21 प्रतिशत बच्चे हाइपरटेंशन के शिकार

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बदलते लाइफस्टाइल और गलत खान पान के चलते न केवल बड़े लोग बल्कि बच्चे भी हाइपरटेंशन जैसी बीमारी का शिकार होते जा रहे हैं। हाइपरटेंशन यानि हाई बी पी की समस्या। हाई बी पी न केवल खुद में एक शारीरिक समस्या है, बल्कि यह अपने साथ कई बीमारियों को जन्म देती है, जैसे कि दिल से जुड़ी कोई समस्या या फिर ब्रेन स्ट्रोक इत्यादि। बच्चों में हाई बी पी की समस्या होने के कारण उनकी आंखे कमजोर होने लगती हैं। जी हां आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से…

एक रिसर्च के मुताबिक 13 से 17 साल के उम्र के बच्चों में लगभग 21 प्रतिशत बच्चे हाइपरटेंशन यानि हाई ब्लड प्रेशर की समस्या के शिकार हैं। इस परिस्थिति में बच्चों के दिल पर गहरा असर पड़ता है। ऐसे में स्ट्रोक, हार्ट अटैक और किडनी के खराब होने का खतरा बढ़ता हैं। साथ ही एक अध्धयन के अनुसार जिन बच्चों के रेटिनल आर्टरी छोटी होती है। उनमें हाई बीपी की परेशानी के चांचिस ज्यादा होते है।

CVD को देता है जन्म
जिन बच्चों को हाई बी पी की समस्या रहती है, उन्हें आंखों की CVD नाम की परेशानी रहने लगती है। CVD का पूरा नाम कार्डियो वासीकुलर डिजीज कहते हैं। इसके चलते बच्चों की आंखों की पुतलियों पर बुरा असर डलता है। धीरे धीरे उनकी आंखों की रौशनी कमजोर होने लगती है। इसके चलते बच्चों को आंख में खारिश, जलन और लालिमा भी होने लगती है।

हाई बीपी से कैसे बचाएं बच्चों को?
इस सारी समस्या की जड़ हाई बीपी है, कोशिश करें बच्चे की सेहत का पूरा ध्यान रखें। सबसे ज्यादा जरूरी बच्चों की डाइट है। बचपन से ही उन्हें घर का बना ताजा और हेल्दी खाना खिलाएं।

हरी सब्जियां
पौष्टिक गुणों से भरपूर होने से बच्चों को ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां खिलाएं।

विटामिन सी और के
बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए मौसमी फलों का सेवन करवाएं। डाइट में उन चीजों को शामिल करें जिसमें विटामिन सी और के भारी मात्रा में मौजूद हो।
मल्टी ग्रेन रोटी
गेहूं की जगह मल्टी ग्रेन आटे की रोटी खिलाए।

दालें
दालों में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, आयरन एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व होने से रोजाना बच्चों को दाल का सूप खाने में दाल खिलाए।

दूध, दही और पनीर
रोजाना बच्चों को 2 गिलास दूध, 1 कटोरी दही और पनीर खिलाएं।

सोयाबीन
आप बच्चों को सोयाबीन या उसका दूध भी पीला सकते है।

नमक
खाने में नमक की मात्रा कम रखें।

इसतरह इन सब चीजों द्वारा बच्चों में होने वाली हाई बीपी की परेशानी से बचा जा सकता है। PLC.

 

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