अनिल शर्मा के गीत व् ग़ज़ल

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अनिल शर्मा के गीत व् ग़ज़ल

1- (  गीत )

नीवें सब खोखली हुईं
कंगूरे आंकते रहे
घर से उठता रहा धुआं
दूर खड़े ताकते रहे !!
नीवें सब खोखली हुईं ………………

शहनाई ने करवट ली
नदिया फिर खो गई कहीं
पर्वत ने तान लिया मौन
लोग प्रश्न उछालते रहे !!
नीवें सब खोखली हुईं ………

सोचा था जीवन के तम
काटेंगें लोगों के हम
सूरज की आग लिए
हम उनके पास भी गए
लोग महज़ तापते रहे
दूर-दूर भागते रहे !!
नीवें सब खोखली हुईं …………….

फुनगी पर आ बैठी शाम
लोगों के थे अपने काम
हीरे सा तन लिए हुए
दर्द से कराहते रहे !!
नीवें सब खोखली हुईं ………………

2- (  गीत )

रिश्ते वो अजनबी हुए
हमने जो प्यार से छुए
कितना भी बोएं हम अपनापन
आँगन में गंध उठे गैरों की
हम तो कस्तूरी मृग हुए
रिश्ते वो अजनबी हुए………

चाहे जितना भ्रम फैलाओ
दाना डालो और कहीं छुप जाओ
हाथ नहीं आयेंगे हम
दर्दों के जंगली सूए
रिश्ते वो अजनबी हुए………..

जीवन भर निभा देने का
वास्ता न दो हम को
शब्द बहुत भारी हैं ये
अखियों में कहीं न चुए
रिश्ते वो अजनबी हुए ……….

मत बांधों नेह का समंदर
बेमतलब होता है खारा जल
फिर विश्वासों के अभी
रीते-रीते हैं कुए
रिश्ते वो अजनबी हुए………

3- ( ग़ज़ल )

कोई कली हौले से
मुस्करा के सिर नीचा करे
तो लिखी जाये ग़ज़ल
कोई इंतजारी में
पोर-पोर गिनती फिरे
तो लिखी जाये ग़ज़ल
कोई कली हौले से……….

कोई कई पाखों में
पाए एक छोटा ख़त
और तभी नयनों से
झर जाए मेघ सजल
तो लिखी जाये ग़ज़ल
कोई कली हौले से………..

सिर्फ बाहर ही नहीं
भीतर के बिम्बों में
मन में उगे ताजमहल
तो लिखी जाए ग़ज़ल
कोई कली हौले से………

4-( ग़ज़ल )

कब तक चलता रहेगा यह क्रम
तोड़ने का थोड़ा जोड़ने का
फिर चूर-चूर करने का
मुझे पता है,
तुम एक नया फ़तवा देकर
फिर से इकठ्ठा कर लोगे हमें
अपने परचम के नीचे !

लेकिन मैं कहता हूँ
मत दो अंतर्मुखी आदर्शों का कहर
मत करों नई पीढ़ी को सोचने पर बाध्य
तुम तो उसे मात्र
खरीदते रहो
और भोगते रहो
जब तक सागर का उफान
सीमा नहीं तोड़ता
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anil sharma,anil sharma poet,परिचय
अनिल शर्मा

# 32 वर्षों से पत्रिकारिता क्षेत्र में, इनमें दस वर्षों तक जनसत्ता बम्बई में रिपोर्टर तथा २२ वर्षों तक अमर उजाला कानपूर, झाँसी तथा उरई में सीनियर रिपोर्टर सब एडीटर के रूप में कार्य किया !

# दूरदर्शन बम्बई में कविता पाठ
# जालौन जिले के ग्राम आलमपुर में एक अंध विश्वास फ़ैलाने वाले गिरोह द्वारा एक नवालिग़ लड़की को सरस्वती  देवी बनाकर पूजने तथा बाद में हत्या कर मूर्ति लगाने के षड्यंत्र का पर्दाफास कर पत्रिकारिता का सफल निर्वाह
# सम्प्रति, कविता, गीत, लघुकथा, कहानियां, आदि लिखना
# वर्ष2014 से यू.पी.इलेक्शन वाच फेलोशिप
# वर्तमान में यू.पी. इलेक्शन के समन्वयक

सम्पर्क – मोब. न. 0979449744  – वर्तमान में उरई में निवास

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