आम बजट : आर्थिक सम्भावनाओं के मापन का एक औजार

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G. Srinivasan, G.Srinivasan free-lance journalist ,G. Srinivasan  journalist, journalist G. Srinivasan– जी. श्रीनिवासन –

पहली अप्रैल से शुरू वित्‍त वर्ष के लिए केन्‍द्र सरकार का आय और व्‍यय सम्‍बंधी व्‍यापक विवरण का मापन करते हुए तथा व्‍यय के लिए धन प्राप्‍त करने के तरीके का उल्‍लेख करते हुए इस माह के अंतिम दिन यानि 28 फरवरी को केन्‍द्रीय बजट की वार्षिक प्रस्‍तुति की जायेगी। भारत में इस परम्‍परा का अनुसरण साम्राज्‍यवादी युग से किया गया है, जब तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री शाम के पांच बजे बजट पेश करते थे। इसके स्‍थान पर, अब इसे सुबह 11 बजे प्रस्‍तुत किया जाता है और लोकसभा में व्‍यापक तौर पर बजट के लिए प्रक्रियाओं और इसकी प्रस्‍तुति के लिए प्रश्‍नकाल सहित सदन के अन्‍य कार्य भी किये जाते हैं। इस वर्ष केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरूण जेटली शनिवार को वित्‍त वर्ष 2015-16 के लिए अपना पहला सम्‍पूर्ण बजट पेश करेंगे, क्‍योंकि पिछली जुलाई में संसद में उन्‍होंने अपना पहला बजट पेश किया था जो केवल आठ माह की अवधि के लिए ही था। श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में मई 2014 के चुनावों में अत्‍यधिक मतों से सत्‍ता प्राप्‍त करने से लेकर पांच वर्ष की अवधि के लिए आर्थिक मोर्च पर घोषित कार्यों के लिए राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के संपूर्ण बजट से काफी अपेक्षायें की जा रही हैं।

सरकारी वक्‍तव्‍य में बजट के रूप में बही-खाते के तरीके पर से पर्दा हटाना यहां प्रासंगिक होगा। संविधान की धारा 112 के अधीन अनुमानित आय और व्‍यय का एक विवरण जिसे सामान्‍य तौर पर बजट वक्‍तव्‍य कहा जाता है, प्रत्‍येक वित्‍त वर्ष यानि पहली अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक संसद में पेश करना होता है। बजट भाषण में भारत की एकीकृत निधि से व्‍यय के अनुमान शामिल होते हैं, जिस पर निचले सदन (लोकसभा) द्वारा मतदान होना आवश्‍यक है। इसे सरकार के विभिन्‍न विभागों और मंत्रालयों के अनुदान मांगों के रूप में प्रस्‍तुत किया जाता है। प्रत्‍येक मांग में राजस्‍व व्‍यय, पूंजीगत व्‍यय, राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों के लिए अनुदान और उन सेवाओं के लिए ऋणों और अग्रिम राशियों से संबंधित प्रावधान शामिल होते हैं। अनुदान मांगों में कुल धनराशि के लिए अनुमानित व्‍यय शामिल हैं।

राजस्‍व बजट दस्‍तावेज में वार्षिक वित्‍तीय वक्‍तव्‍य में शामिल राजस्‍व प्राप्तियों के अनुमानों का और भी अधिक विश्‍लेषण किया जाता है। केन्‍द्र सरकार की राजस्‍व प्राप्तियों में सकल कर राजस्‍व और गैर-कर राजस्‍व शामिल हैं। कर राजस्‍व में कार्पोरेशन कर, कार्पोरेशन कर को छोड़कर आय पर कर और प्रत्‍यक्ष करों में शामिल अन्‍य कर निहित हैं। अप्रत्‍यक्ष करों में सीमा शुल्‍क (आयात), केन्‍द्रीय उत्‍पाद कर, सेवा कर और अन्‍य कर शामिल हैं। गैर-कर राजस्‍व में ब्‍याज प्राप्तियां, सार्वजनिक उपक्रमों का लाभांश, अन्‍य गैर-कर राजस्‍व और केन्‍द्रशासित प्रदेशों की प्राप्तियां शामिल हैं। पूंजीगत प्राप्तियों में ऋणों और अग्रिम राशियों की वसूली, बाजार ऋणों को छोड़कर ऋण प्राप्तियां, लघुकालिक ऋण, बाहरी सहायता (सकल), लघु बचत योजनाओं, राज्‍य भविष्‍य निधि और अन्‍य प्राप्तियों के लिए जारी प्रतिभूतियां शामिल हैं, जबकि गैर-ऋण प्राप्तियों में ऋणों और अग्रिम राशियों की वसूली, विनिवेश प्राप्तियां और नीलामी (विक्रय) से प्राप्‍त राजस्‍व शामिल हैं।

