आई एन वी सी ,
दिल्ली,
पूरे देश में पानी पर काम करने वाले नागर समाज के विभिन्न घटकों के लोगों का जमावड़ा गांधी शान्ति प्रतिष्ठान में हुआ। जिसमें परम्परागत जल संसाधनों के संरक्षण और सम्बर्द्धन पर उनके उपर हो रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में जल-जन जोड़ो अभियान शुरु किया गया। इस अभियान का शुभारम्भ आज देश भर से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संकल्प लेकर किया। जिसमें तय किया गया कि जाति, धर्म, क्षेत्र, लिंग का भेदभाव किए बिना जन-जन को जल के बारे में सही समझ पैदा करते हुए जल को जन से जोड़ने के लिए अभियान को सफल बनाया जाएगा जिससे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित होगा एवं प्रत्येक नागरिक को गरिमापूर्ण जीवन जीने के अधिकार की प्राप्ति होगी। इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा के निदेशक एच0एस0 गुप्ता ने कहा कि अब भारत में कम पानी में पैदा होने वाली फसलों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। एम0एस0धवण, पूर्व सचिव महाराष्ट सरकार ने बताया कि आजादी के बाद सबसे अधिक कृषि बजट महाराष्ट को गया है। फिर भी आज महाराष्ट बेपानी है। उत्तर प्रदेश के मजहर ने कहा कि जल गुणवत्ता बनाए रखने के लिए काम करने की जरुरत है। इस तरह की फसलों के प्रोत्साहन के लिए देश भर के अनुशंधान केन्द्रों में शोध चल रहे हैं। कृषि में पानी के विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता है। किसानों को सही जानकारी देने के लिए किसान जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। महाराष्ट के किसान नेता पाशा अहमद पटेल ने कहा कि पानी के सवाल के साथ-साथ किसनों के समर्थन मूल्य के मुद्दे को भी हमें उठाना होगा। खेती में लागत बढ़ रही है और उत्पादन घट रहा है। जिसके कारण बेरोगजारी और कई तरह के संकट किसान और मजदूरों के सामने हैं इसके लिए हमें सरकार की दोषपूर्ण नीतियों को पहचानना होगा और नीतियों को जन हितैशाी बनाने के लिए आन्दोलन चलाने की आवश्यकता है। केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रतोष त्यागी ने कहा कि जल के संरक्षण के साथ-साथ जल की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता है। आधुनिक विकास ने बड़े पैमाने पर जल स्रोतों को दूषित किया है जिसके लिए जल साक्षरता चलाने की आवश्यकता है। जल संरक्षण पर अग्रणी कार्य कर रहे विनीत नारायण ने कहा कि देश में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से मानव जीवन सरल एवं सौम्य बनाया जा सकता है। चन्द्रशेखर प्राण ने कहा कि आन्दोलन में हमें युवाओं को जोड़ना होगा। युवा शक्ति देश में एक सकारात्मक आन्दोलन की तरफ देख रही है। कानूनविद के0के0राय ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए न्यायपालिका का सहयोग लेने की आवश्यकता है। अदालतों के आदेश को क्रियान्वित कराने का कार्य जल-जन जोड़ो अभियान को करना होगा। मेरठ से आए डॉ0 हिमांशु ने कहा कि जल-जन जोड़ो अभियान के तहत बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को पांच जोन- पूर्वांचल, रुहेलखण्ड, बुन्देलखण्ड, पश्मिांचल एवं मध्यांचल उत्तर प्रदेश में विभाजित कर संगठनात्मिक ढांचा तैयार कर पर्यावरण दिवस 5 जून से भू-जल दिवस 10 जून तक जल कर्मी भू-जल सप्ताह का आयोजन करेंगे एवं प्र्रत्येक मण्डल में श्रम दान कर एक तालाब का पुनर्द्धार व एक गांव को चिन्हित कर जल संरक्षण व साक्षारता के मद्देनजर मॉडल गांव के रुप में विकसित करेंगे। बुन्देलखण्ड के सामाजिक कार्यकर्ता रामकृष्ण शुक्ला ने कहा कि हमारे परम्परागत जल स्रोतों को संरक्षित करने एवं पुनरुद्धार करने की आवश्यकता है। राजनेता और व्यवसायी अपने निजी स्वार्थ के लिए जल को प्रदूषित एवं जंगलों को काट रहे है जिसे तत्काल रुप से रोकने हेतु आन्दोलन करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन जल-जन जोड़ों अभियान के राष्ट्रीय सह संयोजक संजय ंिसंह ने किया। बिहार से आए साथी विजय भाई ने कहा कि बिहार में सूखा और बाढ़ एक साथ है जिसके प्रभाव को कम करने के लिए बिहार में जल संरक्षण के इस अभियान को गंाव-गांव में ले जाया जाएगा। मध्य प्रदेश से आए भगवान सिंह परिमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों को जल-जन जोड़ो अभियान से जोड़ने के लिए पूरे मध्य प्रदेश में मई महीने में अनवरत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। उडीसा के मानस मिश्रा ने उद्योगिक घरानों के द्वारा निर्मित की जा रही मानव त्रासदी को जन विरोधी बताया जिसे रोकने के लिए उड़ीसा में जन आन्दोलन को सक्रिय किया जाएगा। राजेन्द्र सिंह जी ने कहा कि विश्व पृथ्वी दिवस के दिन केरल के कुन्नूर में जल-जन जोड़ो अभियान को शुरु किया जाएगा।