पाक फौज के लिए चुनौती बना तहरीक-ए-तालिबान *

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ttp{ तनवीर जाफरी **} प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर अ$फ$गानिस्तान जैसे देश को खंडहरों में परिवर्तित करने वाला तालिबानी नेटवर्क अब पाकिस्तान पर अपनी पकड़ मज़बूत कर चुका है। ऐसा नहीं है कि यह सब गुपचुप तरी$के से या अचानक हो रहा है। बल्कि सही मायने में इसकी जि़म्मेदार $खुद पाकिस्तान की वह हुकूमत और $फौज है जिसने अ$फ$गानिस्तान स्थित तालिबान को नजीब विरोधी आंदोलन को संचालित करने हुते पाकिस्तान में सुरक्षित स्थान मुहैया कराया था। पिछले दिनों पाक स्थित तहरीक-ए-तालिबान तथा पाक सरकार द्वारा अपने-अपने वार्ताकारों के माध्यम से होने वाली बातचीत का जो सिलसिला स्थगित हुआ उसका मुख्य कारण ही यही था कि तहरीक-ए-तालिबान अपनी इस जि़द पर अड़ा हुआ था कि पाकिस्तान हुकूमत के साथ उनकी बातचीत केवल पाकिस्तान में शरिया $कानून लागू किए जाने की शर्त पर ही आगे बढ़ सकती है। तहरीक-ए-तालिबान का सा$फ कहना है कि वे पाकिस्तान में शरिया $कानून लागू करने की शर्त से कम पर कोई बातचीत आगे बढ़ाने को तैयार ही नहीं हैं।
सवाल यह है कि पाकिस्तान में शरिया लागू करने की बात तहरीक-ए-तालिबान द्वारा क्या आज अपने को पाकिस्तान में मज़बूत स्थिति में पहुंचा लेने के बाद ही की जा रही है? या अ$फ$गानिस्तान तालिबानी संगठनों की शह पर अथवा अन्य पाक स्थित आतंकवादी संगठनों के कहने पर पाक में शरिया लागू करने की आवाज़ उठ रही है? जी नहीं। ऐसा हरगिज़ नहीं है। दरअसल जब अ$फ$गानिस्तान में तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंकने के म$कसद से अमेरिका ने अपने नाटो सहयोगी देशों के साथ मिलकर अ$फ$गानिस्तान की तालिबान हुकूमत के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई की थी उसी दौरान पाकिस्तान में पनाह लिए बैठे तालिबानी प्रवक्ताओं द्वारा पाकिस्तान में उनके अपने प्रभाव क्षेत्र में इस आशय के पोस्टर जगह-जगह चिपकाए जा रहे थे तथा पर्चे बांटे जा रहे थे जिनमें पाकिस्तान में भविष्य में शरीया $कानून लागू करने की तालिबानी मंशा का उल्लेख किया जाता था। गोया शरिया $कानून लागू करने की तालिबानी मंशा कोई नई नहीं बल्कि यह ओसामा बिन लाडेन व मुल्ला मुहम्मद उमर जैसे इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने की सोच रखने वाले आतंकी नेताओं के दिमा$ग की उपज है। जिसकी शुरुआत उन्होंने अ$फ$गानिस्तान से करने की कोशिश की थी। अ$फ$गानिस्तान में शरिया $कानून की आड़ में तालिबानी औरतों का कैसा हश्र कर रहे हैं, शिक्षा के प्रति इनका क्या रवैया है? उदारवाद पर इनका क्या नज़रिया है? सहिष्णुशीलता इन्हें कितनी आती है? दूसरे देशों व $कौमों के साथ संबंध मधुर बनाने की इनमें कितनी क्षमता है? वर्तमान भूमंडलीकरण के दौर में यह कट्टरपंथी ता$कतें अपने-आप को कहां खड़ा पाती हैं यह सब पूरी दुनिया देख रही है। ऐसे में दुनिया का कोई भी ऐसा देश जहां विभिन्न धर्मों,वर्गों, जातियों तथा विचारधाराओं के लोग रहते हों, यहां तक कि स्वयं इस्लामी शरिया $कानून के सर्वमान्य होने पर स्वयं मुस्लिम समाज के विभिन्न वर्ग प्रश्रचिह्न खड़ा कर रहे हों ऐसी जगह आ$िखरकार शरिया $कानून लागू करने का औचित्य ही क्या है? सिवाए इसके कि तालिबानी कट्टरपंथियों ने मुसलमानों तथा मुस्लिम देशों को शरिया $कानून के नाम पर अपनी ओर आकर्षित करने का इसे एक माध्यम मात्र बना लिया है।
