हम शर्मिंदा हैं, 2011 का सेमी फ़ाइनल फिक्स था ?

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– प्रो. (डॉ.) डी. पी. शर्मा “धौलपुरी“ –

– आई .सी. सी. ने शुरू क़ी जाँच (Sunday Times England), क्रिकेट विश्व कप क्रिकेट विश्व कप २०११ सेमी फ़ाइनल फिक्स था…२०११ फ़ाइनल भी फिक्स था…इसके पुख्ता सबूत? –

Prof.(Dr.)-DP-Sharmaआज फिर एक रहस्य से पर्दा उठने को है / आखिर सचिन को विश्व कप सेमी फ़ाइनल २०११ में ७ बार पाकिस्तानी खिलाडियों ने जीवन दान क्यों दिया? क्रिकेट में सब कुछ फिक्स है / खेल भावना के साथ खिलवाड़ का ऐसा मंजर इतिहास में पहले कभी नहीं देखा होगा आपने / खेल यानी सिर्फ पैसा, मदिरा एवं हशीनाओं के शौक तक सिमट कर रह गया है (एक राष्ट्रीय अख़बार की रिपोर्ट) / आई. सी. सी क़ी नींद अब शायद खुल चुकी है परन्तु मजबूरी की दलदल में / यहाँ में स्पष्ठ करना चाहता हूँ कि विश्व कप २०११ का फ़ाइनल भी फिक्स था? एक अख़बार की रिपोर्ट” तंगी में खेल रहे हैं श्रीलंकाई चीते, बकाया हैं 50 लाख डॉलर/ ये रिपोर्ट स्पष्ठ करती है कि श्रीलंकन क्रिकेट बोर्ड उनके खिलाडियों का भुगतान करने में कितना मजबूर है, क्यों कि उनके देश क़ी आर्थिक हालत कैसी है, ये किसी से छुपा नहीं है, सब जानते हैं? सूत्रों के अनुसार उनको विश्व कप हारने के लिए इतना पैसा मिला कि उनकी सरकार, समाज और कंपनियां सब मिलकर १० साल में भी आधा भुगतान नहीं कर सकते थे / भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड को सिर्फ विश्व कप का ठप्पा चाहिए था / बाकी सारा खेल विज्ञापन से कमाने का जुगाड़ था उनके पास/ उक्त खबर एक प्रमुख राष्ट्रीय अख़बार क़ी है जो इस बात को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है /

(तंगी में खेल रहे हैं श्रीलंकाई चीते, बकाया हैं 50 लाख डॉलर, लेकिन….. “” (मेलबॉर्न. श्रीलंका क्रिकेट की आर्थिक तंगी के कारण श्रीलंकाई खिलाड़ियों को भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी एकदिवसीय त्निकोणीय सीरीज में भी बिना भुगतान के खेलना पड़ेगा। श्रीलंकाई बोर्ड ने खिलाड़ियों को पिछले कई महीनों से उनका पूरा भुगतान नहीं किया है और आगामी सीरीज में भी स्थिति के बहुत सुधरने की संभावना नहीं है। श्रीलंकाई खिलाड़ियों को विश्व कप के बाद करीब 50 लाख डालर का भुगतान किया जाना है। फेडरेशन आफ इंटरनेशनल क्रिकेटर एसोसिएशन ने कहा है कि एसएलसी की आर्थिक स्थिति इस समय इतनी कमजोर है कि सरकार से किसी सहायता पैकेज के बिना यह काफी गंभीर हो सकती है। गौरतलब है कि खिलाड़ियों को भुगतान संबंधी मामले में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था जिसके बाद कहीं जाकर खिलाड़ियों को 20 लाख डॉलर का भुगतान किया गया था। श्रीलंकाई खिलाड़ियों को अब भी विश्व कप के दौरान दिए जाने वाले 23 लाख डॉलर के अलावा इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले जाने वाले मैंचों की फीस का भुगतान किया जाना बाकी है। श्रीलंका टीम के कप्तान माहेला जयवर्धने ने हालांकि उम्मीद जताई है कि टीम को उनकी बकाया राशि का जल्द ही भुगतान कर दिया जाएगा। त्निकोणीय सीरीज से पूर्व गत रविवार को जयवर्धने ने कहा था कि कई खिलाडी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और इसलिए जरूरी है कि सभी को समय पर भुगतान कर दिया जाए ताकि वह अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर सकें। फीका के मुख्य कार्यकारी टिम मे ने भी कहा है कि अगर एसएलसी की स्थिति में सुधार नहीं आता है तो इसका देश में क्रिकेट की स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।) “”

