सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रतिवर्ष एक करोड़ 11 लाख परिवारों को लगभग 32 लाख मीट्रिक टन गेहूं और चावल का वितरण करती है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न् योजना में प्रतिमाह दो लाख 40 हजार मीट्रिक टन खाद्यान्न् निश्शुल्क दिया जा रहा है। इसके बाद जो अनाज बचता है वो भारतीय खाद्य निगम सेंट्रल पूल में लेकर अन्य राज्यों को भेजता है। प्रदेश के गोदामों में गेहूं और धान का काफी भंडारण है। 2020 में बारिश होने की वजह से गेहूं की चमक प्रभावित हुई थी पर सरकार ने किसानों को नुकसान से बचाने के लिए केंद्र सरकार से विशेष अनुमति लेकर उपार्जन किया था। इस गेहूं को ज्यादा समय तक नहीं रखा जा सकता है, इसलिए नीलामी करने का निर्णय लिया गया है।

मध्य प्रदेश में दो साल पहले समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने पहली बार जो निविदा बुलाई थी, उसमें किसी ने रुचि नहीं दिखाई। अब दोबारा निविदा आमंत्रित की गई है। वहीं, दो लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचने के लिए निविदा बुलाई तो वह औसत दो हजार 198 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक गया। अब पांच लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचने की प्रक्रिया चल रही है। समर्थन मूल्य पर प्रदेश में दो साल से गेहूं और धान की रिकार्ड खरीद हो रही है। पिछले साल 128 लाख मीट्रिक टन गेहूं और इस साल 45 लाख टन से अधिक धान का उपार्जन किया गया।

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