36 बिरादरियों को लुभाने में जुटे पार्टी नेता
हरियाणा में 36 बिरादरियों का खासा प्रभाव माना जाता है। कहा जाता है कि सूबे में वही सियासी दल सत्ता में काबिज होता है, जो इन सभी बिरादरियों का विश्वास जीत लेता है। यह बिरादरियां प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में न केवल अपना वजूद रखती हैं, बल्कि राजनीति में भी इनका खासा हस्तक्षेप भी रहता है।
लिहाजा इन सभी बिरादरियों के साथ संतुलन स्थापित कर आगे बढऩा सियासी दलों के लिए अहम है। हालांकि प्रदेश के सभी सियासी दल इस चुनावी बेला में खुद को इन बिरादरियों का सच्चा हितैषी बताते हुए उनका आशीर्वाद लेने को बेताब हैं। लेकिन ये दल एक-दूसरे पर जातिवाद और क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने के आरोप जडऩे में भी पीछे नहीं है।
इस संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी अपना अलग एजेंडा हरियाणा एक-हरियाणवी एक की सोच के साथ आगे बढ़ रही है। भाजपा ने साफ कर दिया है कि हरियाणा अब जातिवाद और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर हरियाणा एक और हरियाणवी एक की प्रथा की ओर बढ़ा है, जिसे कायम रखना ही भाजपा का संकल्प है।
उधर, कांग्रेस भी खुद को प्रदेश की छत्तीस बिरादरी की हिमायती बताते हुए भाजपा पर भाईचारा खराब करने का आरोप लगाती है। कांग्रेसी नेता खुलेआम मंच पर भाजपा नेताओं पर सूबे में जातिवाद का जहर घोलने का आरोप लगाते हैं। जिसे भाजपा नेता अपने मंच से सिरे से खारिज कर रहे हैं।
उधर, जननायक जनता पार्टी के नेता पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला ने भी बुधवार को आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने 36 बिरादरी का भाईचारा तोड़ा है, अब समय आ गया है कि 36 बिरादरी मिलकर भाजपा को प्रदेश से बाहर का रास्ता दिखाएं। उधर, इनेलो और आम आदमी पार्टी भी खुद को प्रदेश की छत्तीस बिरादरियों का खैरख्वाह बताते हुए उनका आशीर्वाद लेना चाहती है। पीएलसी।