हम वेंडी डोनिगर का विरोध क्यों करते हैं

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{संजय कुमार आजाद**}
हिंदी के कथाकार असगर वजाहत लिखित “मै हिन्दू हूँ” के पेज ११७ पर शोर्शक है- “विकसित देश की पहचान” गुरु शिष्य संवाद का प्रथम अंश है –

गुरु- विकसित देश की पहचान बताओ, हरिराम

हरिराम- विकसित देश कपडा नही बनाते गुरुदेव

गुरु- तब वे क्या बनाते है ?

हरिराम- वे हथियार बनाते हैं.

गुरु- तब वे अपना नंगापन कैसे ढकते हैं .

हरिराम- हथियारों से उनकी नंगई ढक जाती है .

उपरोक्त कहानी वर्तमान सन्दर्भ में वेंडी डोनिजेर की विद्रूप मानसिकता की मनगढ़ंत उपज “दि हिन्दू; एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री” पर सटीक बैठती है. जिस तरह से उपरोक्त सवाद में हरिराम कहता है की – विकसित देशों की नंगापन हथियारों से ढक जाती है उसी प्रकार वेंडि डोनिजर जैसे कलमघिस्सुओं का बौध्यिक नंगापन तथाकथित सेकुलरिस्टो रूपी हथियार से ढांके जा रहे हैं. वर्ष २००९ में पेंग्विन बुक्स इंडिया द्वारा छापी गयी.

उपरोक्त पुस्तक बौद्धिक नंगापन की पराकाष्ठा है. बौद्धिक दिवालियापन का प्रतीक तथ्यविहीन यह पुस्तक भारत की सनातन संस्कृती को झूठ की बुनियाद पर जिस तरह से बदनाम  करने का घृणित प्रयास किया वह यदि इस्लामी या इसाइयत पर किया होता तो ऐसे साहित्यिक आतंकवादी को कब का आधे शारीर ज़मीन में गाड़कर पत्थर मार मार कर दोज़ख भेज दिया गया होता.

इस पुस्तक के दुराग्रह और पूर्वाग्रह से लिखी पंक्तियो पर जब मामला कोर्ट में पहुचा तो प्रकाशक ने वादी के साथ समझौता कर लिया की बाज़ार से इस पुस्तक के सारी प्रति लेकर उसकी लुगदी बना दी जायेगी ? क्योंकि प्रकाशक को ये समझ में आ गयी की झूठ और बेबुनियाद की आड़ में लिखी ये पुस्तक सही तथ्यों से मीलों दूर है ऐसे में इसे कोर्ट में सही साबित करना असम्भव है. कोर्ट में फजीहत होने और ऐसे तथ्याबिहीन विद्रूप मानसिकता की लेखन की बदनामी से बचने के लिए ही बौद्धिक आतंकवादिओं ने पुस्तक को वापस लेकर मामले को दवा लिया है. वेडी डोनिज़ेर ने पुस्तक के वापसी पर  वेशर्मी से लिखा है – असल खलनायक है भारत का कानून ;जिसने किसी हिन्दू को आहात करने बाली किताब के प्रकाशन को दीवानी अपराध को फौजदारी का मामला बना दिया.एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी इसी को कहतें हैं .

उस पुस्तक में हिदुओ के आराध्य शिव शक्ति या अन्य आस्था के देवी देवताओं के बारे जो लिखा गया वह सत्य के साथ बलात्कार से कम नही उसकी कुछ घृणित उदाहरण –देवाधिदेव शंकर को कामुकता का प्रतीक मानने बाली ये पुस्तक में कहा  गया है -Shiva appears of the Linga—I KEPT GOING DOWN FOR A THOUSAND YEARS,BUT I DID NOT REACH THE BOTTOM OF THE LINGA,NOR DID BRAHMA FIND ITS.(Page252-53) वही शक्ति के प्रतीक हिन्दू देविओं के बारे में जिस कुंठित मानसिकता से लिखा गया वह निंदनीय है.इस पुस्तक में लिखा है –You can divide the many Goddesses of India into the Goddesses of the Tooth and Goddesses of the Breast.The Goddesses of the breast are wives move or less subservient to husbands but they donot usually give Birth to Childrren. (Page-256) वही महादेव और शक्ति के संदभ में लिखा है –   The most serious problem in the marriage of theShiva and Parvati is the lack of any Children born of both Parents.(Page-259) But the original Parvati,who continius both of the other two Goddesses in her in nuce is already a cruel mother (Page-261)

महाभारत के सन्दर्भ में यदि देखें तो इस पुस्तक अनर्गल बातों से भरी है ,इस पुस्तक के अनुसार सूर्य ने कुंती के साठ बलात्कार किया और बाद में उसका कौमार्य लौटा दिया.वही बलराम के सन्दर्भ में लिखा है- One day Balrama brother of Krishna,got drunk and wandered around stumbling his eyes red with drinking.(Page-268).

