अनंत कुमार हेगड़े और भारतीय संविधान

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– तनवीर जाफरी – 

कर्नाट्क से भारतीय जनता पार्टी के सांसद तथा केंद्रीय कौशल विकास राज्य मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने हालांकि भारतीय संविधान  संशोधन के संंबंध में दिए गए अपने आपत्तिजनक बयान को वापस लेते हुए सदन में माफी मांग ली है। और इस प्रकार यह विवाद िफलहाल थम गया है। परंतु इसका यह अर्थ कतई नहीं निकाला जाना चाहिए कि दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी शक्तियों द्वारा भारतीय संविधान की मूल आत्मा अर्थात् उसके धर्म/पंथ निरपेक्ष व समाजवादी स्वरूप पर भविष्य में भी प्रहार नहीं किया जाएगा। अभी कुछ ही दिन पहले की उस घटना को मद्देनज़र रखा जाना चाहिए जबकि देश में पहली बार इसी विचारधारा के उपद्रवियों द्वारा उदयपुर की सत्र न्यायालय पर भगवा ध्वज लहरा दिया गया था। भले ही वर्तमान केंद्र सरकार अथवा भाजपा के लोग या उसके वैचारिक सहयोगी संगठन वक्त की नज़ाकत को देखते हुए भारतीय संविधान को सम्मान देने की बात क्यों न कहें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संसद में अपने प्रथम प्रवेश के समय संसद की चौखट पर अपना मस्तक रखकर यही जताने की कोशिश की थी कि वे देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था तथा भारतीय संविधान को पूरा मान-सम्मान दे रहे हैं। परंतु यह कहना गलत नहीं है कि मोदी काल में ही जिस प्रकार गत् साढ़े तीन वर्षों से किसी न किसी बहाने देश के जि़म्मेदार यहां तक कि भारतीय संविधान की रक्षा की जि़म्मेदारी उठाने वाले लोगों द्वारा संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं यह भी किसी से छुपा नहीं है।

हमारे देश के संविधान की मूल प्रस्तावना की शब्दावली के अनुसार-‘हम भारत के लोग,भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न,समाजवादी,पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक न्याय,विचार, अभिव्यक्ति,विश्वास,धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ संविधान को अंगीकृत,अधिनियमित और आत्मार्पित की गई है’। हमारे देश का लोकतंत्र अथवा गणराज्य सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक रूप से ‘सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया:’भारतीयता की आत्मा के इस  मूल सिद्धांत में ही सभी लोगों के मंगल की कामना की गई है। सभी स्वस्थ हों,सभी शुभ को पहचान सकें, कोई प्राणी दु:खी न हो’। इस आशय का यह वाक्य हमारे उपनिषद् से लिया गया है। हमारे संविधान में निहित समाजवादी व्यवस्था हमें यह विश्वास दिलाती है कि राज्य के सभी आर्थिक,भौतिक या अभौतिक संसाधनों पर अंतिम रूप से राज्य का अधिकार होगा। यह किसी एक व्यक्ति के हाथ में केंद्रित नहीं होगा। इसी प्रकार संविधान की पंथ अथवा धर्मनिरपेक्षता हमें यह बताती है कि राज्य का कोई अपना धर्म नहीं होगा। सभी धर्मों का समान आदर किया जाएगा।

परंतु गत् 4 वर्षों में देश में जिस प्रकार की राजनैतिक उथल-पुथल मची हुई है तथा देश के संविधान की रक्षा का जि़म्मा उठाने वालों के ही द्वारा जिस तरह की बातें की जा रही हैं उससे यह स्पष्ट होने लगा है कि आज नहीं तो कल भारतवर्ष की पंथ/धर्मनिरपेक्षता व समाजवादी व्यवस्था पर प्रहार ज़रूर किया जाएगा। अनंत कुमार हेगड़े उस व्यक्ति का नाम है जो देश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैदर अली व टीपू सुल्तान को देश का दुश्मन बताता हैं। यह वह व्यक्ति है जो धर्मनिरपेक्ष लोगों को ऐसी नस्ल का मानता है जिन्हें अपने मां-बाप और खून का पता ही नहीं। और यही महाशय सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि हम संविधान को बदलने आए हैं और जल्द ही उसे बदलेंगे। देश के और भी कई मंत्री व सांसद कभी अल्पसंख्यकों के विरुद्ध ज़हर उगलकर तो कभी दलितों व पिछड़ों के विरुद्ध अपनी भड़ास निकाल कर तो कभी देश के वंचित व दबे-कुचले समाज को मिलने वाले आरक्षण पर उंगली उठाकर अपने वास्तविक विचारों व सिद्धातों से अवगत कराते रहते हैं। ऐसा कर यह हिंदूवादी विचारधारा रखने वाले लोग समय-समय पर अपने गुप्त एजेंडे का परिचय कराते रहते हैं। ऐसी शक्तियों का हमेशा से ही यह प्रयास रहा है कि किसी प्रकार भारतवर्ष की बहुरंगी संस्कृति को एकरूपता में परिवर्तित कर दिया जाए। और दूसरी ओर भारतीय संविधान ठीक इनकी विचारधारा के विपरीत देश के सभी धर्मों व जातियों के नागरिकों को समान अवसर व समान रूप से मान-सम्मान दिए जाने की गारंटी देता है। इसीलिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में निर्मित भारतीय संविधान इन्हें रास नहीं आता।

