भारतीय रेल बेचारी करती बुलेट ट्रेन की तैयारी

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– निर्मल रानी –

nirmal-rani-निर्मल-रानीभारतवर्ष में लगभग एक दशक से चर्चा का विषय बनी बुलेट ट्रेन अर्थात् तीव्र गति से चलने वाली रेल का सपना लगता है अब पूरा होने के करीब है। पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपनी जापान यात्रा के दौरान जिस तीव्रगति से चलने वाली ट्रेन को भारत में लाए जाने पर चर्चा छेड़ी थी, पिछले दिनों जापान के प्रधानमंत्री के भारत दौरे के बाद संभवत: वह परियोजना अब पूरी होती दिखाई दे रही है। योजना के अनुसार बुलेट ट्रेन की शुरुआत अहमदाबाद व मुंबई जैसे देश के दो पश्चिमी नगरों के मध्य की जानी है। लगभग पांच सौ किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर उच्च गति वाली रेल परियोजना तैयार करने में लगभग एक लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आने की संभावना है। यह धनराशि भी जापान द्वारा ही भारत को कजऱ् के रूप में दी जाएगी। इसमें कोई संदेह नहीं कि उच्च गति से चलने वाली यह ट्रेन परियोजना अपने पूरा होने के बाद भारत को उन चंद देशों की श्रेणी में ला खड़ा करेगी जहां बुलेट ट्रेन संचालित हो रही है। इस समय विश्व के जिन देशों में तीव्रगति की ट्रेन चलाई जा ही है उनमें चीन,जापान,फ्रांस ,जर्मनी,रूस,इटली,पौलैंड, दक्षिणकोरिया,ताईवान, तुर्की,अमेरिका, ब्रिटेन,स्पेन, पुर्तगाल,उज़बेकिस्तान,स्वीडन,आस्ट्रिया तथा बेल्जि़यम  आदि देशों के नाम उल्लेखनीय हैं। इन देशों में सबसे ताज़ातरीन परियोजना चीन देश ने शुरु की है जो इस परियोजना के शुरु करने के साथ ही विश्व में सबसे अधिक दूरी तक की बुलेट ट्रेन रेल लाईन बिछाने वाले देशों में भी शामिल हो गया है। चीन ने अब तक लगभग बीस हज़ार किलोमीटर दूरी तक की रेल लाईन बिछाने में सफलता हासिल की है। आमतौर पर तीव्र गति से चलने वाली यह रेलगाडिय़ां दो सौ किलोमीटर प्रति घंटा से लेकर तीन सौ साठ किलोमीटर प्रति घंटा तक की गति से चलाई जाती हैं।

गौरतलब है कि बुलेट ट्रेन का संचालन सामान्य रेल व्यवस्था से अलग िकस्म का होता है। लिहाज़ा इसके लिए रेल लाईन से लेकर रेलवे स्टेशन,नियंत्रण कक्ष,स्टाफ तथा इससे संबंधित सभी तकनीकी व्यवस्थाएं अलग से करनी पड़ती हैं। अर्थात् यदि भारत में तीव्र गति से चलने वाली बुलेट टे्रन ने अपने पांव पसारे तो इसके लिए नई रेलवे लाईन बिछाने हेतु भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। इसके अतिरिक्त स्टेशन,स्टॉफ से लेकर नियंत्रण केंद्र तक का पूरा ढंाचा नए सिरे से तैयार किया जाएगा। ज़ाहिर है एक लाख करोड़ रुपये जैसी भारी-भरकम रकम जो मुंबई-अहमदाबाद जैसे छोटे रूट के लिए निर्धारित की गई है वह इन्हीं बातों के मद्देनज़र है। यहां यह सोचना भी गलत नहीं होगा कि इतने भारी-भरकम खर्च के बाद शुरु की जाने वाली इस रेल का किराया भी विमान के किराए से कम तो बिल्कुल नहीं होगा,ज़्यादा ज़रूर हो सकता है। पिछले दिनों जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के भारत के दौरे के बाद जब से इस परियोजना पर सहमति हुई उसी समय से इस परियोजना के पक्ष और विपक्ष में तरह-तरह की चर्चाएं छिड़ चुकी हैं। जहां देश का एक वर्ग बुलेट ट्रेन के भारत में आगमन की संभावनाओं पर संतोष जता रहा है तथा इसके पक्ष में कई दलीलें पेश कर रहा है जिसमें खासतौर पर भविष्य में र्इंंधन की कमी तथा वर्तमान जलवायु संकट से निपटने के उपाय जैसे तर्क पेश किए जा रहे हंै वहीं इस परियोजना को लेकर आलोचना के स्वर भी अत्यंत तार्किक व मुखर हैं।

