कविताएँ
1-
इतनी शिकायतों के बावजूद भी
चाहता हूँ
कुछ देर तुम पास बैठों
इतने पास की पकड़ सकूं तुम्हारी उंगलियां ,
महसूस कर पाऊ तुम्हारा थोडा सा होना
मौन रहूंगा
तुम्हारी शिकायतें सुनूंगा
अपने जबाब रखूंगा
बिना किसी शब्द के |
कि
जब मैं कुछ नहीं कहूँगा
सच कहूँगा
जब तुम कुछ नहीं सुनोगी
सच सुनोगी |
——-
(मुझे तुम तक आने के लिए
शब्दों को अवाज लगाना
अच्छा नहीं लगता )
2-
मुस्कुराओ
हाँ तुमसे ही कह रहा हूँ
हाँ पता है
मुझे अंदाजा भी नहीं
कि तुम किस दौर से गुजर रहे हों
पर मैं अच्छे से जानता हूँ तुम्हारे चहरे के इस खिचाव को
कि ये बिल्कुल मुझ जैसी है
उदास परेशान निरुत्तर
और इसलिए
इन खिचावों के जो भी कारण है
मेरे दोस्त |
वो उतने जरूरी नहीं
जितना जरूरी है
सब कुछ भूल
तुम्हारा इस पल मुस्कुराना |
3-
यहाँ
हर कोई अलग है
पूरी तरह
एक जैसे चेहरे वाले भी
रिक्शा खिचने वाला
रिक्शे पर बैठने वाला ,
सड़क पर फूल बेचता बच्चा
उसे मना करता गाड़ी में बैठा शख्स
आफिस भागती लड़की
घर बहारती औरत
सब के अपने दर्द है
अपनी चुप्पियां है
जो बेहद अलग है
ना समझा पाने जैसी उलझन लिए
तुम या मैं अधिक से अधिक
समझ सकते है तीसरे की पीड़ा
पर चाह कर भी महसूस नहीं कर सकते
वो सब कुछ जो वो जी रहा है
कि कितना कुछ वो खुद तक ही रख रहा है
कि
वो अक्सर मुस्कुराने की कोशिश करता है
और
मुस्कुरा नहीं पाता
ठीक तुम्हारी या मेरी तरह |
4-
मैं लौटुंगा
एक दिन
तुम तक
तुम उम्मीद मत खो
तुम तो जानती हो
मैं कितना कमजोर हूँ
रास्ते छूट जाते है पैरों से
और मैं पीछे ताकता रह जाता हूँ जमीं
कि
मैं वादा भी नहीं कर पा रहा
पर विश्वास है
कि मैं लौटुंगा
क्या बताऊँ
कि
अभी बहुत गहरे धंसा हूँ
तुमसे कोसों दूर
तुम जो हाथ फैलाए रूके हो
मेरे लिए
मैं नहीं पकड़ पा रहा उन्हें |
पर विश्वास है
कि मैं लौटुंगा
एक दिन
कि
तुम तो सब जानती हो
थोडा इंतजार कर लो
मैं लौटुंगा
तुम्हारे पास
तुम्हारे लिए
हमारे लिए
तुम उम्मीद मत खो देना
मुझे विश्वास है
मैं लौटूंगा एक दिन
…………………………………..
( मैं जानता हूँ तुमने कितना कुछ खोया है मेरे लिए
मैं उनकी कभी भरपाई नहीं कर सकता
पर जो थोडा भी समेट पाया तुम्हें
तो राहत मिलेगी )
विशाल कृष्ण
कविता लेखन में सिद्ध हस्त युवा लेखक
केंद्र सरकार में कार्यरत . मुंबई में रहते हैं
संपर्क – 094352 72073 , 097691 70820
_________________