हिंदुत्व की नीव पर ही सशक्त युवा भारत

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birthday of swami vivekananda{संजय कुमार आज़ाद**}
“ मै उस प्रभु का सेवक हूँ जिसे लोग मनुष्य कहतें है” मानवीय संवेदनाओं से पूरित राष्ट्रीय भाव की अथाह सागर में हिंदुत्व रुपी मोती से विश्व को सनातन संस्कार और संस्कृति से अभिभूत कराने वाले महान राष्ट्र चिन्तक योगी स्वामी विवेकानंद जी का उपरोक्त कथन सदा सर्वदा अनुकरणीय रहेगा. स्वामीजी का दृष्टिकोण आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सोच का अद्वितीय संगम है . उन्होंने भारत को महज़ जमीन का एक टुकड़ा और सनातन परम्परा को महज़ एक व्यबस्था नही माना वल्कि उन्होंने दोनों को एक दुसरे का पूरक मानकर मानवीय विकाश का राह माना . अगर शारीर भारत है तो उसकी आत्मा उन्होंने हिंदुत्व को ही माना . स्वामी जी के कार्यो ‘ प्रवचनों एवं उनके रचनाओं का अवलोकन करें तो तो उनके दूरदृष्टि सोच और विश्व कल्याण के लिए हिंदुत्व की महता में ही सशक्त भारत की स्पष्ट खाका तैयार है .किन्तु दुर्भाग्य है की अंग्रेजो की गुलामी से मुक्त होकर भारत अंग्रेजो के मानस पुत्रो के हाथो ही गुलाम हुई और स्वामी जी के सपने धुल धूसरित होता आया .पश्चिमी परिवेश में पला-पढ़ा-बढा तत्कालीन निति नियंता ने भारत की व्यबस्था को पश्चिमी ढाचे में ढालने का गलत निर्णय लिया जिसका खामियाजा भारत आज तक भुगत रहा है.

कभी सोने की चिड़िया के नाम से विख्यात भारत आज भय,भूख और भर्ष्टाचार से ग्रसित विश्व के पिछड़े देशो में शुमार है . विश्व के सबसे अधिक उर्जावान शक्ति का देश अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर पा रहा है.यदि स्वामी जी की दूरदृष्टि पर भारत के निति नियंता काम किया होता तो आज अपना भारत विश्व का सिरमौर होता इसमें रंचमात्र भी संशय नहीं है .भारत के निति नियंता भारत का जड़ धर्म के मर्म को सदैव परे किया.फलतः हिंदुत्व की भावना से इस देश के युवाओं को दूर कर भोगवादी शैक्षणिक माहौल की ऑर ले जाकर आज के युवाओं को पतन के गर्त में धकेल दिया है .स्वामी विवेकानंद जी का मानना था – “मै इस निष्कर्ष पर पहुँच गया हूँ की संसार में केवल एक ही देश है जो धर्म को समझ सकता है – वह है भारत . हिन्दू अपनी सम्पूर्ण बुराइओ के वाबजूद नीति एवं आध्यात्म में दुसरे राष्ट्रों से बहुत ऊँचे है.’’ दुर्भाग्य है की १९४७ के बाद इस देश का नेतृत्व, स्वामी जी के हिन्दुत्ववादी राष्ट्रीय चिंतन को मार्क्स मुल्ला और मैकाले के दवाव में ख़ारिज कर आज इस देश को रसातल में पहुचा दिया.

स्वामी जी वेदान्त के पुरोधा के रूप में वैदिक संस्कृति के नवीन और प्रगतिशील मानदंडो के उद्वाता बने .जब १८९३ में शिकागो विश्व धर्म सम्मलेन में नरेन्द्र से विवेकानंद बनकर हिंदुत्व का जो विवेक विश्व को दिया वह अतुलनीय है बंदनीय है .अमेरिका के भूमि पर बिलकुल नवीन और उर्जवासित कन्ठ से जब उन्होंने हिंदुत्व का सार और सनातन परम्परानुसार विश्व बन्धुत्व का जो अलौकिक सन्देश दिया तो विश्व इनके चरणों में वंदन कर अपने आपको धन्य मानने को उतावला हो उठा था .अपने परिचयात्मक उद्वोधन में इन्होने हिन्दू होने के गर्व को स्वीकार .उन्होंने कहा –“ मै एक ऐसे धर्म का अनुयाई होने में गर्व का अनुभव करता हूँ जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति दोनों की ही शिक्षा दी है .मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मो तथा देशो के उत्पीड़ितो और शरणार्थियो को आश्रय दिया है.” स्वामी जी का उपरोक्त कथन हिन्दू देश के हिन्दू परम्पराओ और उसके स्वभाव वसुधैव कुटूम्ब्कम को एक नयी दिशा दी .उन्होंने हिंदुत्व के मूलमंत्र ‘जिओ और जीने दो एवं वसुधैव कुतुम्कम” के सहारे “ सिर्फ मै ही” के भाव को नकार कर विश्व को एक नया सन्देश भी दिया .

