आई एन वी सी,
दिल्ली,
चुनाव आयोग से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच ने कहा है कि राजनैतिक दलों के अन्दर चुनाव कराना संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन चुनाव आयोग को प्रदत्त दायित्वों में नहीं आता है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा कौंग्रेस, बीजेपी, सपा तथा बसपा सहित विभिन्न राजनैतिक दलों में आतंरिक लोकतंत्र के अभाव के सम्बन्ध में दायर पीआईएल में जस्टिस इम्तियाज़ मुर्तजा और जस्टिस डी के उपाध्याय की बेंच ने कहा कि राजनैतिक दलों के पदधारकों की नियुक्ति यदि चुनाव की जगह ऊपर से कर दी जाती है तो वह अधिकतम इन दलों के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। अतः चाहे यह कितना भी उचित लगे कि दलों के अन्दर आतंरिक लोकतंत्र हो और पदधारकों की नियुक्ति चुनाव के माध्यम से हो पर चुनाव आयोग के पास इस प्रकार के स्पष्ट विधिक अधिकार नहीं होने के कारण हाई कोर्ट इस सम्बन्ध में कोई निर्देश नहीं दे सकता है। याचिका के अनुसार चुनाव आयोग राजनैतिक दलों का पंजीयन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के अधीन करता है। सभी राजनैतिक दल अपने संविधान में राष्ट्रीय, राज्य तथा जिला अध्यक्ष सहित कई पदों पर निर्वाचन के द्वारा चयन की बात करते हैं, जबकि इसके विपरीत व्यवहार में लगभग सभी पार्टी पदाधिकारी हाई कमांड द्वारा सीधे नियुक्त किये जाते हैं जो धारा 29ए के अंतर्गत बने पार्टी संविधान का उल्लंघन है।