व्यापमं के दाग

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shivrajsinghcauhan,wyapm scam– संजय रोकड़े – 

जब से मध्यप्रदेश का व्यापमं घोटाला देश के सबसे बड़े और खूनी घोटाले में शुमार हुआ है तब से शिवराज सिंह चौहान खासे परेशान दिखाई दे रहे है। इस घोटाले ने शिवराजसिंह की ही नही बल्कि भाजपा की भी पूरे देश में बदनामी हुई है। इसको लेकर पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं की भी निंद हराम हो चुकी है। व्यापम के खूनी दागों को धोने के लिए शिवराजसिंह सरकार खासकर वे खुद लाख जतन कर चुके है। इस घोटाले के दाग धोने के लिए प्रदेश सरकार ने सबसे पहले एक किताब का प्रकाशन किया फिर मोबाईल ऐप लांच किया इसके बाद व्यापम का नाम बदल कर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन किया। इसी बीच व्यापम को आइएसओ का सर्टिफिकेट भी मिल गया। छवि सुधारने के तमाम प्रयासों में सबसे अहम यह है शिवराज ने एक पीआर एजेंसी को इसकी साख सुधारने का जिम्मा सौप दिया है। इतने जतन के बाद भी बात बनते नही दिखी तो हाल ही मेें धांधली का खुलासा करो एक लाख का इनाम पाओं जैसी घोषणा करके एक तीर से कई निशाने साधने का काम किया है। व्यापमं के दाग धोने की इन कवायदों में सबसे पहले हम उस किताब के बारे में जानते है जिसका शीर्षक है-व्यापमं भ्रम और वास्तविकता। इसके प्रकाशन का ध्येय क्या था और किस हद तक यह किताब दाग धोने में सहयोगी साबित हुई है इसकी कहानी भी बड़ी रोचक है।

 सबसे पहले तो इस किताब को छापने के पीछे मुख्य उदेश्य स्थिति को ओर बिगडऩे से बचाना था। बताया जाता है कि इस किताब के प्रकाशन के बाद शिवराज ने प्रदेश के विधायकों की एक बैठक बुलाकर इसके माध्यम से कांग्रेस को मुंह तोड़ जवाब देने के निर्देश भी दिए थे। चर्चा है कि अपनी साख का निर्माण करने व व्यापमं के दाग धोने के लिए शिवराज ने इस किताब को व्यापक स्तर पर वितरित भी करवायी है। विधायकों को तो सख्त निर्देशित किया गया था कि वे इस किताब के सहारे ही जनता के सामने अपना पक्ष रखे। विधायकों ने भी इस बात पर अक्षरश: पालन किया। वे अमल करते भी क्यों नहीं संगठन का दबाव जो था। इस किताब में ऐसा क्या  था जिसे चलते सरकार अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए लालायित थी। काबिलेगौर हो कि इसमें मुख्य रूप यह बताया गया है कि व्यापमं घोटाले के सामने आने के बाद से सरकार ने अभी तक क्या-क्या प्रयास किए है। चौबीस पन्नों की इस पुस्तक में भाजपा ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि वह उसे यूं ही बदनाम करना चाहती है। इसमें शिवराज को पाक साफ साबित करते हुए लिखा गया कि उन्होंने ही एसटीएफ को व्यापमं की गड़बडिय़ों की जांच सौपी और अब कांग्रेस उन्हें ही दोषी बताने का कुत्सित प्रयास कर रही है। हालाकि इस किताब में लिखी गई बातों की सच्चाई को प्रदेश के व्हिसलब्लोअर सरासर गलत बताते है। व्हिसलब्लोअर इसे व्यापमं भ्रम और वास्तविकता को जनता के सामने लाने वाली नही बल्कि सच को छूपाने और झूठ के सहारे भ्रम फैलाने वाली किताब करार देते है।

