प्रतिस्पर्धा उग्रता दर्शाने की?

0
30

– निर्मल रानी –

gulamali andshivsena,ghulamali,shivsaina, ghulamaliban,banongulamaliहमारे देश के संविधान निर्माताओं द्वारा यहां का संविधान तथा क़ानून हालांकि ऐसा बनाया गया है जिसमें सभी धर्मों,जातियों,वर्गों तथा सभी क्षेत्रों के लोगों को समान अधिकार दिए गए हैं। इस संविधान में किसी एक वर्ग विशेष व धर्म विशेष या क्षेत्र विशेष के लोगों को किसी भी विषय पर उग्रता दिखाने की कोई आज़ादी नहीं है। भारतवर्ष में लागू लोकतांत्रिक व्यवस्था में लगभग सभी राजनैतिक दल अपने चुनावी घोषणा पत्रों में समाज तथा देश के समग्र विकास की बातें भी करते हैं। परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि जब यही राजनैतिक दल जनता से किए गए अपने वादे पूरे नहीं कर पाते या जनता इन्हें अपनी नज़रों से गिराने लगती है तथा इन्हें अपना जनाधार खिसकता हुआ नज़र आने लगता है ऐसे में बड़ी चतुराई से ऐसे दलों के राजनेता कोई न कोई ऐसा विषय सार्वजनिक रूप से उछाल देते हैं जिससे यह स्वयं को अन्य दलों से अलग तथा आक्रामक व उग्र दिखाने देने की कोशिश कर सकें। इनके ऐसे प्रयासों से इनका जनाधार बढ़े या न बढ़े परंतु इनके ऐसे उग्र कदम मीडिया के माध्यम से समाज में एक बहस को जन्म ज़रूर दे देते हैं।

महाराष्ट्र में कभी अपना मज़बूत जनाधार रखने वाली तथा राज्य की पहले नंबर की सबसे बड़ी पार्टी समझी जाने वाली शिवसेना इन दिनों कुछ ऐसे ही दौर से गुज़र रही है। हालांकि दक्षिणपंथी भारतीय जनता पार्टी से हिंदुत्व के विषय पर पार्टी की विचारधारा काफी मेल खाती है। 1992 के अयोध्या आंदोलन में भी शिवसेना भाजपा के साथ कंधे से कंधा मिला कर चली। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी तक की भाजपाई सरकार में शिवसेना सत्ता में भागीदार रही है। महाराष्ट्र में तो शिवसेना-भाजपा की गठबंधन सरकार कई बार बन चुकी है। शिवेसना ने महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी को कभी भी अपने-आप से आगे भी नहीं निकलने दिया। यहां तक कि दक्षिणपंथी विचारधारा होने के बावजूद केवल महाराष्ट्र में अपने अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए शिवसेना ने कई बार कुछ ऐसे हथकंडे भी अपनाए जिन्हें भाजपा का तो समर्थन नहीं था परंतु शिवसेना इसे अपने क्षेत्रिय अस्तित्व के लिए ज़रूरी समझती थी। मुंबई में उत्तर भारतीयों पर शिवसेना के लोगों द्वारा किया जाने वाला सौतेला व्यवहार तथा अत्याचार ऐसे ही विषयों में एक था। परंतु पिछले लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में पहली बार शिवसेना सहित सभी दलों को पछाड़ते हुए राज्य में लोकसभा की 18 सीटें जीतीं उससे शिवसेना के कान खड़े हो गए। लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में विधानसभा चुनाव भी संपन्न हुए। इन चुनावों में तो शिवसेना भारतीय जनता पार्टी से काफी पीछे रह गई। भाजपा को राज्य में 122 सीटों पर विजय हासिल हुई तो शिवसेना को केवल 63 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। इन परिणामों के बाद तो शिवसेना के शीर्ष नेतृतव को यह सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा कि दक्षिणपंथी विचारधारा होने के बावजूद कहीं शिवसेना राज्य में भाजपा के समक्ष अपना अस्तित्व ही गंवा न बैठे। और पार्टी के नेताओं की इसी सोच ने अपने-आप को और अधिक उग्र दर्शाने की राह अिख्तयार की। गोया शिवसेना भाजपा से उग्रता के क्षेत्र में भी प्रतिस्पर्धा दर्शाने लगी।