इस परियोजना के आलोचकों के तर्कांे को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। सबसे पहली आलोचना तो इस परियोजना पर आने वाली भारी-भरकम लागत को लेकर है। सवाल यह किया जा रहा है कि एक लाख करोड़ की रकम जापान से उधार लेकर देश में तीव्रगति की रेल चलाया जाना ज़्यादा ज़रूरी है या देश में बुलेट ट्रेन के संचालन से पहले देश की वर्तमान रेल व्यवस्था तथा मौजूदा रेल ढांचे में सुधार ज़रूरी है? हालांकि भारतीय रेल निरंतर सुधार की प्रक्रिया के दौर से गुज़र रही है। परंतु इसके बावजूद अभी भी इससे जुड़ी अनेक ऐसी बुनियादी बातें हैं जो वर्तमान भारतीय रेल व्यवस्था की संपूर्णता पर सवाल खड़ा करती हैं। उदाहरण के तौर पर भारतीय रेल को लेट-लतीफी से निजात नहीं मिल पा रही है। खासतौर पर सर्दियों में कोहरा पडऩे के दिनों में रेलगाडिय़ां 12-14 और 16 घंटे की देरी से चलती दिखाई देती हैं। निश्चित रूप से कोहरे में सिग्रल नज़र आने में दिक्कतें होती हैं जिसकी वजह से रेल की गति कम होने से रेलगाडिय़ों का लेट होना स्वाभाविक है। परंतु आज के आधुनिक युग में और खासतौर पर ऐसे समय में जबकि भारत बुलेट ट्रेन को आमंत्रित करने जा रहा हो सर्वप्रथम वर्तमान रेल व्यवस्था में ऐसी तकनीकी प्रणाली का होना बहुत ज़रूरी है जो धुंध के बावजूद ड्राईवर को सिग्रल होने या न होने की जानकारी स्वत: दे सकें। अन्यथा यदि वर्तमान लाल व हरे सिग्रल को देखने के भरोसे पर  ही गाडिय़ां चलती रहीं तो क्या बुलेट ट्रेन का संचालन भी इस दुवर््यवस्था का शिकार नहीं होगा? दूसरा सबसे बड़ा प्रश्र भारतीय रेल में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर है। हमारे यहां लगभग पूरे देश में मात्र राजधानी व शताब्दी जैसी चंद रेलगाडिय़ों को छोडक़र प्राय: अन्य सभी एक्सप्रेस व पैसंजर रेलगाडिय़ों के किसी भी डिब्बे में कोई भी आसामाजिक तत्व,चोर-लुटेरा या अनाधिकृत वैंडर या भिखारी किसी भी बहाने से प्रवेश कर सकता है। यात्री स्वयं उससे बाहर निकलने के लिए इस लिए नहीं कहता क्योंकि वह किसी विवाद या झगड़े में पडऩा नहीं चाहता। यदि हम चीन जैसे देशों से बराबरी करते हुए बुलेट ट्रेन की दौड़ में शामिल होना चाह रहे हैं तो हमें चीन की ही सामान्य रेल व्यवस्था से सबक लेने की भी ज़रूरत है। चीन में बुलेट ट्रेन अथवा सामान्य टे्रन तो क्या सामान्य रेलवे के स्टेशन के प्लेटफार्म पर भी कोई व्यक्ति बिना टिकट के प्रवेश नहीं पा सकता। और वहां बिना निजी पहचान पत्र के किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया जाता। फिर आिखर कोई चोर-लुटेरा टे्रन के डिब्बे में कैसे प्रवेश कर सकेगा? यही व्यवस्था हमारे देश में भी लागू की जानी चाहिए।