सनद रहे कि शिवराज ने व्यापमं के दाग धोने के लिए तकनीकी का भी भरपूर सहारा लिया है। इस पहल के चलते एक मोबाईल एप लांच किया गया है। इस ऐप को लांच करते Vyapam scam ,Vyapam scam storyसमय उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि मुख्य रूप से यह ऐप परीक्षाओं को और पारदर्शी बनाने के लिए लांच किया गया है। इस ऐप के माध्यम से व्यापमं की परीक्षाओं के लिए सीधे आवेदन किया जा सकता है। इसे ड़ाउनलोड़ करने के बाद रजिस्टे्रशन,फीस जमा करने और फॉर्म में बदलाव करने जैसी सुविधाएं भी मिलेगी। इनके बाद व्यापमं का नाम बदलने की भी ठानी। अब इसका नाम बदलकर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड़ या मध्यप्रदेश प्रवेश एवं भर्ती परीक्षा मंड़ल किया जाना है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि हिंदी का नाम बदनाम हो गया है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों व्यापम का नाम मध्यप्रदेश प्रवेश एवं भर्ती परीक्षा मंड़ल रखने की सहमति बनी थी लेकिन अब यह प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड़ के नाम से जाना जाएगा और सरकार ने अपनी सार्वजनिक सूचनाओं में भी प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड़ लिखना शुरू कर दिया है। आप सह भी जाने कि अब अंग्रेजी नाम के सहारे चलने वाले इस व्यापमं के पूर्व में नाम क्या-क्या थे। सबसे पहले सन 1970 में गठन के समय इसका नाम प्री-मेडिक़ल टेस्ट बोर्ड़ रखा गया था। इसके बाद 1981 में इसका नाम प्री- इंजीनियरिंग बोडऱ् कर दिया।

एक साल बाद ही 1982 में यह प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोडऱ् हो गया। इसके बाद इसे हिंदी में व्यावसायिक परीक्षा मंड़ल और इसके छोटे नाम व्यापमं से जाना जाने लगा। अब तीन दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद फिर से इसे अंग्रेजी नाम से पहचान दी गई है। इन कवायदों के बीच ही व्यापमं को एक सर्टिफिकेट भी मिला है। इस प्रमाण-पत्र को पाने के बाद से व्यापमं यह भी दावा कर रहा है कि वह यह सर्टिफिकेट पाने वाली और भर्ती परीक्षा कराने वाली देश की एकमात्र संस्था है। अब हम छवि सुधारने के सबसे अहम प्रयास के बारे में जानते है। इसके चलते शिवराज सरकार ने मेडि़सन इंडिय़ा नाम की एक पीआर एजेंसी को हायर किया है। सूत्रों कि माने तो अब यह एजेंसी व्यापमं के दाग धोने का जिम्मा संभालेगी और इसके लिए वह मीडिय़ा जगत में शिवराज को बेदाग बताने की पहल भी करेगी। इस कंपनी को लेकर प्रदेश सरकार के प्रशासनिक नुमांइदों, भाजपा व कांग्रेस के नेताओं में होने वाली अच्छी-बुरी चर्चाओं में इस बात का खासा जिक्र हो रहा कि मेडि़सन हर महिने एक राष्ट्रीय अखबार,राष्ट्रीय या प्रादेशिक पत्रिका व चैनल में शिवराज का इंटरव्यू करवाएगी। इसके साथ ही अपने स्तर पर मीडिय़ा जगत के महारथियों में शिवराज की साख के निर्माण के लिए एक पुल का काम करेगी।

arrested in Vyapam scamचर्चाएं तो यह भी है कि जो अखबार या चैनल शिवराज और व्यापमं को लेकर अधिक खबरे प्रकाशित या प्रसारित करेगें जिससे उनकी साख पर धब्बा लगे उन्हें मैनेज करने का काम भी यही एजेंसी करेगी। हालाकि इस बात की कोई अधिकारिक तौर पर पुष्टि नही हुई है कि यह एजेंसी किस तरह की सेवाएं देगी। मेडि़सन इंडिय़ा के चेयरमैन सैम बलसारा ने प्रदेश सरकार के साथ हुए करार के बारे में अभी तक किसी भी प्रकार की अधिकृत जानकारी नही दी है लेकिन राज्य सरकार के जनसंपर्क आयुक्त अनुपम राजन की माने तो यह संस्था अब सरकार के साथ काम करेगी। बाजार में फैली चर्चाओं पर विश्वास किया जाए तो कंपनी ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि वह हर माह शिवराज सिंह का बड़े राष्ट्रीय अखबारों व चैनलों में साक्षात्कार करवाएगी। हालाकि साख निर्माण की इस कवायद का भी खासा विरोध होने लगा है। विरोधियों व व्हिसलब्लोबर के बीच इसको लेकर यह चर्चा चल पड़ी है कि इस तरह से तो जांच करने वाली एजेंसी के अफसरों के दिलों दिमाग को प्रभावित करने का काम किया जा रहा है। वे सब इसे सीबीआई को  विचलित करने वाला कदम भी बता रहे है। वे तमाम लोग जो व्यापमं की सच्चाई को बाहर लाने के पक्षधर है-इस बात का प्रबल विरोध कर रहे कि जब तक निष्पक्ष जांच न हो जाए तब तक इस तरह के कदम नही उठाए जाना चाहिए। गड़बड़ी, घोटाले, भ्रष्टाचार, खूनी खेल जैसे शब्दों से बदनाम हो चुके व्यापमं के दाग धोने के लिए अब सरकार ने धांधली का खुलासा करने वालों को एक लाख रूपए का इनाम देने की घोषणा भी की है। व्यापमं जो अब प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोडऱ् के नाम से जाना जाने लगा है उसने बीते दिनों यह निर्णय लिया कि राज्य सरकार के विभागों की आगे आने वाले समय में जितनी भी भर्ती प्रवेश परीक्षाएं होगी उनमें होने वाली धांधली या गड़बड़ी का खुलासा करने वाले को बोडऱ् एक लाख रूपए का नगद इनाम देगा।