पिछले दिनों उग्रता में प्रतिस्पर्धा दर्शाने की इसी कड़ी के रूप में शिवसेना ने पाकिस्तान के प्रसिद्ध गज़ल गायक गुलाम अली के एक लाईव शो को धमकी देकर आयोजित होने से रोक दिया। हालांकि गुलाम अली द्वारा पेश किया जाने वाला यह कार्यक्रम व्यवसायिक कार्यक्रम नहीं था बल्कि प्रसिद्ध भारतीय गज़ल सम्राट स्वर्गीय जगजीत सिंह को श्रद्धांजलि देने हेतु उनकी स्मृति में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इससे पूर्व भी यही शिवसेना पाकिस्तानी कलाकारों के भारतीय कार्यक्रमों में अथवा टीवी शो में भाग लेने का विरोध कर चुकी है। शिवसेना ने तीन दशक पूर्व सर्वप्रथम मुंबई में पाकिस्तानी क्रिकेेट टीम के खेलने का विरोध करते हुए मैदान में पिच उखाड़ दी थी। शिवसेना का पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के खेलने का विरोध करने का यह अंदाज़ उस समय भी मीडिया में सुिर्खयों में छा गया था। मज़े की बात तो यह है कि शिवसेना द्वारा उठाए गए इस कदम का उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी भी समर्थन नहीं करती।जबकि शिवसेना सीधेतौर पर यही जताने की कोशिश करती है कि पाकिस्तान चूंकि हमारे सैनिकों पर ज़ुल्म करता है भारत में आतंकवादी भेजता है तथा हमारे देश में आतंकवादी घटनाओं को प्रोत्साहित करता है इसलिए ऐसे देश के कलाकारों अथवा खिलाडिय़ों को भारत में खेलने अथवा अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करने की कोई ज़रूरत नहीं। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने गुलाम अली के कार्यक्रम का विरोध करने जैसे शिवसेना के कदम की आलोचना की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो गुलाम अली को अपने-अपने राज्यों में आकर कार्यक्रम पेश करने का न्यौता भी दिया है। इतना ही नहीं बल्कि अभी कुछ ही समय पूर्व पाकिस्तान के इसी गज़ल गायक गुलाम अली ने वाराणसी के प्राचीन संकट मोचन मंदिर में भी अपने सुरों की महिफल सजाई थी। गौरतलब है कि वाराणसी का संकटमोचन मंदिर वही प्राचीन मंदिर है जहां उग्रवादियों ने आतंकी हमला कर दहशत का खूनी खेल खेला था।

सवाल यह है कि ऐसे में शिवसेना को ही इस प्रकार का विरोध करने की ज़रूरत क्यों महसूस होती है? क्या शिवसेना का राष्ट्रवाद भारत के अन्य राजनैतिक दलों के राष्ट्रवाद से अनोखा या अलग राष्ट्रवाद है? क्या पाकिस्तान के खिलाड़ी व कलाकार पाकिस्तान की ओर से भारत में फैलाए जाने वाले आतंकवाद का समर्थन करते हैं? या इसमें वे भागीदार होते हैं? अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति का तक़ाज़ा यही होता है कि जब किन्हीं दो देशों के हालात तनावपूर्ण हों अथवा उनके रिश्तों में कड़वाहट आ रही हो तो उसे खेल-कूद,गीत-संगीत व साहित्यिक गतिविधियों के आदान-प्रदान से सामान्य करने की कोशिश की जाती है। परंतु शिवसेना द्वारा उठाए जाने वाले कदम तो बिल्कुल ऐसे होते हैं गोया पाकिस्तान से किसी प्रकार के संबंध रखने की कोई ज़रूरत ही नहीं है। पाकिस्तान भारत में आतंकवाद फैलाने की कोशिशों में लगा रहता है इस बात से आिखर कौन इंकार कर सकता है। देश के नेता व उच्चाधिकारी इस विषय पर बातचीत करते ही रहते हैं। परस्पर द्विपक्षीय वार्ताओं से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक भारत द्वारा पाकिस्तान को यह चेताने की कोशिश की जाती है कि भारत पाकिस्तान द्वारा पोषित किए जा रहे आतंकवाद का शिकार है। आरोप-प्रत्यारोप की यह स्थिति भी तभी बनी रहती है जब दोनों देशों के बीच बातचीत के रास्ते खुले रहते हैं। यदि केंद्र में सत्तासीन भाजपा की सरकार  भी पाकिस्तान के प्रति शिवसेना जैसे उग्र व आक्रामक विचार रखे तो वह भी पाकिस्तानी खिलाडिय़ों व कलाकारों के भारत में प्रवेश या यहां उनके खेलने व कार्यक्रम प्रस्तुत करने पर ही पूर्ण प्रतिबंध लगा सकती है। परंतु भाजपा सरकार ऐसा नहीं कर रही है। तो क्या इसका अर्थ यह निकाला जाए कि भाजपा का राष्ट्रवाद शिवसेना के राष्ट्रवाद से कमज़ोर या हल्का है?