वेंडी ने अपने कुत्सित लेख भारत के करोडो हिन्दुओ के आदर्श मर्यादा पुर्शोतम श्रीराम के बारे में लिखा है की वे अपने पिता को व्यसनी और कामलोलुप मानते थे.ऐसे निकृष्ट घटिया मानसिकता के वेंडि लेखन की परम्परा के तालिवानी उत्पाद है.गाय को हिन्दू मान्यताओं में माँ का दर्ज़ा प्राप्त है किन्तु संस्कृत की अधूरी ज्ञान और पूर्वाग्रह से ग्रसित अनुबादको ने अर्थ को अनर्थ किया है .उसने किस शोध के आधार पर लिखा वह आश्चर्यजनक है की –Anyone who knowingly eats Human flash or the flash of a Cow will be purified if he fast for a fortnight.(Page-285) Muslims who slaughter Cows could not be held to have insulted the Religion of the Hindus.(Page-401)इतना ही नही इसने स्वामी विवेकान्द के बारे में लिखी है की वो गो-मांस भक्षण करने के समर्थक थे और महात्मा गाँधी दुविधा में —On the question of eating Beaf Gandhi was also ambivalent.(Page-403) उस पुस्तक के अनुसार १२२० की एक घटना का जिक्र है –That a hindu named Bartuh killed 1,20,000muslims in Awadh on Uttar Pradesh in around 1220. (Page-298) और बही आगे लिखती है —Muslim boy meets Hindu girl with Fatal consequences. (Page-366).

भारत में अपने तथाकथित सेकुलरिस्ट आतंकियो के साथ मिलकर डॉलर पर बिके इन आतातायियो के साठ मिलकर प्राचीन भारत के शानदार अतीत को धूमिल करने की चाल में घृणित रचना सोच समझ कर लिखी गयी है .इस पुस्तक ने मंगल पाण्डेय को नशेडी अफीमची और झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को अंग्रेजो के बफादार थी ? ऐसे पुस्तक के बारे में देश के बुधिजीवी बता सकते है की इस घटिया तथ्य विहीन और आतंकी पुस्तक और उसके रचनाकार के प्रति क्या नजरिया होना चाहिए ?भारत में डॉलरों पर बिके कलमघिस्सुओ ने अपनी मान सम्मान स्वाभिमान सब उन देशद्रोहियो के हाथो बेचकर भारत के युवाओं को गुमराह कर रहे है.

मार्क्स-मुल्ला-मैकाले और मायनों के इन मानस पुत्रों ने भारत के युवाओं को जिस शिक्षा से शिक्षित किया उसका बिकृत रूप में देश को नेहरु मिला था ओर अभी भी वह धारा बदस्तूर ज़ारी है ? ऐसे निकृष्ट सोच की पुस्तक जो अतीत को तोड़ मरोड़ कर पेश करे का विरोध करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है और जो इसका समर्थन करते है वे भारत का अहित करने बाले आतातायियो का समूह ही हो सकता है. क्या हम डॉलर से सजे पुरस्कारों के लिए इतना गिरे है की हम अपने पूर्वजों के कृत्य को कुकृत्य में बदलने वालों को महिमामंडित करते है .डॉलर से हटकर भी दुनिया है –मन मस्त फकीरी धारी है अब एक ही धुन जय जय भारत में जो सुख है वह कही नहीं .ऋषि परम्परा पर विकसित अपना धरोहर को यदि समृद्ध नहीं कर सकते तो उसे बिकृत करने का जघन्य अपराध करने का अधिकार हमें किसने दिया ,हम डॉलर के आगे गिरकर जिस सृजन का दास बनते जा रहें है उसका अंत अब निकट है क्योंकि भारत की तरुनाई जाग रही समझ रही और उसे अब अपने संस्कार संस्कृति पर गर्व की अनुभूति भी हो रही है .वेंडी डोनिगर की पुस्तक की कलंक कथा जिस तथ्यविहीन  झूठ फरेव और पूर्वाग्रह के सृजित की गयी है वह अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के साथ पाशविक बलात्कार है जिसके कारण वेंडी डोनिगर जैसे मानसिकता का हम विरोध करते हैं.

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sanjay-kumar-azad111**संजय कुमार आजाद
पता : शीतल अपार्टमेंट,
निवारणपुर रांची 834002

मो- 09431162589
(*लेखक स्वतंत्र लेखक व पत्रकार हैं)
*लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं |

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