क़ानून बनाने वाले ही क़ानून की धज्जियाँ उड़ाने के सबसे बड़े ज़िम्मेदार

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–  तनवीर जाफ़री – 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 20 अक्टूबर को एक बार फिर देश की जनता को संबोधित किया। कोरोना कल में प्रधानमंत्री का जनता से यह सातवाँ संबोधन था। इस बार भी उन्होंने जनता को कोरोना के गंभीर ख़तरों से आगाह कराते हुए कोरोना बचाव संबंधी गाइड लाइन का पूरी सख़्ती से पालन करने का आवाहन किया। उन्होंने कोरोना के वर्तमान हालात पर चिंता जताते हुए  देश की जनता से अपील की है कि कोरोना काल में लापरवाही न बरतें, बिना मास्क के घर से बाहर न निकलें। मोदी ने कहा है कि लॉकडाउन हटा है, कोरोना नहीं गया है। सामाजिक दूरी बनाए रखने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि 2 गज की दूरी बनाए रखना और मास्क लगाना बेहद जरूरी है। प्रधानमंत्री ने  मीडिया और सोशल मीडिया पर भी इस संबंध में जागरूकता लाने व कोरोना संबंधी नियमों का पालन करने के लिए जन-जागरण अभियान चलाने की ज़रुरत पर बल दिया। देश के मुखिया के रूप में प्रधानमंत्री की उक्त चिंताएं स्वभाविक थीं । अब ज़रा बिहार के उप मुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील मोदी के अत्यधिक आत्म विश्वास भरे भाषण का अंश भी सुनिए। सुशील मोदी ने वर्तमान में हो रहे बिहार चुनावों में एक जन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि -‘आप कोरोना को मुद्दा बनाइये। इतनी बड़ी भीड़ देखकर लगता है कोरोना तो भाग गया। कहाँ है कोरोना ? ये बिहार है मित्रों,हम लोगों ने बेहतर इंतज़ाम किया यह उसी का परिणाम है कि बिहार में केवल साढ़े नौ सौ लोगों की मृत्यु हुई है जो दुखद है।’
                          भाजपा के उपरोक्त दोनों ‘मोदी’ के संबोधन में कितना विरोधाभास नज़र आता है ? बिहार व मध्य प्रदेश की इस समय ज़मीनी हक़ीक़त भी यही है। सुशिल मोदी के भाषण से तो ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री का संबोधन केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा वैश्विक नेताओं व अन्य देशों को यह जताने मात्र के लिए ही होता है कि भारत उनके नेतृत्व में कोरोना का कितनी गंभीरता से मुक़ाबला कर रहा है। परन्तु सुशील मोदी तो बिहार की कोरोना संबंधी ज़मीनी हालात को नज़र अंदाज़ करते हुए जो सार्वजनिक भाषण दे रहे हैं वे तो बेहद गैर ज़िम्मेदाराना हैं ? अपने इसी भाषण के चंद दिनों बाद ही स्वयं उनके भी कोरोना पॉज़िटिव होने की ख़बर आ गयी। वैसे भी बिहार के दो मंत्री कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं। इनमें पिछड़ा-अति पिछड़ा कल्याण मंत्री विनोद सिंह तथा बिहार के पंचायती राज मंत्री कपिल देव कामत का कोरोना से निधन हो चुका है। बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ख़ुर्शीद उर्फ फिरोज़ अहमद की पत्नी ज़ेबुन निसा (55) की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। इसी प्रकार एक केंद्रीय मंत्री,अन्य कई राज्यों के मंत्री,विधायक कई आला अधिकारी यहाँ तक कि कोरोना से दूसरों की जान बचने वाले सैकड़ों डॉक्टर्स व स्वास्थ्यकर्मी इस गंभीर मर्ज़ की भेंट चढ़ चुके हैं। ऐसे में यदि कोई झूठे आत्म विश्वास का सहारा लेकर मात्र अपने राजनैतिक लाभ के लिए देश की जनता को गुमराह करता है या उसके सामने इस मर्ज़ की गंभीरता को कम करके आंकने की कोशिश करता है तो वास्तव में वह राजनेता नहीं बल्कि मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन तथा महामारी अधिनियम का मज़ाक़ उड़ाने का सबसे बड़ा दोषी है।