शिवसेना जैसी संकीर्ण मानसिकता का प्रदर्शन करने वाली पार्टी के नेताओं को यह सोचना चाहिए कि खेल-कूद,गीत-संगीत,साहित्य व मनोरंजन आदि की कोई सीमाएं नहीं होतीं। चार्ली चैपलिन दुनिया के हास्य कलाकारों के बेताज बादशाह के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं। यहां कोई उन्हें इसलिए नहीं नज़र अंदाज़ कर सकता कि वे भारतीय नहीं थे इसलिए उनकी कामेडी अच्छी नहंीं। इसी प्रकार पाकिस्तान में गज़ल गायक जगजीत सिंह पाकिस्तानी गज़ल गायकों से कहीं ज़्यादा लोकप्रिय हैं और पाकिस्तानी लोग भारतीय िफल्मों तथा भारतीय कलाकारों को अपने देश की िफल्मों व अपने कलाकारों से कहीं अधिक पसंद करते हैं। नुसरत फतेह अली खं, लता मंगेश्कर,मोहम्मद रफी तथा मेंहदी हसन जैसे गायक भारत व पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में समान रूप से अपनी गायकी का लोहा मनवा चुके हैं। किसी कलाकार की कला सराहनीय होती है न कि उसका देश या धर्म। पाकिस्तान के आतंकवाद या घुसपैठ संबंधी प्रयासों का पूरा देश यहां के सभी राजनैतिक दल सभी धर्मों के लोग सामूहिक रूप से कड़ी निंदा करते आए हैं और जब तक उसके यह दुष्प्रयास जारी रहेंगे उसकी निंदा व आलोचना हमेशा होती रहेगी। परंतु शिवसेना द्वारा उठाए जाने वाले इस प्रकार के कदम पार्टी की क्षेत्रीय छवि को भी खराब करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके अच्छे संदेश नहीं जाते। शिवसेना के नेताओं को चाहिए कि उग्रता में प्रतिस्पर्धा दर्शाने के बजाए कुछ ऐसे लोकहितकारी कार्य करें जिससे उनकी निरंतर खोती जा रही राजनैतिक ज़मीन वापस आ सके। और यदि पार्टी पाकिस्तानी कलाकारों के विरोध को ही अपना खोया जनाधार वापस लाने का माध्यम समझ रही है तो निश्चित रूप से यह उसकी गलतफहमी है। शिवसेना का राष्ट्रीय स्तर पर तो कोई नामलेवा है ही नहीं परंतु यदि उसकी इस प्रकार की नीतियां जारी रहीं तो संभवत: महाराष्ट्र में भी भविष्य में उसका बचा-खुचा जनाधार समाप्त हो जाएगा और पार्टी धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगी।

______________________________

nirmalraninirmal-rani-invc-news111परिचय -:

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क : – Nirmal Rani  : 1622/11 Mahavir Nagar Ambala City13 4002 Haryana ,  Email : nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

* Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS .

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here