सुलग रहा तन, नीरो बने मन!

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लिमटी खरे**,,
16 दिसंबर को दिल्ली में हुए गैंग रेप मामले ने जमकर तूल पकड़ लिया है। विजय चौक से उठने वाली जनता की चीत्कार संसद और रायसीना हिल्स स्थित प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भवन की गूंगी, बहरी, अंधी दीवारों से टकराकर वापस लौट रही है। विजय चौक पर जनता के गुस्से को देखकर समूचा देश आक्रोशित है। पहली बार बिना किसी नेतृत्व के जनता ने स्वप्रेरणा से इतना बड़ा कदम उठाया है। विजय चौक पर जनता के गुस्से को देखकर कांग्रेस भाजपा सहित किसी भी सियासी दल की हिम्मत नहीं हो पा रही है उनके बीच जाने की। यहां तक कि अण्णा हजारे, बाबा रामदेव, अरविंद केजरीवाल भी अपनी अपनी मांद में ही टीवी पर सब कुछ देख सुन रहे हैं। दिल्ली की यह चीत्कार देश को हिला रही है। विपक्ष में बैठी भाजपा विशेष सत्र बुलाने की मांग करती है, पर अनशन पर बैठने से उसका भी हाजमा बिगड़ता दिख रहा है। प्रधानमंत्री न्याय की बात कहते हैं, पर क्या वे टीवी पर यह नहीं देख रहे हैं कि किस तरह खाकी वर्दी द्वारा बालिकाओं पर लाठियां भांजी जा रही हैं। सही है सुलग रहा है देश का समूचा तन, उधर सात रेसकोर्स में नीरो के मानिंद बांसुरी बजा रहे हैं मन!

 दादा के लिए नियम हुए तार तार!

रायसीना हिल्स पर पहुंच चुके देश के महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का तालकटोरा मार्ग स्थित 13 नंबर बंग्ला बहुत ही ज्यादा भाग्यशाली रहा है उनके लिए। वे इसे छोड़ना नहीं चाह रहे थे। यही कारण है कि वह बंग्ला खाली नहीं किया गया। पहली बार सांसद बने उनके पुत्र अभिजीत को नियम कायदों को दरकिनार कर वही बंग्ला आवंटित कर दिया गया। पहली बार चुने गए अभिजीत की हैसियत अभी इतनी नहीं कि उन्हें लुटियन जोन में आशियाना मिल सके। यह बंग्ला उनके लिए भाग्यशाली तो है ही साथ ही साथ उनके संसदीय जीवन की अनेक यादें इससे जुड़ी हुई हैं। रायसीना हिल्स के सूत्रों का कहना है कि इस बंग्ले को अपने कब्जे में रखने का अंधविश्वास ही एक कारण नहीं है। दरअसल, महामहिम की श्रीमति जी अपने पुरानी सखी सहेलियों और मेहमानों की खातिरदारी में रायसीना हिल्स की कोठी में अपने आप को असहज महसूस करती हैं, इसीलिए वे चाहती हैं कि पुराने माहौल में पुराने मित्र रिश्तेदारों की खातिरदारी कर सकें।

 . . . इसलिए हुई वासनिक की छुट्टी!

केंद्र में समाज कल्याण मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाले मुकुल वासनिक की बिदाई सभी को हैरान करने वाली थी। दलित नेता की आखिर बिदाई कैसे हो गई। सोनिया के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुकुल वासनिक की बिदाई का कारण 182 पेज की एक रिपोर्ट थी। जब वासनिक मंत्री बने तब उन्हें यह प्रतिवेदन सौंपा गया। अति उत्साह या सही काम करने की ललक में वासनिक ने इसका अध्ययन किए बिना ही इस पर जांच के आदेश दे दिए। इसमें अनेक एनजीओ द्वारा सरकारी धन के गड़बड़झाले के मामले थे। इसमें केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नि का एनजीओ भी था। उधर, अखिलेश के सत्ता संभालते ही उनके हाथ यह रिपोर्ट लग गई। फिर क्या था यह रिपोर्ट बरास्ता अरविंद केजरीवाल लोगों के सामने आ गई। इससे सलमान खुर्शीद तो लाल हुए ही कांग्रेस को भी लानत मलानत झेलनी पड़ी। सलमान ने अपना दर्द बयां किया सोनिया के सामने और परिणाम के बतौर दलित नेता मुकुल वासनिक की कुर्सी छिन गई।