उपरोक्त समाचार के बाद अब आप स्वयं सोचिये कि विश्व कप फ़ाइनल २०११ में श्रीलंका ने शुरु में ये दिखा दिया था कि वे विश्व कप चैम्पियन बनने का माद्दा रखते हैं / भारतीय टीम लड़खड़ा चुकी थी / क्रिकेट के भगवान , श्रीमान जी को दुर्गति का पायजामा पहना कर श्रीलंकन टाइगर्स ने अपनी सही जगह भेज दिया था/ लेकिन अचानक उनको याद आया कि गरीबी बहुत बुरी चीज है / पेट क़ी आग कुछ भी करवा सकती है / फिर क्या था पूर्व नियोजित वादा निभाया और कप भारत क़ी झोली में डाल दिया / सबको ऐसा लग रहा था कि भारतीय शेर , श्रीलंकन चीतों को धूल धूषरित कर चुके हैं / परन्तु परदे के पीछे का खेल कुछ और था जिसका खुलासा अभी होना बाकी है परन्तु कब ये बक्त बताएगा / में जानता हूँ कि ये बहुत ही मुश्किल काम है क्योंकि पैसे से ये मुम्बईया खेल कुछ भी करा सकता है /

अब देख लीजिये, एक साल तक दुर्गति कराते रहे क्रिकेट के भगवन को कंपनियों ने अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाये रखा और आज भी कंपनियों ने अपना ब्रांड एम्बेसडर बना रखा है, आखिर क्यूँ? फर्जी मीडिया सर्वे , फर्जी मीडिया लोकप्रियता खिलाडियों को आशमान पर बिठाये रखती है / में स्वयं गवाह हूँ कि मैंने कई अख़बारों के ऑन लाइन सर्वे में अपने विचार भेजे जो कि एक अमुक खिलाड़ी के खिलाफ थे / मेरी राय को कंप्यूटर के सर्वर ने रिजेक्ट कर दिया / इसके तुरंत बाद जब मैंने उसी आई डी से खिलाडी के फेवर में विचार लिखा तो सर्वर ने तुरंत स्वीकार कर लिया/ इस तरह के फर्जी सर्वे से देश क़ी भोली जनता को बेवकूफ बनाना कितना जायज एवं नैतिक है इस पर विचार करने क़ी जरुरत है आज  वर्ना सच्चाई एवं विश्वसनीयता ऐतिहासिक आत्म हत्या करके सदा सदा के लिए विलुप्त हो जाएगी  / मीडिया के सर्वे का मजाक ऐसा कि सारे सवाल तोड़ मरोड़ कर एक खिलाडी के फेवर में /

पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इमरान खान का ये कहना अत्यंत ही प्रासंगिक था कि ” क्रिकेट के प्रायोजित भगवान 100वें शतक को लेकर परेशान थे / उन्होंने कहा कि सचिन को वर्ल्डकप के बाद ही क्रिकेट से संन्यास ले लेना चाहिए था। अब वो फिजूल ही अपनी दुर्गति करवाते रहे । “हम सब चाहते हैं कि हमारा करियर धमाके के साथ खत्म हो, लेकिन हर काम योजना के तहत ही हो यह जरूरी नहीं है। उक्त भगवान के लिए वर्ल्डकप जीत एक बेहतरीन अवसर था अपने स्वर्णिम करियर को अलविदा कहने के लिए। विश्वकप में उनका प्रदर्शन बुरा नहीं था, लेकिन उनको जिद थी कि रनों के धुंए के साथ अलविदा कहें / लेकिन बक्त थोड़ा बदल गया था और मैच फिक्सिंग पर शख्ती के कारण कुछ मैनेज हो नहीं पाया जैसा पहले हो जाया करता था  कुछ आपसी समझ से, शायद आप समझ गए होंगे / वो एक महान खिलाड़ी हैं,” इमरान खान ने कहा। क्रिकेट के भगवान  के १००वें शतक पर इमरान खान का कहना था कि उनको टीम की बेहतरी के बारे में पहले सोचना चाहिए वजाय खुद के । रिकॉर्ड खेल के साथ-साथ बनते हैं। आप रिकॉर्ड बनाने के लिए नहीं खेलते। ” लेकिन इस भगवान को तो पैसे और प्रसिद्धि  का भूत सवार था , राष्ट्रीय भावना एवं सम्मान उनके लिए क्या मायने रखता  क्योंकि इन्हीं भगवान ने तो खुद को राष्ट्र पिता बापू जी से भी प्रायोजित तरीके से  खुद को बड़ा एम्बेसडर घोषित करवा दिया था, निर्लज्जता की हदें पर करते हुए/

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान को अभी हाल मैं ख़राब प्रदर्शन के कारण क्रिकेट टीम से  हटा दिया, जबकि उनका रिकॉर्ड भी इस भगवान क़ी तरह धमाकेदार रहा था/ साथ ही वे वर्ल्ड कप विजेता भी रहे हैं / लेकिन ऐसा इसलिए हुआ कि वे एवं उनकी टीम देश के लिए खेलती है / हमारे धतुरा ब्रांड खिलाड़ी पैसे, विज्ञापन, अनैतिक राजनीति एवं स्वयं के लिए खेलते हैं/ उस समय हमारी देश भक्ति कितनी शर्मशार हुई थी जब खिलाडियों ने कहा था कि यदि भारत वर्ल्ड कप जीतता है तो वह कप क्रिकेट के इस तथा कथित भगवान को समर्पित होगा /अगर इन भगवान में थोड़ी भी राष्ट्रीय भावना होती तो वे स्वयं बड़प्पन दिखाते हुए कहते कि यदि इंडिया विश्व कप जीतती है तो ये कप भारत देश को समर्पित किया जायेगा; मुझे नहीं , क्योंकि मेरा वजूद भारत देश से है न कि राष्ट्र का वजूद मुझ से / लेकिन पैसे के मद में डूबे लोगों को देश कहाँ दिखता है / इसका मतलब तो यह हुआ कि अमुक भगवान देश से ऊपर हैं और देश से अलग हैं शायद देश के भी भगवान / हों भी क्यों नहीं वो तो भगवान हैं वो भारत जैसे कई देश चुटकियों में बना सकते हैं/ ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल का कहना था की , क्रिकेट के इस भारतीय भगवन को आत्म – निरीक्षण करने की जरूरत है। ऑस्ट्रेलिया अखबार द टेलिग्राफ ने चैपल के हवाले से लिखा, “ क्रिकेट के भगवन अपने अंतिम ऑस्ट्रेलिया दौरे को यादगार बना सकते थे। लेकिन वे भगवन के चोले में सिर्फ निराशा में डूबकर रह गए।” चैपल ने कहा, उनको यह सोचने की जरूरत है कि वो अब किस लक्ष्य के साथ क्रिकेट खेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये भारतीय क्रिकेट के भगवन अपनी असफलता के लिए दूसरों को दोषी ठहरा रहे हैं। यह सन्दर्भ इसलिए उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे में रन आउट होने के बाद सचिन ने ब्रेटली द्वारा रास्ता रोके जाने को जिम्मेदार ठहराया था जो उनकी हताशा एवं एवं आपसी समझ से सहयोग की असफलता को दर्शाता  है  शायद मेरे भाव को आप समझ गए होन्गे । इस क्रिकेट के भगवन ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेले सात वनडे मुकाबलों में 20.42 की औसत से 143 रन बनाए। इसमें एक भी अर्धशतक नहीं था। उनका यह प्रदर्शन उनके करियर औसत से बहुत कम है। उन्होंने अबतक 460 वनडे मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 48 शतक व 95 अर्धशतकों समेत 44.74 की औसत से 18254 रन बनाए हैं। परन्तु उस समय ऐसा लगता था  कि सब कुछ बेईमानी पूर्ण था/