                       प्रधानमंत्री अपने 20 अक्टूबर के राष्ट्र संबोधन के बाद यानी देश को सामाजिक दूरी व मास्क लगाने जैसा ‘पाठ’ पढ़ाने के बाद 23 अक्टूबर से बिहार के चुनावी दौरे पर भी निकल पड़े। बिहार में चाहे वह प्रधानमंत्री की सभाएँ हों या राहुल गाँधी,तेजस्वी यादव अथवा नितीश कुमार की। हर जगह बे क़ाबू भीड़,सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ना,मास्क लगाना तो गोया जनता जानती ही नहीं,यही स्थिति साफ़ नज़र आ रही है। जहाँ राजनैतिक दल विभिन्न मुद्दों पर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते दिखाई देते हैं वहीँ कोरोना के दिशा निर्देशों की अवहेलना करने का आरोप कोई भी एक दूसरे पर नहीं लगाता। वजह साफ़ है कि हम्माम में सभी नंगे हैं। यह तो भला हो ग्वालियर के सामाजिक कार्यकर्ता आशीष प्रताप सिंह का जिन्होंने ग्वालियर उच्च न्यायलय की युगल पीठ में प्रमाण सहित एक जनहित याचिका दायर कर केंद्रीय सिंचाई मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री कमल नाथ के विरुद्ध कोविद महामारी अधिनियम का उल्लंघन करने का मामला दर्ज करने का आदेश हासिल किया जिसके परिणाम स्वरूप दोनों नेताओं के विरुद्ध एफ़ आई आर दर्ज की जा सकी। अन्यथा प्रशासन के आला अधिकारी भी आसानी से इस स्तर के नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा पाते।
                          कोविद के शुरूआती दौर में ही कर्नाटक व महाराष्ट्र से ऐसे कई समाचार आए थे की एक ओर तो आम लोगों के शादी समारोह स्थगित कर दिए गए तो दूसरी ओर नेतागण पूरे धूमधाम से शादियाँ भी कर रहे थे और बर्थडे पार्टियाँ भी मना रहे थे। कई आयोजनों में तो कर्नाटक के मुख्य मंत्री वाई एस येदुरप्पा भी शरीक हुए थे। देवगौड़ा के परिवार में भी इसी दौरान शादी समारोह हुआ था। परन्तु उच्च स्तर पर होने वाली ग्वालियर की पहली कार्रवाई है अन्यथा कहीं सामाजिक दूरी बनाए रखने संबंधी नियमों का उल्लंघन करने के लिए महाराष्ट्र के सतारा और शिर्डी में धार्मिक जुलूस निकलने को लेकर आईपीसी की धारा 188 और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 153 के तहत मामला दर्ज किया गया तो कहीं उत्तर प्रदेश में बलरामपुर ज़िले के उतरौला कोतवाली क्षेत्र में कोरोना वायरस महामारी के दौरान सामाजिक दूरी का पालन न करने के मामले में 2,000 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया।कहीं मुहर्रम पर ताज़ीए निकालने वालों के विरुद्ध रासुका की कार्रवाई हुई। तो कहीं हिमाचल के कांगड़ा ज़िले के एक निजी अस्पताल को केवल इसीलिए सील कर दिया गया कि यहाँ  सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ाई जा रही थीं।
                        निश्चित रूप से महामारी अधिनियम 1897 जनहित के लिए बनाया गया एक अधिनियम है जिसे कोविड जैसे अपरिहार्य अवसरों पर सख़्ती से लागू किया जाता है। परन्तु क्या इस अधिनियम का पालन केवल आम लोगों को ही करना है ? क़ानून बनाने वाले क्या इस अधिनियम की पालना करने  श्रेणी में नहीं आते ? बिहार के आम चुनाव,मध्य प्रदेश के उपचुनावों तथा राजनेताओं के पारिवारिक समारोहों की चकाचौंध देखकर तो कम से कम ऐसा ही लगता है कि क़ानून बनाने वाले ही क़ानून की धज्जियाँ उड़ाने के सबसे बड़े ज़िम्मेदार हैं।

 

About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

Contact – : Email – tjafri1@gmail.com

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