हिंदी दिवस को धिक्कार दिवस घोषित करेगा भारतीय भाषा आंदोलन

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bhartiye-bhasha-andolanआई एन वी सी न्यूज़
नई दिल्ली ,

जहां देश के हुक्मरानों ने अंग्रेजों के जाने के 70 सालों में देश को अंग्रेजों की भाषा का गुलाम बनाया हुआ है, वहीं भारतीय भाषा आंदोलन के जांबाज देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए संसद के समक्ष जंतर मंतर पर 41 माह से आजादी की जंग छेड़े हुए है।  देश के हुक्मरानों ने 15 अगस्त 1947 से आज तक देश को अपनी भाषा व अपने नाम ‘भारत‘ के साथ देश की संस्कृति से वंचित करके अंग्रेजों के बाद देश को बलात अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी व इंडिया का गुलाम बनाने का राष्ट्रद्रोही कृत्य किया। जबकि देश की आजादी के लिए नेताजी, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे हजारों हजार सपूतों ने अपना सर्वस्व जीवन बलिदान किया। परन्तु देश के हुक्मरानों ने अपनी सत्तालोलुपता व अंग्रेजीयत की गुलामी में अंधा हो कर देश को अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद पुन्न उन्हीं की भाषा ‘अंग्रेजी‘ का गुलाम बना दिया। भारतीय भाषा आंदोलन के महासचिव देवसिंह रावत ने संसद की चैखट पर आजादी की जंग में सम्मलित भाारतीय भाषा आंदोलन के जांबाजों को संबोधित करते हुए कहा कि देश अपनी भाषा, अपने नाम व अपनी संस्कृति के दम पर शताब्दियों तक विश्वगुरू व सोने की चिडिया रहा।

परन्तु 1947 के बाद जबसे देश को अपनी भाषा व अपनी संस्कृति से वंचित करके विदेशी भाषा को बलात थोपी गयी, तबसे भारत विश्व का सबसे भ्रष्टतम देश व पिछडे देश में जाना जा रहा है। यही नहीं देश को अपने नाम से वंचित किया गया। भारत का नामोनिशान देश के हुक्मरानों ने इंडिया नाम थोप कर मिटाया। इसी के विरोध में भारतीय भाषा आंदोलन विगत 41 माह से देश की आजादी की जंग छेड़े हुए है। चाहे देश के हुक्मरान खुद को अंग्रेजी के कहार बन जायें परन्तु देश की जनता अब जाग गयी है। भारतीय भाषा आंदोलन के जांबाज देश को अंग्रेजी का गुलाम बनाने वालों के मंसूबों को रौंद कर देश को भारतीय भाषायें दिला कर ही दंम लेंगे। आगामी 14 सितम्बर को ‘हिंदी दिवस के नाम पर देश की आंखों में धूल झोंकने वाले व देश को अंग्रेजी का गुलाम बनाने वाले हुक्मरानों को बेनकाब करने के लिए भारतीय भाषा आंदोलन धिक्कार दिवस मनायेगी।  सितम्बर माह के दूसरे सप्ताह  को संसद के द्वार जंतर मंतर पर भारतीय भाषा के इस ऐतिहासिक आजादी की जंग में सम्मलित होने वालों में भारतीय भाषा आंदोलन के महासचिव देवसिंह रावत, चंद्रवीर सिंह, सुनील कुमार, अभिराज शर्मा, रामजी शुक्ला, स्वामी श्रीओम, राजेश यादव, वरिष्ठ संत व साहित्यकार वीरेन्द्र नाथ वाजपेयी, सुशील खन्ना, दिनेश शर्मा, मनमोहन शाह, कमल किशोर नौटियाल, सुभाष चैहान, रमाशंकर औझा, मोहम्मद रियाजूद्दीन, किशोर रावत सहित अनैक आंदोलनकारी सम्मलित हुए।

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