१० हजार मीट्रिक टन रखा गेहूं भीगा -देर रात तक सायलो बैग्स में भरा गया गेहूं ,-अधिकारियों के फूल हाथ पांव

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invcआई एन वी सी ,
भोपाल,

अचान आए पानी तूफान से जिले में शुक्रवार को उपार्जन केंद्रों पर भी भारी नुकासान की खबर है। जिले के ४७ में से डेढ़ दर्जन केंद्रों पर गेहूं भी गया है। भीगे गेहूं आंकड़ा करीब १० हजार मीट्रिक टन बताया जा रहा है। हालांकि देर रात खुले में रखे गेहूं को सायलो बैग्स में भरने का काम जारी रहा। वहीं आंधी-बारिश को देख प्रशासनिक अफसरों के हाथ-पैर फूल गए।
शुक्रवार दोहपर हुई तेज बारिश से केंद्रों पर खुला पड़ा गेहूं भीग गया। आनन-फानन में कर्मचारियों का दल केंद्रों पर इसे ढाकने की कोशिश में जुट गया, लेकिन तूफान से पॉली ेेटॉट उड़ गई। आखिरकार इन्हें सायलो बैग्स में भरा गया। हालांकि अधिकांश स्थानों पर यह प्रयास भी असफल ही रहा। केंद्रों से मिली जानकारी के अनुसार भीगा गेहूं करीब दस हजार मीट्रिक टन गेहूं है। वहीं नागरिक आपूर्ति निगम और खाद्य विभाग ने इसे बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा। अफसर से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बात करने से इंकार कर दिया। सूत्रों की माने तो तेज हवाओं के साथ हुई हल्की व तेज बारिश ने समितियों में शेड व बाहर पड़ी सैकड़ों बोरियों को गीला कर दिया था। वहीं तिरपाल व बड़ी-बड़ी पन्नियों से ढककर बचाने का प्रयास जरूर किया गया।
भोपाल जिले के 47 केंद्र हैं, सबसे ज्यादा राजधानी के केंद्रों का गेहूं भीगा। इनमें दस केन्द्र तो ऐसे बताए जा रहे हैं, जहां दस हजार क्विंटल से अधिक गेहूं परिवहन नहीं होने के चलते खुले में रखा था। वहीं सैकड़ों क्विंटल गेहूं वो है, जिसे किसान उपार्जन केन्द्र में तुलवाने के लिए लाए थे।

-यहां भीगा गेहूं
जानकारी के अनुसार मुगालिया छाप, कोडिय़ा, तमूड़ा, ईटखेड़ी, बैरागढ़ चीचली, परवलिया सड़क, गुनगा, हर्राखेड़ा,  रातीबड़, धमर्रा, रूनाहा गांवों में बनाए गए उपार्जन केंद्रों पर बोरों में रखा गेहूं भीगा है। यहां पहुंचे किसानों को भी अपना गेहूं भीगने से बचाने के लिए खासी दिक्कतें झेलनी पड़ी। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने मौसम के बनते-बिगड़ते माहौल को देखते हुए पूर्व में ही नागरिक आपूर्ति निगम को 17 अप्रेल तक 80 प्रतिशत परिवहन एवं 19 अप्रेल तक 90 प्रतिशत तक परिवहन करने के निर्देश दिए थे। दूसरी ओर अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जानकारी के हिसाब से अभी भी 72 प्रतिशत गेहूं का परिवहन हुआ है।

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