इस संदर्भ में एक और बात काबिल-ए-गौर है कि भारतवर्ष को एकरूपता की नज़रों से देखने वाली शक्तियां अपने पड़ोसी देश नेपाल से सबक क्यों नहीं ले पातीं। जो नेपाल हमेशा से विश्व का एकमात्र हिंदू राष्ट्र था वही नेपाल आज एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बन चुका है। बावजूद इसके कि भारत में सत्ता में बैठी हिंदूवादी ताकतों द्वारा तथा उसके संरक्षक हिंदूवादी संगठनों के नेताओं द्वारा इस बात की पूरी कोशिश की जाती रही है कि किसी तरह नेपाल के हिंदू राष्ट्र के स्वरूप को बरकरार रखा जाए। परंतु वहां की जनता ने नेपाल के धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने की वकालत की और एक धर्मनिरपेक्ष संविधान लिखने की ओर राष्ट्र आगे बढ़ गया। जबकि नेपाल में लगभग 82 प्रतिशत जनसंख्या हिंदू धर्म के लोगों की है,9 प्रतिशत के लगभग बुद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं और 3 प्रतिशत जनसंख्या मुसलमान धर्म के लोगों की है। ईसाई समुदाय के लोग मात्र 1.4 प्रतिशत ही हैं। इसके बावजूद नेपाल के लोगों ने हिंदू राष्ट्र के बजाए पंथ निरपेक्ष राष्ट्र बनना ही गवारा किया। और यदि हम धर्म आधारित राष्ट्र के रूप में दूसरे पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर नज़र डालें तो भी हम बड़ी आसानी से इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि धर्म और सियासत का घालमेल देश को किस दुर्दशा तक पहुंचा सकता है। अफगानिस्तान,इराक,सीरिया,बंगलादेश, बर्मा आदि देशों की सूरत-ए-हाल आज किसी से छुपी नहीं है। इन सभी देशों की बरबादी व बदहाली का कारण ही धर्म और राजनीति का घालमेल ही है।

ऐसा भी नहीं है कि भारतीय संविधान में कभी संशोधन नहीं किए गए हैं। समय-समय पर ज़रूरत के मुताबिक और भारतीय नागरिकों के कल्याण को मद्देनज़र रखते हुए इसमें कई बार संशोधन हो भी चुके हैं। परंतु भारतीय संवधिान की मूल प्रस्तावना में न कभी संशोधन हुआ है और न हो सकता है और न ही होना चाहिए। क्योंकि यही मूल प्रस्तावना पूरे भारतवर्ष को न केवल एक समाजवादी धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में एकजुट किए हुए है बल्कि यह संविधान देश के समस्त नागरिकों को न्याय,स्वतंत्रता,समानता,परस्पर भाईचारा तथा राष्ट्र की एकता व अखंडता को बनाए रखने हेतु भी संकल्पित है। हमारा संविधान हमें विचारों व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अपने विश्वास तथा धर्म को मानने तथा अपने ढंग से उपासना करने की पूरी स्वतंत्रता देता है। यह हमें समान रूप से प्रतिष्ठा व अवसर की समता की गारंटी देता है। लिहाज़ा संविधान की रक्षा व इसके सम्मान में ही देश की रक्षा व सम्मान निहित है। लिहाज़ा भारतीय संविधान के बुनियादी सिद्धांतों से छेड़छाड़ कतई नहीं की जानी चाहिए।

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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