 पलनिअप्पम की बैटरी से चमक रहा सामी का लट्टू

कांग्रेस में व्ही.नारायणसामी का कद एकदम से बढ़ा, लोग आश्चर्य चकित थे कि आखिर कौन है जो सामी के पीछे से उन्हें ताकत दे रहा है। पड्डीचेरी से लोकसभा सांसद व्ही.नाराणसामी अब शायद ही वहां से चुनाव लड़ें। उन्हें राज्यसभा के रास्ते केंद्र में भेजा जाएगा और सरकार बनी तो वहां नहीं तो संगठन में मजबूती के साथ खड़ा किया जाएगा? आखिर सामी पर इतनी मेहरबानी क्यों? कांग्रेस के आला दर्जे के सूत्रों का कहना है कि दरअसल, वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम चाहते हैं कि वे पड्डीचेरी से लोकसभा चुनाव लड़ें, इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि शिवगंगा से चिदम्बरम को चुनाव जीतने में सबसे बड़ा रोडा अम्मा है। चिदम्बरम काफी समय से सामी पर मेहरबान हैं। कहते हैं चिदम्बरम ने सामी को बेहद मुश्किल में इस बात के लिए राजी किया है कि उनके द्वारा सींची गई पड्डीचेरी लोकसभा को उन्हें सौंप दें।

 सैम अंकल खफा हैं अंबानीज से!

दुनिय का चौधरी माना जाता है अमरीका को। अमरीका इन दिनों सबसे ज्यादा अगर किसी से खफा है तो वह है अंबानी बंधू। अंबानी बंधु धीरे धीरे अपना कारोबार अमरीका में फैला रहे हैं। अमरीका की अर्थ व्यवस्था को सपोर्ट करने वाली कुछ कंपनियांें को अंबानीज फूटी आंख नहीं सुहा रहे हैं। अंबानीज अब रक्षा के क्षेत्र में भी अपनी दखल बढ़ा रहे हैं। पिछले दिनों पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी को हटवाने में उनकी महती भूमिका के बारे में देश के सोशल मीडिया ने उन्हें आड़े हाथों लिया था। माना जाता है कि देश की राजनीति में अंबानीज की पकड़ का कोई सानी नहीं है। फ्रांस से एक रक्षा विमान के सौदे के बाद अब तकनीक हस्तांतरण के उपरांत इनका निर्माण भारत में ही होगा जिसे हिन्दुस्तान एरनाटिक्स लिमिटेड और रिलायंस के संयुक्त उपक्रम द्वारा तैयार किया जाएगा। मतलब साफ है कि रक्षा के क्षेत्र में जो धनराशि विमान आदि से अमरीका की कंपनियां बटोरती थीं, वह अब रिलायंस की झोली में जाएगा। उद्योगपति अब ओबामा के कान भर रहे हैं कि अंबानीज की मुश्कें कसी जाएं और उन्हें भारत में ही रोका जाए।

 लालू को पछाड़ा नितीश ने!

बिहार में लालू प्रसाद यादव वर्सेस नितीश कुमार की जंग नई नहीं है। दोनों ही अपने अपने कदमों से एक दूसरे को नीचा दिखाने से नहीं चूकते हैं। लालू यादव 2003 में पाकिस्तान गए, उनकी पाक यात्रा कोई खास उपलब्धि नहीं दिला सकी। इस बार नितीश कुमार पाकिस्तान गए और वहां एक तरह से वे छा ही गए। मीडिया मैनेजमेंट के जरिए लालू प्रसाद यादव ने देश के रेल मंत्री रहते हुए अपने आप को स्वयंभू प्रबंधन गुरू का अघोषित खिताब ले लिया हो पर इससे उलट नितीश कुमार लो प्रोफाईल में रहकर पाक के वजीरे आजम रहे नवाज शरीफ और पीएम इन वेटिंग इमरान खान की जुबान पर चढ़ गए। इमरान खान ने तो नितीश की तारीफ में कशीदे गढ़ते हुए यह तक कह दिया कि वे अपने चुनावी घोषणा पत्र में बिहार सरकार के नितीश माडल को ही आधार बनाना चाहते हैं। अब नितीश के पास राजा दिग्विजय सिंह जैसे रणनीतिकार आईएएस नहीं हैं कि वे नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर इस बात को भुना सकें।

 बेरोजगार हो गए रेल्वे के दलाल!