उस बक्त एक चापलूस अख़बार ने लिखा —–” पाकिस्तान ने किया कमाल, तब जाकर रैंकिंग में चमके क्रिकेट के भगवन”

पाकिस्तान की इंग्लैंड के खिलाफ 3-0 की ऐतिहासिक क्लीन स्वीप का फायदा भारत के इस क्रिकेट के भगवान को आईसीसी की उस बक्त की टेस्ट रैंकिंग में मिला और वह फिर से टॉप टेन बल्लेबाजों में लौट आए। परंतु ये भगवान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की 0-4 की पराजय के बाद टॉप टेन से बाहर होकर 13वें स्थान पर पहुंच गए थे। लेकिन पाकिस्तान के इंग्लैंड को 3-0 से हराने के बाद वे टेस्ट रैंकिंग में संयुक्त रूप से दसवें स्थान पर पहुंच गए । उनके साथ पाकिस्तान के अजहर अली भी इस स्थान पर मौजूद थे लेकिन उनका मीडिया प्रबंधन ठीक नहीं था इसलिए गुमनाम रहे ।

इस खबर से आपको स्वयं अनुमान लगाना चाहिए कि हमारी रेंकिंग हमारे खेल प्रदर्शन से नहीं चमकती वल्कि इस बात से चमकती है कि कमजोर लोग कितना घटिया खेलते हैं? लिखने वालों की दिमागीय दक्षता एवं इसके पीछे की मुद्रा देखिये कि दुर्गति में भी चापलूसी का तुर्रा निकालकर छापने में कोई गुरेज नहीं /

राहुल द्रविड़ ने सम्मान के साथ क्रिकेट को अलविदा कहा/ उसके बाद खबर आई कि ये तथाकथित भगवान एवं लक्ष्मण भी क्रिकेट को अलविदा करने वाले थे जिसमें भगवान महाशतक के तुरंत बाद संन्यास ले लेंगे को प्रमुखता दी गयी/ लेकिन उस समय हद हो गयी जब मीडिया से दूर रहकर अपने बदतर खेल प्रदर्शन एवं सन्यास के सवालों से दूर रहने वाले भगवान, तुरत-फुरत मीडिया के सामने आ गए और इस बात का खंडन कर दिया कि वे सन्यास लेने वाले नहीं हैं (एक प्रमुख अख़बार क़ी खबर)? आखिर क्यों, किसलिए? इस घटिया प्रदर्शन के बावजूद आप चिपके रहना क्यों चाहते हैं? इसकी सबसे बड़ी वजह है, पैसा जो उन लोगों को भी चाहिए जिनके पास खेल के दौरान शब्दों की बकर बकर की बाजीगरी एवं खिलाडियों को इधर उधर करने के जिम्मेदार निभानी होती है /  इसके अलावा क्रिकेट में घुसे भारतीय राजनीति के  शकुनियों को भी कुछ चाहिए और ये पैसा सिर्फ भगवन ही दे सकते हैं  / एक दिवसीय क्रिकेट में इन भगवान जी क़ी रेंकिंग जमीन पर आ चुकी थी लेकिन अनैतिक हथकंडों से क्रिकेट एवं विज्ञापन क़ी दुनियां में चिपके रहने का हर संभव हथकंडा अपनाने से वाज नहीं आये ये भगवन और आखिर वो रत्न भी ले उड़े जिसका सच्चा हक़दार कोई और था / वाह  रे मेरे देश और मेरे देश की मानसिकता; में तो धन्य हो गया इस क्रिकेट के मंदिर में जहाँ भगवान चरणामृत की जगह कोकाकोला पीकर मस्त हो रहे हैं /

