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5 राज्यों में टोल प्लाजा पर किसानों का हल्ला बोल – सरकार के साथ बातचीत के फिर आसार

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नई दिल्ली, मेरठ, चंडीगढ़।  तीन कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी पर नया कानून व गारंटी खरीद की मांगों को लेकर आंदोलनरत किसान संगठनों का शनिवार को पांच राज्यों के टोल प्लाजा पर हल्ला बोल प्रदर्शन किया। एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अधिकांश टोल प्लाजा को टोल टैक्स फ्री कर दिया गया। किसान नेताओं ने टोल कर्मियों को निजी-व्यवसायिक वाहनों से टैक्स नहीं वसूलने दिया।

सुरक्षा व्यवस्था के बंदोबस्त के चलते दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम नहीं किया जा सका। किसान संगठन इस राजमार्ग को रविवार को बंद करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि दिल्ली के गाजीपुर, पलवल, टिकरी, सिंघु बार्डर पर किसानों के प्रदर्शन के चलते यातायात बाधित हुआ। इतना ही नहीं किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि कहा कि 14 दिसंबर के बाद आंदोलन और अधिक आक्रामक किया जाएगा।
 

हरियाणा में कई जगहों पर किसानों का टोल प्लाजा पर कब्जा :

32 किसान संगठनों के कार्यकताओं ने जीटी रोड करनाल टोल प्लाजा को रात बारह बजे ही टोल फ्री कर दिया। सुबह साढ़े आठ बजे पुलिस प्रशासन ने टोल टैक्स वूसली शुरू करा दी, लेकिन इसकी जानकारी होने पर किसान संगठनों के कार्यकर्ता वहां पहुंच गए और टोल प्लाजा को फिर से टैक्स फ्री कर दिया। इसके साथ ही टोल प्लाजा पर धरना देने लगे। हरियाणा में कुछ टोल प्लाजा पर कब्जा कर लिया और अधिकारियों को यात्रियों से शुल्क की वसूली नहीं करने दी। आंदोलनकारी किसानों ने कहा था कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग के लिए दबाव बनाने के खातिर वे टोल प्लाजा पर एकत्रित होंगे। 

यूपी में प्रशासन सतर्क सिर्फ वेस्ट यूपी में दिखा असर :

पुलिस प्रशासन की सतर्कता से उत्तर प्रदेश में पश्चिमी यूपी को छोड़कर टोल प्लाजा फ्री कराने का किसानों का आंदोलन पूरी तरह से बेअसर रहा। किसानों ने मेरठ समेत वेस्ट यूपी के आसपास के जिलों में सभी टोल फ्री कराए। पुलिस के सख्त पहरे के बावजूद भाकियू कार्यकर्ताओं ने सुबह 10 बजे ही जिलों के टोल प्लाजा पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया था। ठीक 11 बजे किसानों ने टोल फ्री करा दिए, जिसके बाद आने जाने वाले वाहन किसी टोल पर बिना पैसे दिए गुजरने लगे। मेरठ के अलावा हापुड़, बुलंदशहर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और बागपत में टोल फ्री कराए और प्रदर्शन किए। कुछ स्थानों पर आधा घंटे से लेकर छह घंटे तक टोल प्लाजा से हजारों वाहन मुफ्त गुजारे गए, इससे लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। 

हल्द्वानी का किच्छा टोल कई घंटों तक रहा फ्री :

हल्द्वानी के किसान नेशनल हाईवे 74 पर उतर आए। किसानों ने रुद्रपुर-किच्छा मार्ग पर देवरिया स्थित टोल प्लाजा पर बैरियर हटाने को लेकर जमकर हंगामा किया। मौके पर भारी पुलिसबल भी तैनात रहा, लेकिन किसानों के आगे उनकी नहीं चली। टोल प्रबंधन भी बैकफुट पर आ गया। इसके बाद किसानों की मांग के अनुसार करीब डेढ़ घंटे तक टोल बैरियर हटा दिये गये। इस बीच सैकड़ों वाहन हाईवे पर बिना टोल शुल्क दिए गुजरे, जबकि किसान टोल के सामने ही धरने पर बैठे रहे। बाद में अधिकारियों के मनाने के बाद किसानों ने धरना समाप्त किया और बैरियर फिर लगाए गए।

अंबाला में किसानों ने किया प्रदर्शन :

अंबाला में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए शंभू बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। अंबाला के एसपी ने बताया कि हमारे पास इंटेलिजेंस इनपुट थे कि आज संगठित होकर किसानों के दिल्ली कूच करने की योजना है जिसके मद्देनजर इंतजाम किए गए हैं। वहीं, किसानों ने पंजाब में अलग-अलग जगह टोल प्लाजा फ्री कर दिए हैं। हालांकि, वहां किसान पहले से आंदोलन कर रहे हैं। इसलिए कई टोल प्लाजा पर 1 अक्टूबर से ही फीस नहीं ली जा रही। पंजाब में नेशनल हाईवे पर 25 टोल हैं। टोल बंद होने से सरकार को हर दिन 3 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

सरकार के साथ बातचीत को तैयारलेकिन पहले कानून रद्द हो : किसान नेता

किसान नेताओं ने रविवार को अपनी मांगें दोहराते हुए कहा कि वे सरकार से वार्ता को तैयार हैं, लेकिन पहले तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने पर बातचीत होगी। किसानों ने कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को और तेज करने का भी ऐलान किया। सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने कहा कि रविवार को हजारों किसान राजस्थान के शाहजहांपुर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग के रास्ते सुबह 11 बजे अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों से भी किसान यहां आ रहे हैं और वे आने वाले दिनों में आंदोलन को अगले स्तर पर पहुंचाएंगे। पन्नू ने कहा, अगर सरकार बात करना चाहती है तो हम तैयार हैं, लेकिन हमारी मुख्य मांग तीनों कानूनों को रद्द करने की रहेगी। हम उसके बाद ही अपनी अन्य मांगों पर आगे बढ़ेंगे। PLC.

 

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