बजट दस्‍तावेज में व्‍यय पर दो अलग पुस्तिकायें भी शामिल हैं और पहली पुस्तिका में प्रत्‍येक शीर्ष के लिए राजस्‍व और पूंजी भुगतान तथा योजना व्‍यय का उल्‍लेख किया जाता है। दूसरी पुस्तिका में अनुदान मांगों में व्‍यय प्रस्‍ताव संबंधी परिदृश्‍य शामिल किए जाते हैं।

बजट प्रस्‍तावों को स्‍पष्‍ट करने के लिए राजस्‍व और व्‍यय संबं‍धी घटकों के अलावा यह एक वित्‍त विधेयक भी है। संविधान की धारा 110 (1) (ए) के अनुसरण में इसे पेश किया जाता है। इसके साथ इसमें शामिल प्रावधानों की व्‍याख्‍या करते हुए मेमोरेंडम नामक एक पुस्तिका भी इसके साथ होती है। इस पुस्तिका से उपयोगी जानकारी मिलती है और वित्‍त विधेयक में शामिल कर प्रस्‍तावों से संबंधित विवरणों का भी पता चलता है। मुख्‍य कागजातों के साथ वित्‍त मंत्रालय ‘बजट की मुख्‍य विशेषतायें’ नामक दस्‍तावेज भी उपलब्‍ध कराता है।

शासन में अधिकाधिक पारदर्शिता लाने और वृहद आर्थिक प्रबंधन के क्रम में वित्‍त मंत्रालय ने वित्‍त मंत्री के पिछले वर्ष के बजट भाषण में घोषणाओं के कार्यान्‍वयन की वास्‍तविक स्थिति के साथ-साथ राजकोषीय उत्‍तरदायित्‍व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2004 से संबंधित दस्‍तावेजों को भी दर्शाना शुरू किया है। हालांकि पिछली सरकार ने वर्ष 2008 के वैश्विक वित्‍तीय संकट के कारण भारत पर व्‍याप्‍त वित्‍तीय कुप्रभाव के बाद इस महत्‍वपूर्ण अधिनियम के कार्यान्‍वयन पर एक गतिरोध पैदा कर दिया था, फिर भी, सरकार ने इस अधिनियम के अधीन तीन महत्‍वपूर्ण रिपोर्ट – वृहद आर्थिक कार्यक्रम संबंधी वक्‍तव्‍य, मध्‍यकालिक राजकोषीय नीति संबंधी वक्‍तव्‍य और वित्‍तीय रणनीति संबंधी वक्‍तव्‍य उपलब्‍ध कराना जारी रखा।

वित्‍त मंत्री श्री अरूण जेटली ने पिछली जुलाई में अपने पहले बजट में वर्ष 2014-15 के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्‍पाद के 4.1 प्रतिशत के स्‍तर पर रोकने का वादा किया था, जिस पूरा करने में उन्‍हें कोई कठिनाई नहीं होगी। कच्‍चे तेल की अंतर्राष्‍ट्रीय कीमत में गिरावट होने और अमरीका तथा ग्रेट ब्रिटेन जैसे प्रमुख बाजारों में इस वित्‍त वर्ष में प्राप्तियों के कारण हमारी अर्थव्‍यवस्‍था का जोरदार विकास होने की संभावना बनी है। उद्योगजगत और व्‍यापार की मदद के लिए जनवरी 2015 में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी ब्‍याज दरों में 25 बेसिस अंक की महत्‍वपूर्ण कटौती की। कच्‍चे तेल पर आयात की सरकारी लागत में 50 से 60 अरब डॉलर की भारी कमी आई, जिससे ईंधन पर राजसहायताओं में उल्‍लेखनीय कटौती करने में मदद मिलेगी। सरकार ने पेट्रोल और डीजल के मूल्‍यों में कमी की है। मौजूदा वित्‍त वर्ष में सरकार ने 20,000 करोड़ रूपये से भी अधिक धन जुटाने के उद्देश्‍य से ईंधन पर उत्‍पाद कर लगाने का बुद्धिमत्‍तापूर्ण निर्णय किया। अगले बजट में विनिर्माण क्षेत्र पर जोर देने, आधारभूत व्‍यय और उत्‍पादकता आधारित रोजगार सृजन के अन्‍य उपायों के लिए ‘मेक इन इंडिया’ जैसे विकास कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए संसाधन जुटाने की ओर भी ध्‍यान दिया जायेगा। अपना देश उत्‍पादन सामग्रियों पर आयात करों में कमी लाने में सक्षम हो सकता है और इससे विनिर्माण क्षेत्र के विकास को बल मिल सकता है। इस समय स्‍वाभाविक रूप से सबकी नजरें आम बजट की ओर टिकी हुई हैं जिसे अगली 28 फरवरी 2015 को संसद में पेश किया जाना है।

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free-lance journalist based in New Delhi

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