 बोडऱ् की चेयरपर्सन अरूणा शर्मा की माने तो इस तरह की व्यवस्था से निगरानी प्रक्रिया और पारदर्शी होगी व अनियमितताओं पर अंकुश भी लगेगा। हालाकि इसके आगे वह यह भी कहती है कि एक लाख रूपया उसी को मिलेगा जिसकी सूचना सही होगी। बता दे कि इस व्यवस्था को सुचारू करने के लिए शीघ्र ही एक टोल फ्री नंबर भी शुरू किया जाएगा। इस नंबर से सिर्फ अफवाह न फैलाई जाए इसके लिए एक ई-मेल आईड़ी जारी करने पर भी विचार किया जा रहा है। ई-मेल आईड़ी जारी करने के पीछे भाव यह भी है कि शिकायतकर्ता पूरी प्रमाणिकता से अपनी बात रख सके। जो भी व्यक्ति फोन और ई-मेल कर शिकायत दर्ज करेगा उसकी पूरी जांच-पड़ताल होगी उसके बाद ही बोडऱ् आगे की कार्रवाई करेगा। सनद रहे कि देश में ऐसा पहली बार होगा जिसके तहत किसी परीक्षा की गड़बड़ी को पकडऩे के लिए इतनी बड़ी राशि के इनाम की घोषणा की गई हो। अब यह बोर्ड़ चतुर्थ श्रेणी की परीक्षाएं भी नही लेगा। इसके लिए जल्दी ही नए दिशा-निर्देश जारी किए जाएगें। चतुर्थ श्रेणी की परीक्षाओं का जिम्मा जिला स्तर पर कलेक्टर या उससे संबंधित विभाग को सौप दिया जाएगा। इस व्यवस्था को अगस्त माह में होने वाली वन रक्षकों की परीक्षा से ही लागू करने का प्रावधान किया जा रहा है। इस तरह से परीक्षाओं की भर्ती प्रक्रिया को बदल कर भी साख निर्माण का प्रयास किया जा रहा है। बता दे कि व्यापमं घोटाले में 2008 से लेकर 2013 तक जितनी भी गड़बडिय़ां सामने आईं है उनमें सॉल्वर बिठाना, मूल परीक्षार्थी की जगह दूसरे व्यक्ति का बैठना। आंसरशीट के गोले खाली रखना। राज्य के बाहर के पीएमटी पास किए हुए लोगों का किसी और की जगह परीक्षा देना जैसी अनियमितताएं सामने आई है। नई व्यवस्था से सरकार को इन पर अंकुश लगने की भी संभावनाएं नजर आ रही है। किताब छापने, मोबाईल ऐप लांच करने, नाम बदलने, आइएसओ सर्टिफिकेट मिलने के साथ ही पीआर एजेंसी को साख सुधारने का जिम्मा सौपने के बाद अब साख निर्माण का यह नया व अनूठा प्रयोग है। इन सब के पूर्व शिवराजसिंह ने कुछ चुनिंदा अफसरों से अलग-अलग चर्चा कर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। वे बोले कि व्यापम को लेकर देशभर में प्रदेश की बदनामी हो रही है आप लोग क्या कर रहे हैं। हमारी संवेदनशीलता सही तरीके से मीडिया के माध्यम से जनता तक नहीं पहुंच पा रही है।

