मानहानि के मुकद्दमे केजरीवाल पर ही क्यों?

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–  तनवीर जाफरी –

दिल्ली उच्च न्यायालय ने हालांकि चुनाव आयोग द्वारा आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता निलंबित किए जाने के निर्णय के विरुद्ध अपना आदेश देकर आम आदमी पार्टी को बड़ी राहत दी है। परंतु इस फैसले के कुछ ही दिन पूर्व तक जन आंदोलनों से तप कर निकले नेता अरविंद केजरीवाल एक बार फिर सत्ता तथा विपक्ष सहित मीडिया के भी निशाने पर थे। उनपर आरोप हैं कि उन्होंने विभिन्न राजनैतिक दलों के कई नेताओं के विरुद्ध कई अलग-अलग िकस्म के गंभीर आरोप लगाए। जिनमें नशे का कारोबार करने तथा भ्रष्टाचार जैसे आरोप शामिल थे। जिन लोगों पर केजरीवाल ने आरोप लगाए हैं वे राजनेता केवल केजरीवाल के ही निशाने पर नहीं थे बल्कि उनके परस्पर विरोधी नेता तथा मीडिया द्वारा भी इन्हीं नेताओं के विरुद्ध यही आरोप बार-बार दोहराए भी जा रहे थे। परंतु किसी भी नेता द्वारा न तो अपने किसी विरोधी नेता अथवा राजनैतिक दल के विरुद्ध कोई मानहानि का मुकद्दमा दर्ज कराया गया न ही किसी मीडिया समूह को अदालत में इस बात के लिए खींचने की कोशिश की गई कि उसने बिना किसी सुबूत के आिखर निराधार आरोप क्यों लगाए? परंतु  भाजपा, कांग्रेस व अकाली दल सभी पार्टियों के नेताओं ने केजरीवाल पर मानहानि का मुकद्दमा ठोक दिया। और कानूनी दबाव डालने की गरज़ से दिल्ली की मुख्यमंत्री जैसी जि़म्मेदार कुर्सी पर बैठे हुए केजरीवाल को मानहानि के मुकद्दमों में उलझा कर रख दिया।

यदि हम केजरीवाल द्वारा लगाए गए इन आरोपों तथा इससे संबंधित मानहानि के मुकद्दमों को छोड़ भी दें तो भी पूरा देश समय-समय पर यह देखता रहा है कि केंद्र सरकार ने केजरीवाल की दिल्ली सरकार के संचालन में कितनी बार और किस-किस प्रकार के रोड़े अटकाने की कोशिश की है। आए दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री तथा दिल्ली के उपराज्यपाल के मध्य केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारों तथा कार्यक्षेत्र को लेकर रस्साकशी होते देखी जा चुकी है। केजरीवाल के मुख्यमंत्री कार्यालय में छापेमारी,फाईलों को ज़ब्त करना,उनके निकटस्थ अधिकारियों को परेशान करना, छोटी-छोटी बातों को लेकर आम आदमी पार्टी के मंत्रियों व विधायकों को कानूनी रूप से परेशान करना,दिल्ली सरकार को अपमानित करने की कोशिश करना आदि आए दिन मीडिया की सुिर्खयों में छाया रहा है। जबकि इसी तस्वीर का एक दूसरा पहलू यह भी है कि फरवरी 2015 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने जिस अपार बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई थी वह भारतीय राजनीति के इतिहास का सबसे आश्चर्यजनक परिणाम था। दिल्ली कीे 70 सीटों की विधानसभा में 67 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी ने स्वयं को राष्ट्रीय राजनैतिक दल कहने वाली भाजपा व कांग्रेस को ज़बरदस्त आईना दिखाया था। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सहयोग से चुनाव जीतने में कोई हथकंडे बाकी नहीं छोड़े थे। परंतु केजरीवाल की झाड़ू ने सभी को धो डाला।

अब राजनैतिक विश£ेषकों,मीडिया तथा राजनेताओं द्वारा अरविंद केजरीवाल से यह सवाल किया जा रहा है कि उन्होंने जब अपने विरोधियों पर आरोप लगाए और विरोधियों ने उनपर मानहानि के मुकद्दमे दायर किए ऐसे में केजरीवाल माफी क्यों मांग रहे हैं? वे उन आरोपों को साबित क्यों नहीं करते? दूसरी ओर केजरीवाल के निकटवर्ती सूत्रों का यह कहना है कि वे इन मुकद्दमों में उलझकर अपनी जि़म्मेदारियां पूरी कर पाने हेतु समय नहीं निकाल पाते और उनका अधिकांश समय इन्हीं मुकद्दमों को निपटाने व इससे संबंधित कानूनी सलाह-मशविरे आदि में बीत जाता है लिहाज़ा इनसे बचने के लिए ही केजरीवाल ने अपने विरोधियों से माफी मांग लेना ही बेहतर समझा। परंतु केजरीवाल के आलोचक केवल यही बात दोहरा रहे हैं कि उनके द्वारा लगाए गए आरोप झूठे थे उनके पास इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सुबूत नहीं थे। लिहाज़ा स्वयं को मानहानि में फंसता देखकर केजरीवाल ने स्वयं को बचाने की गरज़ से माफी मांगने का रास्ता अपनाया? इस संदर्भ में जनता को इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि आिखर अन्य दलों के वे नेता जो एक-दूसरे पर केजरीवाल द्वारा लगाए गए आरोपों से भी अधिक गंभीर आरोप लगाते रहते हैं उनके विरुद्ध आिखर कोई मानहानि का मुकद्दमा क्यों नहीं करता? इसी प्रकार के बेबुनियाद आरोपों को लेकर देश की सरकारें तक गिर चुकी हैं। परंतु उसके बावजूद किसी को किसी के विरुद्ध मानहानि का मुकद्दमा करते नहीं सुना गया।

