतत्व मेरे भीतर नहीं इसलिए मैं ज्ञानतावादी भी नहीं हूं। तो क्या हूं?

 

मैं संवेदनशील हूं, लेकिन संवेदनशीलता मेरे भीतर नहीं इसलिए मैं संवेदनशीलतावादी भी नहीं हूं!  तो क्या हूं?
मैं देशभक्त हूं, लेकिन देशभक्ति मेरे भीतर नहीं इसलिए मैं देशभक्तवादी भी नहीं हूं। तो क्या हूं?

 

मैं भ्रमित हूं, लेकिन भ्रमवाद मेरे भीतर नहीं इसलिए मैं भ्रमवादी भी नहीं हूं ! तो क्या हूं?
तो आखिर मैं हूं क्या?

 

मैं क्या हूं, मैं क्या नहीं हूं, मैं अज्ञान हूं, अज्ञानतावादी भी नहीं हूं!
मुझे माफ करो, मैं माफ करने योग्य हूं!!

 

परिचय – :

डॉ डीपी शर्मा ( डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी )

 परामर्शक/ सलाहकार
अंतरराष्ट्रीय परामर्शक/ सलाहकार
यूनाइटेड नेशंस अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन
नेशनल ब्रांड एंबेसडर, स्वच्छ भारत अभियान

Disclaimer – :  मेरे जज्वात व शब्दों से हैरानी होगी मगर भाव, भाषा और मन का भारीपन तो                             दिल की गहराइयों से निकलता है।
                   -:  कविता या मिसरों का किसी जीवित अथवा दिवंगत शख्स से कोई वास्ता नहीं है।

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