बहरहाल, ऐसा लगता है कि पिछले दिनों पाक स्थित तहरीक-ए-तालिबान व पाक सरकार के मध्य प्रस्तावित बातचीत अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद अब पाक सरकार व सेना इस नतीजे पर पहुंच चुकी है कि तहरीक-ए-तालिबान अपनी जि़द व हठधर्मी के चलते संभवत:बातचीत व सुलह-स$फाई की भाषा समझ पाने में असमर्थ है। तहरीक-ए-तालिबान की ओर से पाक सरकार व सेना को ऐसा संदेश उन दिनों पु$ख्ता तौर पर मिल गया होगा जबकि तालिबानी आतंकी पाक सरकार के वार्ताकारों से हाने वाली वार्ता के दौरान भी अपने हमलों को विराम नहीं दे पा रहे थे। यहां तक कि उनके प्रवक्ता ने यह कह दिया था कि वार्ता चलती रहने पर भी उनके हमले नहीं रुकेंगे। हठधर्मिता की इससे बड़ी मिसाल और क्या हो सकती है? और आ$िखरकार शरिया लागू करने की उनकी एकसूत्रीय जि़द के चलते वार्ता विफल हो गई और अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।  ऐसे में पाकिस्तानी सेना व सरकार के समक्ष अब इसके सिवाए कोई दूसरा चारा शेष नहीं बचता कि वे या तो  आस्तीन के इन सांपों को कुचलने की गंभीर,ईमानदाराना व निरंतर चलने वाली स$ख्त युद्धस्तरीय सैन्य कार्रवाई करे। और या फिर अपने पाले-पोसे इन ज़हरीले सांपों को पाकिस्तान को अपनी गिर$फ्त में पूरी तरह लेने के लिए छोड़ दे। जबकि यह दोनों ही $कदम पाकिस्तान के लिए आसान नहीं हैं।
हालंाकि गत् दिनों पाक सेना ने तहरीक-ए-तालिबान से वार्ता विफल होने के बाद $खैबर प$ख्तून $ख्वाह के प्रांत मीर अली और $खैबर एजेंसी क्षेत्र में जेट लड़ाकू विमानों से तहरीक-ए-तालिबान के ठिकानों पर बमबारी की। इस कार्रवाई में गनशिप हैलीकॉप्टर का भी इस्तेमाल किया गया। इस कार्रवाई में 15 तहरीक-ए-तालिबान के लड़ाकों के मारे जाने का समाचार है। इस घटना के अगले ही दिन यानी 22 $फरवरी को $खैबर प$ख्तून $ख्वाह प्रांत के हंगु जि़ले में गनशिप हैलीकाप्टर से तालिबानों के दो अलग-अलग ठिकानों पर बमबारी की गई जिसमें 6 तालिबानी ढेर कर दिए गए। यह कार्रवाई उस समय हुई जबकि सेना की सूचना अनुसार इस जगह छुपे तालिबानी पाकिस्तान में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे।उत्तरी वज़ीरीस्तान में ही एक और हवाई हमले में पाक सेना ने तीस आतंकियों को मार गिराने का दावा किया। इससे पहले भी उत्तरी वज़ीरीस्तान के कई इला$कों में पाकिस्तान सेना बमबारी कर सैकडों तालिबानी लड़ाकों को मौत के घाट उतार चुकी है। इस क्षेत्र के मीर अली व मीरानशाह क्षेत्र में ऐसे हवाई हमले सेना पहले भी कर चुकी है। ऐसी सैन्य कार्रवाई करने के बाद पाक सेना जहां तालिबानी लड़ाकों के मारे जाने का दावा करती है वहीं साथ ही साथ पाकिस्तान में ही पनाह लिए बैठा तालिबान प्रवक्ता शाहिदुल्ला शाहिद सेना के दावों को झुठलाते हुए यह बताता है पाक हमलों में लड़ाके नहीं बल्कि औरतें व बच्चे मारे गए हैं। ऐसा बयान देकर तालिबान आम मुसलमानों की हमदर्दी अपने पक्ष में हासिल करना चाहते हैं तथा पाकिस्तानी सेना को ज़ालिम तथा मानवता विरोधी प्रमाणित करने की कोशिश करना चाहते हैं। तालिबान प्रवक्ता का तो यहां तक आरोप है कि पाक सेना ने तालिबानी लड़ाकों के बीवी-बच्चों को बड़ी संख्या में गिर$फ्तार कर रखा है जबकि पाक सेना इस बात से सा$फ इंकार करती है। बजाए इसके गृहमंत्री चौधरी निसारअली ने तो सा$फतौर पर यहां तक कह दिया है कि अब आतंकियों के किसी भी हमले का जवाब उनके गढ़ पर हमले करके दिया जाएगा।