उदाहरण के तौर पर बोफोर्स तोप सौदे में कथित दलाली का विषय चुनाव प्रचार में इतना चर्चित हुआ कि 1989 में इसी बोफोर्स दलाली व भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते केंद्र की राजीव गांधी सरकार गिर गई और विश्वनाथ प्रतापसिंह देश के प्रधानमंत्री बन गए। क्या देश जानता है कि बोफोर्स दलाली व भ्रष्टाचार के मामले में देश का कौन सा नेता जेल गया? या किस नेता ने किसी विरोधी पर मानहानि का मुकद्दमा दायर किया? इसी प्रकार 2014 में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मनमोहन सिंह सरकार के पतन का कारण बना। नतीजा आज सबके सामने है। जो आरोपी इस संबंध में पकड़े भी गए थे उन्हें भी अदालत ने बेगुनाह कहते हुए बरी कर दिया। इसके अतिरिक्त भी नेताओं द्वारा हमारे देश की निम्रस्तर की घटिया राजनीति में एक-दूसरे पर अत्यंत बेहूदा,अनर्गल तथा बिना किसी सुबूत के आरोप-प्रत्यारोप किए जाते रहे हैं। प्राय: कई नेता यह तक कहते सुने जाते हैं कि अमुक नेता मुझे जान से मरवाना चाहता है। मेरी हत्या की साजि़श अमुक नेता द्वारा रची जा रही है। कई नेताओं पर भ्रष्ट,अपराधियों से सांठगांठ रखने वाला,आय से अधिक संपत्ति रखने,सांप्रदायिकता फैलाने,दंगा-फसाद भडक़ाने जैसे अनेक गंभीर आरोप आमतौर पर लगते रहते हैं परंतु कोई नेता किसी के भी विरुद्ध मानहानि का मुकद्दमा करते नहीं देखा जाता। भाजपा,कांग्रेस तथा अकाली दल के नेताओं को केवल अरविंद केजरीवाल ही एक ऐसा ‘साफ्ट तारगेट’ मिला जिसे सभी दलों के नेताओं ने सामूहिक रूप से दबाने,उलझाने तथा उसपर कानूनी दबाव डालने की कोशिश की। आिखर ऐसा क्यों?

यह समझने के लिए केजरीवाल के राजनीति में पदापर्ण के मकसद,उनके लक्ष्य तथा उनके हौसलों को समझना बेहद ज़रूरी है। संभव है उनके भीतर संगठनात्मक स्तर पर काम करने का  लंबा अनुभव न होने के कारण उनके सहयोगियों को उनकी राजनैतिक कार्यशैली में तानाशाही नज़र आती हो,यह भी संभव है कि वे अनेक फैसले अपने खास साथियों से पूछे बिना भी ले लेते हों, यह भी मुमकिन है कि उनकी पार्टी में भी कई ऐसे नेता हों जो केजरीवाल की तरह भ्रष्टाचार के विरुद्ध पूरी तरह समर्पित न हों, उनमें कुछ कमियां हों,उनकी आपराधिक प्रवृति हो। परंतु देश के गले से यह बात कतई नहीं उतर सकती कि केजरीवाल स्वयं भ्रष्टाचार भी कर सकता है। देश ने यह भी देखा है कि राजनीति में छोटा कद होने के बावजूद केजरीवाल ने बड़े से बड़े लोगों के कच्चे चि_े खोलने का साहस किया है। दिल्ली सरकार के सीमित अधिकारों के बावजूद विशेषकर शिक्षा तथा स्वास्थय के क्षेत्र में गुड गवर्नेंस का जो प्रदर्शन दिल्ली सरकार द्वारा किया जा रहा है वह भी केजरीवाल के विरोधियों से हज़म नहीं हो पा रहा है। ऐसे में केजरीवाल को राजनैतिक रूप से समाप्त करने का यही सबसे बेहतर तरीका हो सकता था कि ऐसे सभी राजनैतिक दल जो आम आदमी पार्टी को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा समझते हों वे सभी एकजुट हो कर केजरीवाल को दबाने व उलझाने की कोशिश करें। जैसाकि देखा भी गया है अन्यथा मानहानि के मुकद्दमे केवल केजरीवाल पर ही क्यों?

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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