सूचना आयुक्त ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय पर ठोका सात हजार जुर्माना – पूरी सूचना उपलब्ध करवाए जाने के दिए आदेश

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आई एन वी सी ,रोहतक,दीन बंधु चौ.छोटूराम यूनिवर्सिटी ऑफ सांइस एंड टैक्रोलॉजी ,प्रथम सूचना अधिकारी डॉ.प्रीत सिंह,डॉ.प्रीत सिंह,  राज्य सूचना आयोग ,महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय,वरिष्ठ पत्रकार सोमनाथ शर्मा, सूचना के अधिकार के तहत ,सूचना आयुक्त योगेंद्र गुप्ता,आई एन वी सी ,

रोहतक,

 राज्य सूचना आयोग ने अपने 17 अप्रैल के फैसले में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय पर सूचना समय न देने के कारण सात हजार रुपये का जुर्माना ठोका है। वरिष्ठ पत्रकार सोमनाथ शर्मा ने 30 अगस्त 2013 को सूचना के अधिकार के तहत नौ बिंदुओं पर मदवि की कॉलेज ब्रांच से बकाया फीसों के संंबंध में सूचना मांगी थी, लेकिन उन्होंने एक माह के बाद सही सूचना देने की बजाए आधी-अधूरी सूचना उपलब्ध करवाई। जिसके खिलाफ प्रार्थी ने मदवि के प्रथम सूचना अधिकारी डॉ.प्रीत सिंह के कार्यालय में 3 अक्टूबर 2013 को अपील दायर की। प्रथम अपील अधिकारी द्वारा उन्हें दो माह से ज्यादा समय दिए जाने के बावजदू व उनके आदेशों की अनदेखी करते हुए पूर्ण सूचना उपलब्ध नहीं करवाई। इसके बाद सोमनाथ शर्मा ने राज्य सूचना आयोग के कार्यालय में 17 दिसंबर 2013 को अपील दायर की। सूचना आयुक्त योगेंद्र गुप्ता ने 17 अप्रैल 2014 को मामले की सुनवाई की। उन्होंने प्रार्थी की दलीलों से सहमत होते हुए मदवि प्रशासन को 15 दिनों के भीतर सभी सूचनाएं प्रार्थी को उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। सूचना आयुक्त ने मदवि प्रशासन को 15 सप्ताह के भीतर प्रार्थी को सात हजार रुपये का भुगतान क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करने के आदेश पारित किए, लेकिन विवि प्रशासन ने एक माह से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद भी आज तक प्रार्थी को पूर्ण सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवाकर सूचना आयुक्त के आदेशों की भी धज्जियां उड़ाई हैं। कॉलेज ब्रांच के अधिकारियों व कर्मचारियों को यह डर भी सता रहा है कि अगर प्रार्थी को पूर्ण सूचना उपलब्ध करवाई गई तो करोड़ों रुपये की कॉलेजों से फीसें न वसूलने व एनओसी देने के मामले में की गई गड़बडिय़ां उजागर हो जाएंगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार कॉलेज ब्रांच ने एफआईटी-फरीदाबाद सहित एक कॉलेज को बगैर बकाया फीसों का भुगतान किए एनओसी जारी कर दी थी। मजेदार बात तो यह है कि एक कॉलेज की ओर अभी भी लाखों रुपये की राशि बकाया है। यह मामला प्रार्थी द्वारा सूचना आयुक्त के सामने तथ्यों सहित उठाए जाने के बावजूद भी आज तक उपरोक्त कॉलेज से फीसों की वसूली नहीं की है। इसी तरह की गड़बडिय़ों को छिपाने के लिए सूचना देने में आनाकानी की जा रही है। प्रार्थी ने सूचना आयुक्त के सामने यह बात भी उठाई कि कॉलेज  ब्रांच के एक अधीक्षक फाईल पर साफ लिखा था कि आधी अधूरी