दिल्ली का दंगल और भाजपा के अमंगल !

0
25

sonali-bosearticle-of-sonali-bose-sonali-bose-sub-editor-invc-news-sub-editor invc news– सोनाली बोस –

ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल की ‘आम’ सुनामी के सामने नरेंद्र मोदी की ‘लहर’ अब सिमटने लगी है, दिल्ली चुनाव के आज आये नतीजों में महज 03 सीटों के शर्मनाक आंकड़े पर सिमटी भाजपा का और दिल्ली भाजपा संगठन की अंतर कलह का मोदी जादू को उड़न छू करने में सबसे बड़ा योगदान है | विजय गोयल ,सतीश उपाध्याय ,जगदीश मुखी ,प्रोफ़ेसर विजय मल्होत्रा जैसे सभी भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों का राजनीतिक जीवन दिल्ली में अब हाशिये पर आ गया है |अगर आम जनता की माने तो भाजपा ने उसी दिन अपनी हार स्वीकार कर ली थी जिस दिन दिल्ली में पैराशूट उम्मीदवार बना मुख्यमंत्री के बतौर किरण बेदी को भाजपा ने उतारा था | रही सही कसर इस ‘’पैराशूट उम्मीदवार’’ को कृष्णा नगर सीट से मिली करारी हार ने पूरी कर दी है| जिस किरण बेदी को सामने रख कर भाजपा ने अपने दिल्ली कैडर की खुल कर अनदेखी की वही बेदी कृष्णा नगर की सुरक्षित सीट भी बचा नहीं पाई | किरण बेदी के आ जाने से न सिर्फ भाजपा की ‘’दिल्ली चौपाई’’ के नाम से मशहूर विजय गोयल ,सतीश उपाध्याय ,जगदीश मुखी ,प्रोफ़ेसर विजय मल्होत्रा के समर्थको में भारी रोष आ गया था साथ ही अगर सूत्रों की माने तो भाजपा के इस मास्टर स्ट्रोक का संघ को भी नहीं पता था | किरण बेदी के आगमन के साथ ही भाजपा की चौपाई विजय गोयल ,सतीश उपाध्याय ,जगदीश मुखी ,प्रोफ़ेसर विजय मल्होत्रा अपना अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिये काम करने लगे साथ ही जब केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन की सुरक्षित सीट से जब गैर भाजपा ,गैर संगठन की उम्मीदवार किरण बेदी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया तो इससे भाजपा दिल्ली संगठन में और बिखराव आ गया |

गौरतलब है कि किरण बेदी ना तो भाजपा विरोधी रही थी और न ही भाजपा समर्थक और जब किरण बेदी को लगा कि उन्हें भाजपा के विरुद्ध बोलना चाहिये तब उन्होंने जम कर बोला और जब लगा कि अब समर्थन किया जाए  तब भी किरण बेदी खुल कर पूरी तरह नहीं कर पाई थी जिसका बुरा असर भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं पर पड़ा |

जिस तरह से भाजपा ने भाजपा विरोधी लोगों को भाजपा में शामिल करके ,अपने मूल काडर की टिकट काट कर बाहरी लोगो को टिकटें दी उससे भाजपा का रहा सहा ज़मीनी कार्यकर्ता और बिखर गया | किरण बेदी की कार्य-शैली और भाजपा संगठन और उसकी मूल विचारधारा में ज़मीन आसमान का फर्क है | किरण बेदी को भाजपा में आये अभी जुम्मा – जुम्मा आठ दिन भी नहीं हुये थे और उन्होंने अपने पुराने भाजपाई सांसदों को अपने घर पर बुला लिया इससे भी भाजपा के सभी सांसदों में अपनी सिनियोरिटी की उड़ती धज्जियों को लेकर काफी रोष था | रही सही कसर तब पूरी हो गई जब केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के कुछ मिनिट देरी से आने पर किरण बेदी बिना बताये और केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धनसे मिले बगैर अपने घर से निकल गयी थी, जबकी केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने किरण बेदी को फोन करके बता दिया था कि उन्हें एक ज़रूरी मीटिंग में जाना है और उन्हें कुछ देरी हो सकती है पर किरण बेदी ने केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन की सिनियोरिटी की क़द्र और गरिमा का ख्याल नहीं किया किये और उनसे मिले बगैर अपने घर से रुखसत हो गयी |

किरण बेदी और केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के इस प्रकरण से भाजपा के साथ साथ संघ के कार्यकर्ताओं में भी ख़ासी नाराज़गी का माहौल पनपा | केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन की इस तरह से अनदेखी और ‘’दिल्ली भाजपा की चौपाई’’ विजय गोयल ,सतीश उपाध्याय ,जगदीश मुखी ,प्रोफ़ेसर विजय मल्होत्रा की राजनीतिक विरासत के अस्तित्व के खतरे में आ जाने के बाद से न सिर्फ किरण बेदी बल्कि दिल्ली भाजपा के लिये भी अब यह चुनाव अमंगल कारक बन चुका है|
__________________

sonali-bosearticle-of-sonali-bose-sonali-bose-sub-editor-invc-news-sub-editor-invc-newसोनाली बोस
उप – सम्पादक
इंटरनेशनल न्यूज़ एंड वियुज़ डॉट कॉम
व्
अंतराष्ट्रीय समाचार एवम विचार निगम

Sonali Bose
Sub – Editor
international News and Views.Com
&
International News and Views Corporation

संपर्क –: sonali@invc.info & sonalibose09@gmail.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here