एक लम्बे समय से भारतीय भाषाओ भारतीय सरकारों के साथ साथ न्ययालयों लागू करने की मांग होती रही वक़त वक़त पर भारतीय भाषाओ के साभिमान के लियें आंदोलन भी होते रहे हैं ! पिछली सरकारों ने इस मुद्दे को समय रहते कभी भी सीरियसली नहीं लिया पर आज
किरेन रिजिजु, गृह राज्यमंत्री ने आज यहां राजभाषा विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की और हिंदी में सभी मंत्रालयों में काम करने को कहा ! इस समीक्षा बैठक के के दौरान विभाग द्वारा अपने कार्यों व चुनौतियों पर प्रस्तुतीकरण भी किया गया।
प्रस्तुतीकरण के दौरान यह अवगत कराया गया कि राजभाषा विभाग केवल केंद्रीय सरकार के विभागों, उपक्रमों तथा राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ राजभाषा हिंदी को व्यापक करने हेतु कार्य करता है। हिंदी के प्रयोग को और व्यापक करने के लिए विभाग द्वारा किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों और अनुवाद कार्य को आधुनिक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। हिंदी के प्रयोग के लिए आईटी टूल्स के अभाव और विभागों द्वारा प्रयोग में आ रही कंप्यूटरीकृत प्रणालियों में हिंदी का प्रावधान न होने पर भी चर्चा हुई।
विभाग द्वारा हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए देश भर में 342 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियॉं (नराकास) गठित की गई हैं और राज्य सरकारों के दफ्तरों को भी इनमें शामिल करने के प्रयास जारी हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि देश के हर जिले में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियॉं गठित की जाएगी। सचिव, राजभाषा-विभाग, सुश्री नीता चौधरी ने बताया कि हिंदीतर भाषी क्षेत्र चेन्नई में भी हिन्दी के क्षेत्र में उत्साहवर्धक संकेत देखने को मिले हैं जब हाल ही में हिन्दी सम्मेलन में 500 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि शोध संस्थानों में भी हिन्दी के विस्तार के लिए कार्य जारी है और सी0एस0आई0आर0, एच0ए0एल0 जैसे संस्थानों में कई तकनीकी दस्तावेजों को हिन्दी में अनुवाद किये गए हैं। बैठक में संयुक्त सचिव राजभाषा श्रीमती पुनम जुनेजा एवं अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।