इन भगवान जी के ख़राब प्रदर्शन पर जब सारे पूर्व खिलाडियों ने चिल्ल पों क़ी और मीडिया को भी मज़बूरी में आलोचना को बड़े सधे हुए ढंग से छापना पड़ा तो तुरंत भगवान क़ी मीडिया टीम एक्टिव हो गयी और मीडिया एवं खिलाडियों को फिक्स करने का ऑपरेशन चरम पर पहुँच गया/ और फिर क्या हुआ तुरत-फुरत मीडिया क़ी कलम क़ी भाषा ही बदल गयी और लिख मारा” क्रिकेट इस भगवान में अभी बहुत क्रिकेट बाकी हैं”

वाह; क्या मजाक है? ये खबर पढ़कर आपको हंसीं नहीं तरस आयेगा कि इस भगवान एवं उनके चापलूस कलम के कारिंदों पर कि ” एडिलेड- अपने महाशतक का इंतजार कर रहे क्रिकेट के भगवान एडिलेड टेस्ट में दिल खोलकर शॉट खेलेंगे। वे अतिरिक्त सावधानी और रक्षात्मक खेल को छोड़कर स्ट्रोक लगाएंगे। ”   हा हा हा / टीम इंडिया के सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि इन भगवान ने चौथे टेस्ट मैच में ‘टॉप गियर’ में बल्लेबाजी करने का फैसला किया है। टीम के सदस्य ने कहा, ‘वे इतने ज़्यादा उत्साहित हैं कि वह बस एक शतक से नहीं रुकेंगे———। एक बार अगर उन्होंने यह दहलीज पार कर ली तो वे लंबी पारी खेलेंगे…आप शायद दोहरे शतक का भी उम्मीद लगा सकते हैं—–शायद हो सकता है पचास चालीस बना दें–भगवन हैं ना ।”

हे भगवान अगर तू कहीं है तो तेरी सत्ता खतरे में है / चापलूसी का ऐसा महा नंग-नाच, शायद अलौकिक, ब्रह्मांडीय, ऐतिहासिक है / और फिर इस मैच में क्या हुआ? अगर में स्वयं लिखूंगा तो हो सकता है मुझे दिल का दौरा पड़ जाये / इसलिए आप स्वयं क्रिकेट महाकाव्य में पढ़ लें तो ज्यादा ठीक होगा कि उनकी क्या दुर्गति हुई /

उस बक्त सारा क्रिकेट प्रेमी समुदाय इस बहस में उलझा हुआ था कि आखिर महाशतक कब बनेगा? जैसे कि इसके बनते ही भारत कि गरीबी छू-मंतर हो जाएगी और क्रिकेट प्रेमियों क़ी सारी मनोकामनाएं क्रिकेट का भगवान पूरी कर देगा/ लोग इस बहस में उल्झे हुए थे कि १२ मार्च २०११ के दिन क्रिकेट के भगवान साउथ अफ्रीका के खिलाफ ९९ वां शतक पूरा कर लेंगे / और एक साल पूरा हो गया ‘ बैड लक बैड लक” खेलते हुए परंतु महाशतक नहीं लग रहा / सारा क्रिकेट जगत मायूस था क्रिकेट के भगवान की इस दुर्दशा से / ” रामायण मैं लिखा है कि होनी को कौन टाल सकता है? भाग्य को कौन बदल सकता है? होईये सो वही जो राम (नहीं क्रिकेट के भगवन) रचि राखा”

