आई एन वी सी , लखनऊ , पी एन श्रीवास्तव, अपर सत्र न्यायाधीश, लखनऊ ने आदेशित किया है कि प्रार्थनापत्र के अनुसार ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में 1401.37 करोड रुपये का घोटाला हुआ दिखता है, अतः इसकी तफ्तीश आर्थिक अनुसन्धान शाखा (ईओडब्ल्यू), उत्तर प्रदेश द्वारा की जानी चाहिए. लेकिन चूँकि उन्हें ईओडब्ल्यू को विवेचना करने के आदेश देने का अधिकार नहीं है, अतः इस सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है. अपर सत्र न्यायाधीश ने यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका में दिया है. डॉ ठाकुर ने यह याचिका सीजेएम लखनऊ द्वारा 156(3) सीआरपीसी के अंतर्गत प्रस्तुत प्रार्थनापत्र को कैग रिपोर्ट पर आधारित होने और अधीनस्थ न्यायालयों को कैग रिपोर्ट के आधार पर मुक़दमा दर्ज करने का अधिकार नहीं होने के आधार पर खारिज किये जाने के विरुद्ध दायर किया था. सीजेएम के अनुसार कैग रिपोर्ट पर कार्यवाही करने का अधिकार केन्द्र और राज्य सरकार को ही है. यह प्रकरण ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में लगभग 1401.37 करोड रुपये सरकारी धन के अपव्यय के संबंध में है जिसमे वर्ष 2007-12 की अवधि में सभी स्थापित मापकों, मानकों, नियमों का मनमर्जी से खुला उल्लंघन किया गया, ज्यादातर मामलों में टेंडर (निविदा) की स्थापित प्रक्रियाओं तथा नियमों का खुला उल्लंघन हुआ और भौतिक सत्यापन में कैग द्वारा कई सारी कमियां, खामियां और अनियमितताएं दिखीं.थाना गोमतीनगर और एसएसपी लखनऊ द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करने की दशा में ठाकुर ने सीजेएम कोर्ट में वाद दायर किया था.