भारतीय रेल उसी पटरी पर चलती आई है जो अंग्रेज बिछा गए, किन्तु रेल मंत्री जो भी बना उसने अपने हिसाब से रेल को हांका है। ममता बनर्जी जब रेल मंत्री थीं तब आरक्षण में रेल मंत्री के विवेकाधिकार कोटे का बोलबाला था। उस वक्त रेल्वे के दलाल अपने अपने संपर्कों का लाभ उठाकर चार पांच सौ तक की वेटिंग को कंफर्म करवा देते थे। अब पवन बंसल के रेल मंत्री बनने के उपरांत रेल मंत्री का आरक्षण संबंधी विवेकाधिकार कोटा काफी कम कर दिया गया है। मंत्री पवन बंसल का तर्क है कि इसका दुरूपयोग नहीं होना चाहिए। उस समय ममता के दिल्ली और कोलकता स्थित निवास के सामने विशेष आरक्षण बाक्स लगाया गया था। अब पवन बंसल ने मंत्रियों व्हीव्हीआईपीज आदि के कोटे के दुरूपयोग को रोकने के कड़े निर्देश जारी कर दिए हैं। कल तक आरक्षण की मलाई खाने वाले दलाल अब चाय को भी तरसते दिख रहे हैं।

 मीडिया से पींगे बढ़ाते तिवारी

सियासी गलियारों में इन दिनों यह चर्चा चल पड़ी है कि भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह और सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी में क्या समानता है? उत्तर निकलकर आ रहा है दोनों ही संपादकों की टोली के साथ अपनी पींगे बढ़ाकर सरकार की छवि को बेहतर बनाने का असफल प्रयास कर रहे हैं। पिछले दिनों अपनी अड़ियल और अख्खड़ छवि से बाहर निकलकर तिवारी ने चुनिंदा संपादकों की टोली और समाचार चेनल्स के हेड्स से संपर्क कर उनसे बेहतर रिश्ते बनाने का अभियान छेड़ा है। तिवारी का साथ कांग्रेस के मीडिया फंड को हेंडल करने वाले एक एनआरआई बखूबी निभा रहे हैं। उधर, चेनल्स और घराना पत्रकरिता के जनक बड़े समाचार समूहों की पौ बारह है, वे सभी मिलकर आई एण्ड बी मिनिस्ट्री के मीडिया फंड की बंदरबांट की जुगत में लग चुके हैं। एक जानकार का कहना है कि बड़े समूहों और चेनल्स का रूख भले ही कांग्रेस सरकार के लिए सकारात्मक दिखे किन्तु सोशल मीडिया और छोटे मंझोले समूहों की पीड़ा तो जनता के सामने पहुंचेगी ही।

आधी रात तक खुले रहेंगे पब डिस्को

देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में सरेराह बलात्कार की घटना होने के बाद भी केंद्र और दिल्ली सरकार की सेहत पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है। सरकार ने दिल्ली की सरहद में आने वाले पब और डिस्को को रात दस ग्यारह या बारह नहीं वरन् एक बजे रात तक खुले रखने की आधिकारिक अनुमति प्रदान कर दी है। देखा जाए तो पब या डिस्को को ग्यारह बजे तक ही खुले रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। जब दिल्ली में शराब की दुकानों के बंद होने का समय दस बजे है तो फिर देर रात नशे में झूमते युवाओं को एक बजे रात तक सड़कों पर उतरने का मौका देकर केंद्र और दिल्ली सरकार किस आधुनिकता का परिचय देना चाह रही है। देर रात नशे में धुत्त युवाओं द्वारा घर लौटते वक्त या तो कार को किसी पर चढ़ा दिया जाता है या फिर अकेली महिला को देखकर उसके साथ छेड़छाड़ की जाती है। अब रात एक बजे तक पब डिस्को मेें थिरकने की अनुमति देकर पता नहीं कांग्रेस देश अथवा युवाओं को क्या संदेश देना चाह रही है?

