साहित्य ही समाज को सही रास्ता दिखा सकता है : कल्याण सिंह

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जयपुर,
राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा कि समाज में मानवीय संवदेनाएं जागृत करने वाले साहित्य की जरूरत है। ऐसा साहित्य ही समाज को सही रास्ता दिखा सकता है। राज्यपाल मंगलवार को राजभवन में आयोजित के.के बिरला फाउंडेशन द्वारा आयोजित बिहारी पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने फाउंडेशन को साधुवाद देते हुए कहा कि के.के.बिरला फाउंडेशन ने राजस्थान की रचनात्मक प्रवृतियोंं के विस्तार केे लिए बिहारी पुरस्कार की परिकल्पना की है। उन्होंने फाउंडेशन के संस्थापकों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने दृष्टिकोण को सदैव व्यापक रखा और इसी व्यापकता के अनुरूप राजस्थान की रचनात्मक प्रवृतियोंं को सुदृढ़ करने के लिए अलग से एक पुरस्कार की परिकल्पना की। बिहारी पुरस्कार उसी रचनात्मक सोच का परिणाम है। बिहारी पुरस्कार राजस्थान के लेखकों को ही दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि फाउंडेशन ने ’राजस्थानी’ परिभाषा को जानबूझकर संकुचित नहीं रखा।
श्री सिंह ने कहा कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि वर्र्ष 2013 का बिहारी पुरस्कार अजमेर निवासी प्रसिद्घ राजस्थानी लेखक श्री चंद्रप्रकाश देवल को उनकी कृति ‘हिरणा ! मूंन साध वन चरणा’   के लिए और 2014 का बिहारी पुरस्कार श्री ओम थानवी को उनकी कृति ‘मुअनजोदड़ो’ के लिए दिया गया। मैं उन्हें हार्दिक बधाई देता हूं। उन्होंने पुरस्कार की निर्णायक समिति अध्यक्ष श्री नंद भारद्वाज को सही साहित्यकार चुनने के लिए भी बधाई दी।
उन्होंने कहा कि पिछले 23-24 वर्षों से फाउंडेशन जनकल्याण, साहित्य एवं संस्कृति से जुड़ी अनेक प्रकार की गतिविधियों में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके संस्थापक पूर्व सांसद स्व. डॉ. कृष्ण कुमार बिरला की व्यापक परिकल्पना का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने सरस्वती सम्मान, व्यास सम्मान एवं बिहारी पुरस्कार जैसे साहित्यिक पुरस्कारों के अतिरिक्त भारतीय दर्शन, संस्कृति एवं वैज्ञानिक शोध पर भी पुरस्कार एवं शोधवृत्तियों की स्थापना की।
समारोह की शुरूआत में फाउंडेशन के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण ने साहित्कारों का राज्यपाल से औपचारिक परिचय कराया। श्री नंद भारद्वाज ने राज्यपाल को साहित्यकारों की कृतियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि श्री देवल ने राजस्थानी भाषा को एक नई दिशा और स्वरूप प्रदान किया है। उनकी कृति अद्भुत है। उन्होंने कहा कि ओम थानवी की कृति इतिहास के पन्नों को पुनर्जीवित करने का प्रयास सी लगती है। इस मौके कई मशहूर साहित्यकार और उनके परिवारजन भी मौजूद थे।

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