हरियाणा के राज्यपाल उतरे साहित्य के समर्थन में

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jagannath pahadiaइंद्रा राय,
आई एन वी सी,
हरियाणा,
हरियाणा के राज्यपाल श्री जगन्नाथ पहाडिया़ ने बच्चों के अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को कभी-कभार साहित्य आवश्य पढाएं ताकि उनमें नैतिक मूल्यों का समावेश हो सके। पहाडि़या आज पंचकूला में स्वामी दयानंद सरस्वती के 189वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित 3 दिवसीय कार्यक्रम के समापन अवसर पर संबोधित करते बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ शिक्षा प्रदान करवा सकती है लेकिन वास्तविक रूप में बच्चों में नैतिक मूल्यों व संस्कार की भरपाई उनके माता-पिता के द्वारा ही की जा सकती है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों पर तो चर्चा होती रहती है लेकिन हमें उन्हें स्वयं के जीवन की उदाहरण बना कर पेश करना चाहिए तभी नैतिक मूल्यों की सार्थकता सिद्ध होती है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने स्वामी दायनंद सरस्वती के प्रशस्त मार्ग का अनुसरण करते हुए लागों में मानवीय मूल्यों के प्रति चेतना जगा कर राष्ट्र निर्माण की राह दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इस बात पर गर्व महसूस करते हुए कहा कि आर्य समाज ने भारतीय समाज में सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से सुधार जाने और देश को स्वतंत्र करवाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आर्य समाज ने देश में एक ऐसा सामाजिक एवं शैक्षणिक आंदोलन चालाया जिसके माध्यम से देश भर में व्याप्त अनेक सांसारिक राष्ट्रीय एवं धार्मिक समस्याओं का समाधान खोजने के सार्थक प्रयास किए गए। देश की नई पीढी को वैदिक संस्कृतिक का ज्ञान देने में आर्य समाज आग्रणी रहा है। इस समाज ने वेदों को बढाने और उनके मूल्यों को धारण करने की जो राह दिखाई है उसके कारण जगत की सामाजिक, सांस्कृतिक व अध्यात्मिक प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि इस समाज ने अच्छे स्वास्थ्य एवं रोगों के निवारण के लिए भी योग साधना और आसन, प्रणायाम आर्य समाज की ही देन हैं। उन्होंने कहा कि कलांतर में आर्य समाज के प्रतिष्ठित महानुभावों, पंडित लेखराम, स्वामी श्रद्धानंद, महात्मा हंस राज, लाला लाजपत राय और शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह जैसे नोजवानों ने भी स्वामी दयानंद सरस्वती के पद चिन्हों पर चलते हुए न केवल भारत को आजाद करवाने बल्बि समाज की शिक्षा पद्धति में भी अमूलचूल परिर्वतन लाने का अविस्मरणीय प्रयास किया। पहाडिया ने महार्षि दयानंद सरस्वती के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि युग पुरुष सरस्वती उच्च कोटि के विद्यान, विचारक, सांस्कृतिक क्रांतिकारी, समाज सुधारक और भारतीयता के प्रबल समर्थक थे। वेदों की पुर्नस्थापना में उन्होंने अथक प्रयास किया। उन्होंने कहा कि जिन आदर्शों को अपना कर गांधी जी ने कार्यक्षेत्र बनाया महार्षि दयानंद ने उनकी आधारशिला बहुत पहले रख दी थी। स्वराज्य की स्थापना के लिए सामाजिक कुरीतियों, सांप्रदायिक्ता, छुआ-छूत, अंधविश्वासों, जाति-पाति के भेदों तथा निर्धनों के शोषण के विरूद्ध उन्होंने कठोर संघर्ष किया। उन्होंने दलित वर्ग और नारी के उत्थान का भी आहवान किया। इन्हीं आदर्शों के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की। उन्होंने आर्य समाज, सैक्टर 9, पंचकूला के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह समाज स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा दिखाए गए वैदिक संस्कृति मार्ग को अपनाते हुए समाज के सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक उत्थान के लिए सदा प्रयासरत रहेगा। उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यहां समाज की अध्यात्मिक, सांस्कृतिक, शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नती के सभी आयोमों को पूरा महत्व दिया जाता है। यहां पुरुषों व महिलाओं के लिए प्रतिदिन योगासन का प्रबंध है। समय-समय पर योग शिविर भी लगाए जाते हैं। इसके साथ-साथ शारीरिक रोगों के उपचार के लिए पंचकर्म, प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेदिक चिकित्सा, होम्योपैथिक, ऐलोपैथिक, नेत्र चिकित्सा व न्यूरोथिरैपी चिकित्सा, ये सभी उपचार सुयोग्य अनुभवी चिकित्सों की देख-रेख में उपलब्ध हैं। इस समाज की विशेषता है कि यह गुरुकृलों, अनाथाल्यों और वैदिक प्रचार में सलग्न संस्थाओं की सहायता समय-समय पर करता है। इसके अरिक्त निर्धन सहायता, ब्रहमचारियों और विद्यार्थियों को भी आर्थिक सहयोग दिया जाता है। इसके अतिरिक्त महिलाओं की सहायता एवं उनको आत्म निर्भर बनाने के लिए यहां महिला सिलाई केन्द्र चलाया जा रहा है, जहां महिलाएं प्रतिदिन प्रशिक्षण प्राप्त करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन ग्रीष्म ऋतु में विद्यार्थियों के अवकाश के समय लगभग चार सप्ताह का बाल संस्कार शिविर लगाया जाता है जिसमें भावी पीढी को वैदिक मंत्रों की शिक्षा दी जाती है तथा नैतिक मूल्यों के संस्कार भी दिये जाते हैं। इस अवसर पर अपने संबोधन में बोलते हुए हरियाणा के लोकायुक्त एवं पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्याधीश जस्टिस श्री प्रीतम पाल ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती दैवीय गुणों की खान थे जिन्होंने ऐसे धर्म को अपनाया जो ईश्वरीय ज्ञान का भंडार था। उन्होंने कहा कि दयानंद सरस्वती ने हमें ईश्वर द्वारा दिये गए ज्ञान की शिक्षाएं दी न की मनुष्य द्वारा दिये गए। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा दिये गए 10 सिद्धांतों में से यदि कोई मनुष्य किसी एक को भी अपना पथ प्रदर्शक बना कर चले तो वह एक आदर्श व्यक्तिव का इंसान बन सकता है और यदि कोई 10 के 10 नियमों को अपना ले तो वह तो महामानव के बराबर है। उन्होंने कहा कि बच्चों को योग्य बनाने के लिए धन की नहीं अपितु संस्कारों की आवश्यक्ता होती है। उन्होंने स्वामी दयानंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी शिक्षाएं किसी एक समाज के लिए नहीं अपितु पूर्ण मानव जाति के लिए थी। समारोह में हरियाणा के पूर्व डी.जी.पी. श्री लक्षमण दास, आर्य समाज के प्रधान धर्मवीर बत्रा तथा अन्य माहनुभावों ने भी स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर राज्यपाल ने वेद में विज्ञान नामक पुस्तक का विमोचन भी किया। इस अवसर पर समारोह में राज्यपाल के सचिव महिंदर कुमार, उपायुक्त पुलिस श्री अश्विन शैनवी, अतिरिक्त उपायुक्त, उपमण्डल अधिकारी (ना0) पंचकूला श्रीमती शरणदीप कौर बराड़ सहित काफी संख्या में आर्य समाज के लोग भी उपस्थित थे।

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