सूचना देने के मामले में ब्रांच द्वारा मात्र आईवाश किया गया है। कुलपति एचएस चहल ने कॉलेज ब्रांच को एक नोट भेज कर पूछा था कि फीस वसूली न करने के मामले में कौन-कौन अधिकारी व कर्मचारी जिम्मेदार हैं। कुलपति के आदेशों के चार माह बीत जाने के बावजूद भी आज तक उन्हें आरोपी अधिकारियों व कर्मचारियों के नामों की सूचना नहीं दी गई है। कुलपति को वह पत्र भी कॉलेज ब्रांच में धूल चाट रहा है। मदवि से संबद्ध सैकड़ों कॉलेजों से समय पर फीसों की वसूली न किए जाने के कारण विवि को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ।  प्रार्थी सोमनाथ शर्मा द्वारा कॉलेज ब्रांच में आरटीआई लगाने के बाद करीब दस करोड़ रुपये की फीसों की वसूली कॉलेजों से की जा चुकी है, लेकिन अभी भी काफी फीस बकाया है। कुलपति ने फीसों की वसूली न किए जाने के मामले में कड़ाई करते हुए कॉलेज ब्रांच के अधिकारियों को बकाया फीसों वाले कॉलेजों के विद्यार्थियों की मार्कशीट (डीएमसी)रोक ने के आदेश जारी कर दिए थे। दर्जनों कॉलेजों के प्राचार्य विद्यार्थियों की डीएमसी हासिल करने के लिए विवि प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं। ऊधर छात्रों का कहना है कि उन्होंने तो कॉलेजों में समय पर अपनी फीसों का भुगतान कर दिया था। ऐसे हालात में उनकी डीएमसी रोकने का क्या औचत्य है। अगर विवि में कॉलेज प्रबंधकों ने फीसें जमा नहीं करवाई हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए, न कि छात्रों के खिलाफ। वरिष्ठ  पत्रकार सोमनाथ शर्मा ने मदवि की कॉलेज ब्रांच से सूचना मांगी थी कि विवि से संबद्ध डिग्री कॉलेज, बीएड कॉलेज, मैनेजमेंट कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज व लॉ कॉलेजों की तरफ पिछले 15 सालों से कितनी प्रोसेसिंग फीस, प्रोविजनल प्रोसेसिंग फीस, कन्टीन्यूएशन फीस, व एक्सटेंशन फीसें बकाया हैं। फीसों की वसूली न होने के कारण विवि प्रशासन को कितने ब्याज का नुकसान हुआ है। बिना प्रोसेसिंग फीस व एफीलिएशन फीस जमा करवाए कितने कॉलेज चल रहे हैं। कितने कॉलेजों को बिना फीस प्राप्त किए एनओसी प्रदान की गई। उपरोक्त फीसें न वसूलने के लिए कौन कौन से अधिकारी व कर्मचारी जिम्मेदार हैं,उनके पद सहित नाम बताए जाएं। ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही न किए जाने के कारण बताए जाएं। मदवि से दीन बंधु चौ.छोटूराम यूनिवर्सिटी ऑफ सांइस एंड टैक्रोलॉजी में स्थानांतरित हुए कॉलेजों की बकाया फीसों का पूरा विवरण दिया जाए। यह भी सूचना मांगी गई थी कि कितने वर्षों से कॉलेज ब्रांच की फीसों का आडिट विभाग द्वारा आडिट नहीं किया गया है और आडिट न करवाए जाने की वजह भी बताई जाए। उपरोक्त विषय में कुलपति द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण भी दिया जाए। सूचना आयुक्त योगेंद्र पाल गुप्ता ने चार बिंदुओं पर प्रार्थी को 15 दिनों के भीतर पूर्ण सूचना उपलब्ध करवाए जाने के आदेश जारी किए थे, लेकिन एक माह के करीब बीत जाने के बाद भी आज तक विवि प्रशासन ने सूचना उपलब्ध नहीं करवाई है।

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