आजम की दबंगई!

उत्तर प्रदेश के जेल मंत्री आजम खान का हैवानियत भरा एक और चेहरा सामने आया है। यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही प्रदेश में गुंडई खत्म करने की बात करते हों, लेकिन अपने मंत्रियों, विधायकों पर ही उनका बस नहीं चलता। अब उनके कैबिनेट के एक प्रमुख मंत्री और एसपी के बड़े नेता आजम खान चर्चा में हैं। अमृतसर से हावड़ा जाने वाली पंजाब मेल के एसी कोच में आजम खान ने एक कोच अटेंडेंट को न सिर्फ थप्पड़ मारे, बल्कि घंटों मुर्गा बनाए रखा। यह घटना यूपी के रामपुर जिले की है। इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के राज में सुशासन की बात की कलई खुलकर सामने आ गई है। आजम खान पहले भी चर्चाओं में ही रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मंत्री ही जब आपा खोकर इस तरह की हरकतें करने पर उतारू हो जाएंगे तो भला आम जनता इससे क्या सबक सीखेगी?

रिटायरमेंट के बाद भी प्रतिमाह 51 हजार का टीका!

मध्य प्रदेश में सूबे की जनता को जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए पाबंद मध्य प्रदेश जनसंपर्क सांचलनालय पिछले लंबे अरसे से चर्चा का केंद्र बिन्दु बना हुआ है। कहा जा रहा है कि जनसंपर्क विभाग में सरकार पर संगठन बुरी तरह हावी हो चुका है। एक तरफ सूचना सहायकों द्वारा पीआरओ का काम किया जा रहा है वहीं जनसंपर्क अधिकारी संघ इस बारे में सरकार से मांग करने के स्थान पर पत्रकारों को असली और फर्जी में उलझाने का कुत्सित प्रयास कर रहा है। राजधानी में बाणगंगा स्थित जनसंपर्क संचालनालय के सूत्रों ने बताया कि आयुक्त की रजामंदी के बिना संगठन के दबाव में एक अतिरिक्त संचालक की सेवा निवृत्ति के काफी बाद उनकी सेवाएं एक बार फिर कांट्रेक्ट पर विभाग को सौंप दी गई है। उक्त अधिकारी को मानदेय के रूप में सारी सुविधाओं के साथ ही साथ 51 हजार रूपए प्रतिमाह भी प्रदाय किए जा रहे हैं।

 पुच्छल तारा

भारत गणराज्य में मीडिया पूंजीपतियों के हाथों का खिलौना बनकर रह गया है। इस तरह की बातें जब तब सोशल मीडिया में छाई रहती हैं। 16 दिसंबर को हैवानियत की सारी हदें पार कर एक छात्रा के साथ बलात्कार की घटना ने देश को हिला दिया। आरंभ में मीडिया ने इसे सीरियसली नहीं लिया पर जब सोशल नेटवर्किंग बेव साईट्स ने इस मामले में चीत्कार किया तब जाकर मीडिया की तंद्रा टूटी। अब इलेक्ट्रानिक मीडिया की सुर्खियों में है विजय चौक जहां सभी एकत्रित हैं। इसी बीच खबर आई है कि क्रिकेट के कथित भगवान सचिन तेंदुलकर ने एक दिवसीय क्रिकेट से सन्यास ले लिया है। अब देखना यह है कि मीडिया के लिए सचिन की खबर ज्यादा अहमियत रखती है या फिर बलात्कार की! सचिन कांग्रेस के सांसद भी हैं इसलिए अब इस मामले में लोगों की रूचि अैर भी बढ़ गई है।

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*Limty Khare

*The author of this article is well-known Journalist .

Disclaimer: The views expressed by the author in this article are his own and do not necessarily reflect the views of INVC

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