भाग्य को कौन बदल सकता है तो, फिर ये तथाकथित भगवन कैसे बदल सकते हैं? वो भगवान हैं तो क्या हुआ? लेकिन यहाँ अहम् सवाल यह है कि यदि ‘गुड लक’ में शतक लग गया तो भाग्य ठीक हो जाता है, फार्म भी लोट आई मान ली जाती है और यदि फिसड्डी रह जाओ तो ‘बेड लक’ हो जाता है और फार्म बापिस चली गयी मान ली जाती है / जब सारा खेल ‘गुड लक’ और ‘बेड लक’ एवं अच्छी बुरी फॉर्म का ही है तो फिर खिलाडी क्या करता है, ये बात मेरी आज तक समझ में नहीं आयी? क्या इनको इतना सारा पैसा सिर्फ गुड लक और बेड लक के आधार पर मिलता है या फिर उनकी खेल प्रतिभा पर/ क्या भारतीय क्रिकेट कुछ खिलाडियों क़ी वंशानुगत जागीर है? मीडिया प्रबंधन का इतना दुरूपयोग किस लिए? जब एक खिलाड़ी को उसकी ख़राब पर्फोर्मंस के आधार पर ब्रेक दे दिया तो दूसरे को क्यों नहीं? क्यों चयन समिति भी कुछ और चाहती है/ क्यों एक खिलाड़ी पर सारे प्रायोजित खेल खेले जाते हैं सोचो जरा—-भगवन क्रिकेट नहीं खेलते? ये नकली भगवान सिर्फ़ देश की भावनाओं से खेलकर धंधा करते हैं / ये ढोंग करते हैं कि हम देश के लिए खेलते हैं, ये ढोंग करते हैं कि ये देश के प्रति संवेदना रखते हैं / अभी हाल में बॉलीवुड एक्टर अक्षय्य कुमार ने 1. 08 करोड़ रूपये नक्सल हमलों में शहीद हुए जवानों के सहायतार्थ दिए / आज पूरा देश ऐसे एक्टर पर नाज करता है / यहाँ इस तथाकथित क्रिकेट के भगवान को पूछा जाना चाहिए कि आपकी देश भक्ति एवं भगवानता क्या सिर्फ देश में धन कमाने तक सीमित है क्या? अब तो भारत रत्न को भी आपने इस कलुषित धंधे में इस्तेमाल कर लिया / ये क्रिकेट के धर्म ध्वज रक्षक अपनी जेब से कुछ नहीं देंगे/ हाँ किसी सहायतार्थ ये मैच खेलकर उसका पचास प्रतिशत दान करके बाकी अपनी विलासिता के लिए गटक जायेंगे वो भी हमारे जेब से निकाल कर/ ईमान और नैतिकता भी कोई चीज होती मगर यहाँ तो किसी की मैयत की शोभा बढ़ाने लिए भी ये तथाकथित खिलाड़ी पैसे मांगते देखे गए/

आज जरुरत है पुनर्विचार करने की कि आखिर हम किधर जा रहे हैं और कलुषित धँधे वाले खेल हमारे खेल जगत को किधर ले जा रहे हैं/  सोचो ज़रा।

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Prof.(Dr.) DP SharmaAbout the Author

Prof.(Dr.) DP Sharma

International consultant/adviser (IT), ILO (United Nations)-Geneva

प्रोफेसर  डी पी शर्मा  एक स्वतंत्र स्तंभकार एवं अंतर्राष्ट्रीय कंसल्टेंट /सलाहकार, आई.एल.ओ. ( यूनाइटेड नेशन्स एजेंसी )  के साथ महर्षि अरविन्द इंस्टिट्यूट रिसर्च सेण्टर अंडर राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय जयपुर से  जुड़े हुए हैं / डॉ शर्मा को सूचना तकनीकी एवं पुनर्वास योजनाओं के क्षेत्र में किये उल्लेखनीय  कार्यों के लिए तकरीबन 46 अवार्ड्स एवं प्रशंसा पत्रों से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है जिनमें “गॉड फ़्रे फिलिप्स नेशनल गैलेंट्री अवार्ड, प्रेसिडेंसियल अवार्ड  एवं सरदार रत्न इंटरनेशनल अवार्ड  फॉर टाइम अचीवमेंट्स प्रमुख हैं/

Contact – : Email: dp.shiv08@gmail.com ,  WhatsApp:   +917339700809

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9 COMMENTS

  1. People most of the times look at the things around through the spectacles of marketing media, but there are always some bitter truths behind the curtains. Be it any game ,movies,politics or anything. People need to analyze facts and not just the show offs and look into the reality.

  2. Very nice sir. Our faulty media is responsible for all that. Kalam ki Takat ab rutbe aur paise walo ke haat me h. N ki media ke haatho me.

  3. Players say that they are playing for nation but in fact they are playing only for money by hook or by crook. And we are wearing our time by watching these hopeless matches.

  4. this system should be change coz its adverse effect is directly hit our country n the freshers who are coming to this field

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