सीएचसी और पीएचसी की अहम भूमिका

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आई एन वी सी न्यूज़
दुर्ग,
मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर के मामलों के संबंध में गहन समीक्षा आज स्वास्थ्य विभाग की बैठक में हुई। बैठक में कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने मातृ मृत्यु और शिशु मृत्यु के केसेस की विस्तार से समीक्षा की और इन्हें पूरी तरह ठीक करने के फीडबैक भी अधिकारियों से लिए। अधिकारियों ने बताया कि दोनों ही कारणों में एनीमिया की बड़ी भूमिका होती है। एएनसी चेक के दौरान एनीमिया पाया जाता है लेकिन कभी-कभी महिलाएं नियमित खुराक नहीं लेती, इस वजह से हीमोग्लोबीन बढ़ नहीं पाता। इस पर कलेक्टर ने कहा कि एनीमिया की दवा की डोज केवल एक महीने के लिए दी जाए, फिर खाली रैपर मितानिन वापस लें और इसके बाद अगले महीने की दवा दें। बीच-बीच में यह भी मानिटरिंग करती रहें कि गर्भवती महिला दवा खा रही है या नहीं। जिनका हीमोग्लोबीन प्रतिशत काफी कम है उनके मामले में मितानिन तथा कार्यकर्ता गृह भेंट करें। काउंसिलिंग केवल गर्भवती माता की ही नहीं अपितु पूरे परिवार की हो ताकि एनीमिया से जुड़े जोखिम के संबंध में वे भी अवगत हो सकें और इस तरह गर्भवती माता का ध्यान रख सकें। बैठक में कलेक्टर ने गर्भवती माताओं के लिए पैंफलेट तैयार करने के निर्देश भी दिए ताकि गर्भावस्था के दौरान अपना ख्याल रखने में उन्हें आसानी हो सके। उन्होंने कहा कि जोखिम वाली गर्भवती माताओं को संभावित डिलीवरी डेट के तीन दिन पहले ही सब हेल्थ सेंटर में एडमिट कर लें और फिर उपयुक्त समय देखकर जिला अस्पताल में रिफर कर दें। बैठक में अपर कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने कहा कि सीएचसी और पीएचसी की अहम भूमिका है। यहां ओपीडी दर अच्छी होने से जिला अस्पताल में दबाव कम होता है और प्रारंभिक स्टेज में ही मरीज का अच्छा इलाज हो जाता है। बैठक में सीएमएचओ डा. गंभीर सिंह ठाकुर भी उपस्थित थे।
छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दें ताकि शिशु मृत्यु दर थम जाए-
कलेक्टर ने कहा कि दो तरह से शिशु मृत्यु दर की रोकथाम की जा सकती है। एक तो एएनसी के दौरान नियमित रूप से गर्भवती माता की मानिटरिंग कर एवं काउंसिलिंग कर और दूसरे शिशु के जन्म के पश्चात उपयुक्त सावधानियां अपनाकर। कई बार सही ढंग से दूध न पिलाने की वजह से भी शिशु की मृत्यु हो सकती है। ऐसे में स्वास्थ्य अमला माताओं को उपयुक्त प्रशिक्षण दें। जन्म के तुरंत पश्चात बच्चों के लिए बेबी किट दें ताकि हाइजिनिक वस्त्र बच्चे पहन सकें और किसी तरह के इंफेक्शन का खतरा न हो। कलेक्टर ने कहा कि नवजात शिशु का जीवन सबसे अहम है और इसके लिए हर संभव उपाय अस्पताल का अमला करे। यदि कहीं तकनीकी उपकरणों अथवा मानव संसाधन की दिक्कत है तो तुरंत सूचित करें ताकि त्वरित समस्या का निदान किया जा सके।
बलगम के दोगुने सैंपल लें-
कलेक्टर ने कहा कि अभी जितनी संख्या में आप बलगम के सैंपल ले रहे हैं वो पर्याप्त नहीं है। इसके टारगेट बढ़ाएं। सभी कार्यकर्ताओं एवं मितानिनों को लगभग डेढ़ गुने सैंपल लेने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि टीबी ठीक करने का जिले का दर ८७ प्रतिशत है जो कि बहुत अच्छा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बलगम के अधिक सैंपल लिए जाने से कुछ और मामले प्रकाश में आ सकते हैं जिन्हें समय रहते ठीक भी किया जा सकता है।
स्कूलों में फिर करें बच्चों की आंखों की जांच-
कलेक्टर ने स्कूली बच्चों के चिकित्सकीय परीक्षण के संबंध में भी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को पिछली बार जांच में दृष्टि दोष पाया गया था और चश्मे लगाए गए थे। उनकी फिर से जांच की जाए ताकि नंबर बढ़ने या परिवर्तन की दशा में नये चश्में उन्हें दिए जा सकें।
प्रभावी बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्राथमिकता, जहां व्यवस्था दुरूस्त नहीं, वहां होगी कार्रवाई-
कलेक्टर ने कहा कि बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सबसे अहम है। लिक्विड और सालिड वेस्ट मेडिकल मैनेजमेंट दोनों अहम है। इस संबंध में शासन के मानकों के मुताबिक वेस्ट डिस्पोजल की व्यवस्था सुनिश्चित करें अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।



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