पाकिस्तान पर बढ़ता तालिबानी शिकंजा केवल पाकिस्तान के लिए ही चिंता का विषय नहीं है बल्कि इसका सरोकार पड़ोसी देश भारत सहित पूरी दुनिया से भी है। तालिबानों की जि़द, उनकी अमानवीय हरकतें,उनकी निर्दयता तथा कट्टरपंथ व रूढ़ीवादी सोच ऐसी है जो केवल पाकिस्तान या अ$फ$गानिस्तान की जनता के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए यह विचारधारा एक बड़ा $खतरा है। इसलिए इनके विस्तार को तत्काल लगाम लगाना बेहद ज़रूरी है। बातें तो यह इस्लाम धर्म की करते हैं परंतु इनके कारनामे पूरी तरह से $गैर इस्लामी और $गैर इंसानी हैं। इन शक्तियों पर ओसामा बिन लाडेन व मुल्ला मोहम्मद उमर जैसे आतंकवादी सरगनाओं ने पूरे विश्व में इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने का भूत सवार कर दिया है। अपने इस अंधे मिशन को हासिल करने के लिए यह शक्तियां कभी भी कहीं भी और कुछ भी करने को तैयार हैं। ऐसे में पाकिस्तान चूंकि परमाणु हथियार संपन्न देश भी बन चुका है इसलिए पाकिस्तानी सरकार व सेना का अपने परमाणु ठिकानों की सुरक्षा के लिए चिंता करना बेहद ज़रूरी है। तालिबान ता$कतें पाकिस्तान में बार-बार $फौजी ठिकानों को अपने निशाने पर लेकर इसी बात का अंदाज़ा लगाना चाहती हैं कि कि आ$िखर देखें कि पाक सेना व सरकार इनसे निपटने के क्या उपाय अपनाती है और अपने विरुद्ध होने वाले हमलों के परिपेक्ष्य में किस $कद्र सहनशीलता बरतती है। पिछले दिनों तो पाकिस्तान के सूचना मंत्री परवेज़ राशिद ने तालिबानों की अमानवीय सैन्य विरोधी कार्रवाईयों से दु:खी होकर यहां तक कहा था कि 1971 में भारत ने भी पाक $फौजियों के साथ वैसा सुलूक नहीं किया जैसाकि तालिबानी पाक सेना के साथ कर रहे हैं। पाकिस्तान के एक जि़म्मेदार मंत्री का ऐसा बेबसी भरा बयान पाकिस्तानी हुकूमत की लाचारी की तर$फ भी इशारा करता है।
बहरहाल, अब पाकिस्तानी सेना को अपने सबसे बड़े दुश्मन तहरीक-ए-तालिबान के विरुद्ध आर-पार की लड़ाई लडऩी चाहिए। यह लड़ाई केवल उनके गुप्त ठिकानों तक ही सीमित नहीं रखनी चाहिए बल्कि लाल मस्जिद जैसे शहरी ठिकाने तथा अब्दुल अज़ीज़ जैसे तालिबानों के सैकड़ों सलाहकारों को भी अपने निशाने पर रखते हुए इन पर तालिबानी गतिविधियों को सरंक्षण देने या इसका विस्तार करने की कोशिशों पर भी रोक लगानी चाहिए। इनके जो हमदर्द सत्ता या विपक्ष में बैठते हों तथा सेना,अदालतों,प्रशासनिक तथा सामाजिक संगठनों के रूप में संचालित हो रहे हों उनपर भी प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इनके आर्थिक स्त्रोत तथा शस्त्रों व गोला-बारूद की आपूर्ति भी स्थायी रूप से बंद कर देनी चाहिए। यदि पाक सेना ने पूरी शक्ति व निरंतरता के साथ तालिबान विरोधी मिशन छेड़ा फिर तो शायद पाकिस्तान को तालिबान मुक्त बनाया जा सके। अन्यथा $िफलहाल यह शक्तियां पाक $फौज सहित पूरे पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी हैं।

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Tanveer Jafri**Tanveer Jafri ( columnist),(About the Author) Author Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc. He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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