हिंदू हृद्य सम्राट कौन ?

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images{ वसीम अकरम त्यागी ** }
पिछले तीन दशकों से देखा जा रहा है कि जिसके दामन पर सांप्रदायिक दंगों के दाग़ हैं वह खुद को बहुसंख्यक समुदाय के नायक तौर पर प्रस्तुत करता है। हैरानी इस बात पर होती है कि जिसका तिरस्कार होना चाहिये था उसे बहुसंख्यक समाज अपना नायक मानने लगता है, जिसे धर्म की सभ्यता की कोई खास जानकारी नहीं है वे खुद को धर्म का रक्षक बताते हैं, बहुसंख्यक समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय का डर दिखाते हैं, उन्हें इस तरह से वरगलाते हैं कि मानो अल्पसंख्यक उनके लिये खतरे की घंटी हों या उनका हक छीन रहे हों। बहुसंख्यक उनकी इन बातों में आ भी जाता है इसीलिये मुजफ्फरनगर, मलियाना, मुंबई, गुजरात, अलीगढ़, असम, मुरादाबाद, में इंसानों की लाशों से रास्तों को पाट दिया जाता है।  जिसे हम सांप्रदायिक दंगा कहते हैं, वह इन्हीं विषेले भाषणों का नतीजा होता है जिनमें इतिहास को तोड़ मरोड़कर इस तरह पेश किया जाता है कि अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों ने भारत में शासनकाल के दौरान इस्लाम धर्म को तलवार के बल पर फैलाया था। उसी का नतीज है कि मात्र 1400 साल के अंदर ये संपूर्ण भारत में फैल गया, इसलिये उनका तिरस्कार करो। उन्हें या तो दोबारा हिंदू धर्म में वापस लाओ या फिर हमने उनके लिये अलग राष्ट्र पाकिस्तान बना दिया है उन्हें वहां पर भेजा जाये हम भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। ये ऐसी तकरीरें जो आये दिन sangeet_som_24092013तोगड़िया, सिंघल, मोदी भक्तों के मुंह से सुनने को मिल जाती हैं। अभी पिछले दिनों अशोक सिंघल ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में तालिबान शासन कर रहे है, और आज इसी जुमले को गौरखपुर के सांसद योगी आदित्यानाथ ने दोहराया, यह सच है सपा सरकार हर मोर्चे पर विफल हो रही है मगर इसका मतलब ये तो नहीं कि प्रदेश में तालिबानों की हकूमत हो गई है, जाहिर ऐसे जुमले  कहने का मतलब एक संप्रदाय विशेष के लोगों के खिलाफ नफरत फैलाना है। ताकि बहुसंख्यक समाज को ये लगे कि अल्पसंख्यक ही उत्तर प्रदेश में शासन कर रहे हैं। इसी तरह की बेहूदा बातें करने वाले नौजवान पीढ़ी का माईंडवाश करने में अहम भूमिका निभाते हैं। ये उस पीढ़ी के नायक बन जाते हैं।   अफसोस की बात है कि देश के गद्दारों को एक एक करके सलाखों के पीछे भेजने वाला हेमंत करकरे हिंदुहृद्य सम्राट नहीं बन पाता। वह तब भी हिंदु हृद्य सम्राट नहीं बन पाया जब बाल ठाकरे ने उसे पागल कहा और देशद्रोही कहा, और उसने पहले ही आगाह कर दिया था कि उन्हें संघी आतंकवादियों को पकड़ने के एवज में धमकियां मिल रही हैं, आखिरकार वह शहीद हो गया  वह नायक जरूर बना लेकिन उस समुदाय का जिसके ऊपर लगे बदनामी के दागों को उसने अपने लहू से धोया था। क्या वह हिंदू हृद्य सम्राट नहीं था ? क्या वह बहुसंख्यक समाज का नायक बनने के लायक नहीं था ? आखिर बहुसंख्यक समुदाय का नायक होने का दावा वही लोग क्यों करते हैं जिनके हाथ निर्दोष अल्पसंख्यकों से खून से रंगे हों ? उन्हीं लोगों को असली हिंदुत्व की कश्ती का खेवनहार क्यों बताया जाता है ? क्या हमारे समाज ने सही विलेन को नायक और नायक को विलेन मान लेने का चलन अपना लिया है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी भाजपा विधायक संगीत सोम, को आगरा में नरेंद्र मोदी की सभा में सम्मानित क्यों किया गया ? वरुण गांधी को बार बार हिंदुत्व की दहाड़ वाला नेता क्यों कहा गया, नरेंद्र मोदी को तेजस्वी, विकास पुरुष, लौह पुरुष, हिंदुहृद्य सम्राट की उपाधी आखिर किस लिये दी गई ? श्री कृष्ण कमीशन की रिपोर्ट में शिव सेना प्रमुख दिवंगत बाला साहेब ठाकरे मुख्य रूप से दोषी पाये गये थे रपट कहती है कि ठाकरे ने एक जनरल की तरह हिंसा का नेतृत्व किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो बातचीत सुनाई दे रही थी (महानगर के संवाददाता युवराज मोहिते को, दंगों के दौरान, ठाकरे के घर पर) उससे यह साफ था कि ठाकरे, शिवसैनिकों, शाखा प्रमुखों और शिवसेना के अन्य कार्यकर्ताओं को मुसलमानों पर हमले करने के निर्देश दे रहे थे ताकि उन्हें उनकी करनी का फल मिल सके। वे यह भी कह रहे थे कि एक भी ‘लण्ड्या’ (मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला एक अपमानजनक शब्द) गवाही देने के लिए जीवित नहीं बचना चाहिए।” रिपोर्ट में जिस तरह से उनकी भूमिका का वर्णन किया गया है उससे किसी को भी ऐसा लगना स्वाभाविक है कि उन्हें कड़ी सजा मिलनी थी। सजा मिलना तो दूर रहा, उन्हें गिरफ्तार तक नहीं किया गया। उल्टे वे आम हिन्दुओं को यह संदेश देने में सफल रहे कि उनके व उनके लड़कों (शिवसैनिकों) के कारण ही हिन्दू सुरक्षित हैं और उन्हें हिन्दू ह्रदय सम्राट कहा जाने लगा। हिंसा से उनकी पार्टी शिवसेना को बहुत लाभ हुआ और दंगों के बाद हुये चुनाव में वह महाराष्ट्र में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने में सफल हो गयी थी। सवाल है कि जब निर्दोष लोगों को जलती आग में झौंकने वाले ठाकरे, मोदी, तोगड़िया, संगीत सोम, सुरेश राणा, आदी तो हिंदु हृद्य सम्राट हैं। मगर देश के लिये शहीद होने वाले हेमंत करकरे कौन हैं ? मोदी की पोल खोलने वाले संजीव भट्ट कौन हैं ? क्या ये हिंदु हृदय सम्राट नहीं हो सकते ? जबकी सही अर्थों में हिंदु हृद्य सम्राट यही हैं लेकिन धर्म आधारित राजनीति ने इन्हें हाशिये पर धकेल दिया है। सवाल यही है आखिर हिंदु हृद्य सम्राट कौन ?

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wasim akram pas**वसीम अकरम त्यागी
युवा पत्रकार
9927972718, 9716428646
journalistwasimakram@gmail.com

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*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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