परंतु दुर्भााग्यपूर्ण है कि भारतीय रेल इन दुवर््यवस्थाओं से मुक्ति पाने का रास्ता ढंूढे बिना अत्यंत खर्चीली बुलेट ट्रेन की ओर देख रही है। हमारे देश में कई घटनाएं ऐसी हो चुकी हैं जिनसे यह साबित हो चुका है कि भारतीय रेल में पुलिस की मिलीभगत से यात्रियों को लूटा जाता है। इतना ही नहीं बल्कि पुलिस वाले स्वंय यात्रियों को उनकी तलाशी के बहाने लूट लेते हैं। ऐसे कई मामले जीआरपी में रजिस्ट्रर्ड भी हैं।  देश में कई स्थानों पर जीआरपी,आरपीएफ तथा टिकट निरीक्षक की मिलीभगत से व्यापारियों द्वारा अपना माल बिना किसी रेलवे भुगतान के ढोया जाता है। बिना टिकट यात्रियों से टिकट निरीक्षक द्वारा पैसे लेकर यात्रा करने की छूट दी जाती है। टिकट निरीक्षक आरक्षण के अधिकारी आरएसी या वेटिंग के यात्रियों को बर्थ देने के बजाए उन यात्रियों को पहले बर्थ दे देते हैं जो उन्हें मुंहमांगे पैसे देते हैं। रेलवे स्टेशन पर भिखारियों के रूप में नशेडिय़ों तथा नशे का कारोबार करने वालों की भीड़ देखी जा सकती है। इनमें भी चोर व लुटेरे इसी वेश में पनाह लेते हैं। जो पुलिस रेल की सुरक्षा के लिए रेलवे प्लेटफार्म पर तैनात की जाती है वह अपनी रिश्वत व अपनी कमाई के प्रति इतनी चौकस रहती है कि सुबह चार बजे से ही उन व्यापारियों पर नज़र रखने लगती है जो बिना बुकिंग के अपना सामान ट्रेन पर रखकर ले जाना चाहते हैं। परंतु 24 घंटे प्लेटफार्म पर रहकर नशा करने वाले तथा शराब पीकर नग्रावस्था में पड़े रहने वाले व जुर्म को संरक्षण देने वाले भिखारी रूपी लोगों को प्लेटफार्म से भगाने का कष्ट यही पुलिस गवारा नहीं करती। बजाए इसके कभी उनसे चाय,सिगरेट मंगवाती है तो कभी अपनी स्कूटर व मोटरसाईकल साफ़ करवाती है।

देश में प्लेटफार्म की कमी की समस्या भी एक और बड़ी समस्या है। उदाहरण के तौर पर बिहार के दरभंगा जि़ले का लहेरिया सराय रेलवे स्टेशन प्रारंभ से ही केवल एक प्लेटफार्म परआश्रित है। जबकि दरभंगा जि़ले के अधिकांश सरकारी कार्यालयों के जि़ला मुख्यालय लहेरिया सराय रेलवे स्टेशन के आसपास ही हैं। इसके बावजूद इस स्टेशन पर एक ही प्लेटफार्म है जबकि अक्सर यहां एक साथ कई रेलगाडिय़ां आती-जाती रहती हैं। यहां केवल प्लेटफार्म नंबर एक के यात्री ही सुरक्षित तरीके से प्लेटफार्म पर चढ़-उतर पाते हैं अन्यथा दूसरी व तीसरी लाईन पर आने वाली गाडिय़ों तक यात्रियेंा का पहुंचना तथा अपने निर्धारित डिब्बे तक पहुंचना यात्रियों के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है। इस स्टेशन पर कई बार लाईन नंबर 2 व 3 पर पत्थरों पर दौड़ते हुए यात्री दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं और कई लोगों की तो ट्रेन ही छूट जाती है। खासतौर पर वृद्धों व महिलाओं को तो काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार के देश में सैकड़ों रेलवे स्टेशन हैं जहां यात्रियों की सुविधाओं व उनकी सुरक्षा हेतु प्लेटफार्म नंबर दो-तीन या चार के निर्माण की आवश्यकता है। ज़ाहिर है इन बुनियादी ज़रूरतों को पहले पूरा किए जाने की ज़रूरत है न कि इन समस्याओं को नज़रअंदाज़ करते हुए सीधे बुलेट ट्रेन दौड़ाने के सपनों को पूरा करने की।

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nirmal-rani-निर्मल-रानीपरिचय – :

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क : – Nirmal Rani  : 1622/11 Mahavir Nagar Ambala City13 4002 Haryana ,  Email : nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

* Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS .

 

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