आज का राजनितिक परिदृश्य और दिग्भ्रमित भारत का बौध्हिक वर्ग मृग तृष्णा में जी रहा है . अपने कलम का इस्तेमाल भारत के सनातन परम्परा को धूमिल करने में ही लगा रखा है . फलतः आज का युवा वर्ग स्वामी विवेकानंद जी के सपनो के भारत से कटा रहा था .लेकिन सूर्य के किरणों को कब तक बादल छिपाए रख सकता ? मार्क्स –मुल्ला –मैकाले के दलालों के लाख कुत्सित प्रयासों के वावजूद भारत का युवा शक्ति जिस तेजी से स्वामी विवेकानंद जी के संदेशो को आत्मसात कर रहा वह अभिनंदनीय व वन्दनीय है .

१२ जनवरी २०१३ से १२ जनवरी २०१४ तक स्वामी जी के १५० वी जन्म दिवस के अवसर पर एक साल तक चले कायक्रम में जिस तरह से युवको ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया वह सशक्त भारत की कल्पना को साकार करने वाला है . ऐसा मान जाता है की — Youth are one of the greatest assets that any nation can have. Not only are they legitimately regarded as the future leaders, they are potentially and actually the greatest investment for a country’s development. They serve as a good measure of the extent to which a country can reproduce as well as sustain itself. The extent of their vitality, responsible conduct, and roles in society is positively correlated with the development of their country. अपने देश में युवाओं की भागीदारी विश्व में सर्वाधिक है लेकीन पाश्चात्य सांचे में उस युवा को ढालकर भोग्बादी बनाने की चाल चली जा रही है .भारत सहित विश्व के दुसरे देशो में निवास करने वाले हिन्दू युवको ने स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से जिस प्रकार अपने आपको को जोड़ा वह हिन्दू और हिंदुत्व के लिए सकारात्मक पहल है. गर्व से कहो की “हम हिन्दू हैं” स्वामीजी का यह गर्वोक्ति अब स्पष्ट सुनाई पड़ रही है.

आज विश्व में जो व्यवसैयिक माहौल बना है उसमे भारत के युवा खासकर दिग्भ्रमित हो रहे हैं.आज हम अपने संसाधनों को किस प्रकार से भ्रष्ट्राचार के भेट चढा रहे है उसके उदाहरण 2 जी ; आदर्श घोटाला ;कोल घोटाला ; सी डव्लू जी घोटाला ……. अंग्रेजी बर्णमाला के सारे अक्षरों से शुरू होकर यह अंतहीन सिलसिला ज़ारी है.किसी देश का भाग्य वहाँ के राजनितिक और सामाजिक परिवेश से आँका जाता है वहाँ की कार्य पध्यती से आँका जाता है किन्तु पाश्चात्य शाशन प्रणाली से ज़कड़ी भारत भ्रष्टाचार से आज जानी जा रही है . स्वामी जी के सपनो का भारत आज भरष्टाचार में डूवा भारत के रूप में जाना जाता है ?

किसी देश की सबसे बड़ी पूंजी वहाँ की मानवीय संसाधन होता है उसमे भी युवाओं की सक्रियता उस देश की की तकदिर बदलने का मद्दा रखता है . पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी ने स्वामीजी के सपनो का भारत को बनाने हेतु ही भारत 2020 की जो कल्पना देखि वह इसी युवा संसाधन के बूते देखी है .कहा गया है की — Youth is a dynamite of any country that can do great good when used in a right way. They are the powerhouse and storehouse of infinite energy which brings laurels to the Country. क्या भारत के वर्तमान युवा अपनी राष्ट्र पुनर निर्माण के दायित्व से कभी पीछे हटे है ? उत्तर है – नहीं . सिर्फ सकारात्मक सोच बाला नेतृत्व चाहिए फिर भारत माता को परम बैभव पर पहुचने में कोई संदेह नहीं है .

स्वामी जी के १५० वी साल गिरह के पावन अवसर पर एक साल तक चले विभिन्न कार्यक्रमों ने सुसुप्त युवा बर्ग को जागृत किया है . देश के युवा वर्ग के बीच स्वामीजी के सपनो का भारत कैसा हो इस पर भी ध्यान खीचा गया है आशा ही नही विश्वास है की इस देश का युवा स्वामी जी के सपनो का भारत , हिंदुत्व की नीव पर मानवीय संवेदनाओं से युक्त वैभव शाली भारत समृद्ध शाली भारत के नव निर्माण में अपना सम्पूर्ण योगदान देंगे . भारतीय चिंतन से ओतप्रोत युवा राजनीतिज्ञ ;युवा पत्रकार ; युवा बुद्धिजीवी एवं कार्पालक; युवा विद्यार्थी हर कोई कंधा से कंधा मिलाकर हिंदुत्व की आधार शिला पर ही नये भारत का पुनर्निर्माण करेगा .इस देश में अब यह विश्वास जगा है की — Youth is a spark which can either burn or lighten the country. स्वामीजी के पावन जन्म दिन पर ये संकल्प है की भारत के युवा शक्ति से जगमगाता भारत विश्व को प्रकाशित कर विश्व गुरु भारत बनेगा अब इसमें कोई संशय नहीं है .

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sanjay-kumar-azad121**संजय कुमार आजाद
पता : शीतल अपार्टमेंट,
निवारणपुर रांची 834002
मो- 09431162589 (*लेखक स्वतंत्र लेखक व पत्रकार हैं) *लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं ।

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