नववर्ष पर डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी की कविता : मैं आशाओं का शायर हूँ

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बारूद की कलम एवम् संवेदना की स्याही से 

– डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी 

नववर्ष भोर की बेला में,
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

छू लेने को आतुर है मन,
डरता हूं कि तन का क्या होगा।
गर बिखर गए तो जीवन में,
इस नयी डगर का क्या होगा ?
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 
 
 

भूतल से और अब अंबर तक,
जब मौत शरारत का फेरा।
तुम चले गए तो जीवन का,
जीवन से नाता क्या होगा ?
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

तेरी खातिर सांसो से फिर,
सांसों को मैंने जोड़ा था।
जीवन के समर भयंकर में,
मैं हार गया तो क्या होगा ?
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

इस कदर मायूसी हावी है,
घनघोर अंधेरा छाया है,
शहरों से नाता टूटा तो,
गांवों से रिश्ता क्या होगा ?
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

रिश्तों के अमर बियावन में,
मैं उनके साथ चलूं कैसे।
सपनों ने मिट्टी को छीना,
गर सांस छिनी तो क्या होगा‌ ?
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

तुमसे खुशियों का उदय हुआ,
तुमसे सपनों का कत्ल हुआ ।
मेरे स्वप्निल इस जंगल में,
इस आश निराश का क्या होगा ?
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

गर जीवन में कुछ मिल जाए,
मैं तुम्हें समर्पित कर दूंगा।
तेरे मिलने की अभिलाषा,
इस धन दौलत का क्या होगा ?
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

ये पदक प्रतिष्ठा के जंगल,
कब तक मन को बहलाएंगे,
सब छोड़ फकीरी के मद में,
इन पद पैसों का क्या होगा ?
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

आ जाओ स्वप्न परिंदा बन,
मेरे जीवन के उपवन में,
मैं कल्पतरू बन जाऊं तो,
यादों के मर्म का क्या होगा?
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

तुम अमर बेल बन जाओ तो,
मैं अमर तरु बन जाऊंगा,
इस द्वैत भाव आलिंगन में,
एकत्व भाव का क्या होगा ?
 मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

घनघोर घटा भूमण्डल पर,
महामारी के इस जंगल में,
मानवता का यदि विध्वंस हुआ,
फिर गीत प्रलय का क्या होगा?
मैं आशाओं का शायर हूँ।।

 

नव वर्ष के इस आलिंगन को,
मैं विजय का पदक बना लूंगा ।
गर सांसे मिल न सकीं तो फिर,
इस अमर कथा का क्या होगा ?
मैं आशाओं का शायर हूँ ।।

 

नववर्ष भोर की बेला में,
मैं मनुष्यता का शांतिदूत’
बारूद से निकली फायर हूँ,

 

मैं आशाओं का शायर हूँ।।
मैं आशाओं का शायर हूं ।।

 

परिचय – :

डॉ डीपी शर्मा ( डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी )

 परामर्शक/ सलाहकार
अंतरराष्ट्रीय परामर्शक/ सलाहकार
यूनाइटेड नेशंस अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन
नेशनल ब्रांड एंबेसडर, स्वच्छ भारत अभियान

 

Disclaimer – :  मेरे जज्वात व शब्दों से हैरानी होगी मगर भाव, भाषा और मन का भारीपन तो                             दिल की गहराइयों से निकलता है।
                   -:  कविता या मिसरों का किसी जीवित अथवा दिवंगत शख्स से कोई वास्ता नहीं है।

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