यह मामला जितना सीधा है, उसे उतना ही जटिल बनाकर पेश किया जा रहा है। सबसे पहले अपने सचिवालय के अफसरों से चर्चा कर पूरे मामले को गंभीरता से लेने को कहा। शिवराज ने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि प्रदेश में हर मौत को व्यापमं से जोड़ा जा रहा है, लेकिन हम लोग समय पर संबंधित मृत्यु के सही कारणों की तथ्यात्मक जानकारी नहीं दे पा रहे। इससे लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। विपक्ष और मीडिया व्यापमं घोटाले को देश का सबसे बड़ा घोटाला बनाने पर आमादा है। इस पर नियंत्रण करना जरूरी है, नहीं तो सरकार के साथ-साथ प्रदेश की छवि भी खराब हो जाएगी। अफसरों ने उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए आनन-फानन में सीएम निवास पर चुनिंदा नेशनल मीडिया के प्रतिनिधियों को बुलवाकर व्यापमं पर मुख्यमंत्री का कवरेज करवाया, वहीं दिल्ली के दो अंग्रेजी अखबारों के प्रतिनिधियों को भी बुलाकर डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया गया। खबरें तो यह भी है कि शिवराज ने इसके बाद मंत्रालय में कैबिनेट दल के सदस्यों की बैठक भी की थी। इसी बैठक में मंत्रियों के बीच मतभेद उभर कर सामने आ गए थे।

तकनीकी शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने सरकार की छवि खराब होने की बात रखते हुए सुझाव दिया था कि हमें जनता के बीच जाकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। इसके लिए वे12 बिंदुओं का एक नोट भी लाए थे जिसे सबको बांटा था पर ग्रामीण पंचायत एवं विकास मंत्री गोपाल भार्गव इससे सहमत नहीं हुए। गोपाल ने इस पर अपनी असहमति जताते हुए कहा कि व्यापमं मामले को लेकर जो गुबार आया था, अब चला गया है ऐसे में हम अपनी ओर से जाकर जनता में क्यों सफाई दें? ऐसा करने से यह मामला और बढ़ेगा। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने भी कुछ इसी तरह से अपना विरोध दर्ज करते हुए कहा कि हमें इस मामले में अब कुछ बोलने की जरूरत नहीं है। आज भी ग्रामीण क्षेत्र में व्यापमं के बारे में कोई कुछ नहीं जानता है। हमारे दमोह के लोगों को पता ही नहीं कि व्यापमं मामला क्या है। ऐसे में यदि हम सफाई देंगे तो यह मामला दबने की बजाए बढ़ेगा। मंत्रियों में मतभेद बढ़ता देख मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीच-बचाव कर हस्तक्षेप किया और वे बोले कि मंत्री गुप्ता इस मामले का पूरा नोट तैयार करके लाएं हैं इसे सभी मंत्रियों को अच्छे से पढऩा चाहिए। विपक्ष, मीडिया या अन्य कहीं व्यापमं पर कोई बात करेगा तो उसका जवाब देने में आसानी होगी। इस तरह से शिवराज हर स्तर पर व्यापम के लगे दाग को धोने का काम कर रहे है हालाकि कहीं-कहीं उनका दांव उल्टा भी पड़ते जा रहा है लेकिन वे हार नही मान रहे और प्रयास यही जताने का कर रहे कि मेरी कमीज तेरी कमीज से ज्यादा सफेद है। दाग शिवराज की नीति में नही बल्कि खोट कांग्रेस की सोच में है।

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sanjayrokadeसंजय-रोकड़े1परिचय – :

संजय रोकड़े

पत्रकार ,लेखक व् सामाजिक चिन्तक

लेखक पत्रकारिता से सरोकार रखने वाली पत्रिका मीडिय़ा रिलेशन का संपादन करने के साथ ही सम-सामयिक मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से लेखन करते है।

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निवास – : 103 देवेन्द्र नगर अन्नपूर्णा रोड़ इंदौर ,  मो- :  09827277518 ,  ईमेल – :  mediarelation1@gmail.com

*Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his  own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS

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