साहित्य के विकास क्षेत्र में अकादमी का यह अनूठा कदम है : टी.के. शर्मा

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sahityaइंद्रा राय,,
आई एन वी सी,,
हरियाणा,,
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा अपनी मासिक गोष्ठी श्रृंखला में छठी कड़ी के रूप में मासिक गोष्ठी पंचकूला के अकादमी सभागार में आयोजित की गई। गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में टी.के. षर्मा, भ्रा.प्र.से. (सेवानिवृत्त), मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आजीविका मिशन, हरियाणा पधारे। मासिक गोष्ठी की अध्यक्षता करनाल के वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य महावीर प्रसाद शर्मा ने की। मासिक गोष्ठी में विशेष आमंत्रित कवि के रूप में श्लेश गौतम, चर्चित कवि, इलाहाबाद ने शिरकत की।  गोष्ठी के मुख्य अतिथि टी.के. षर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि साहित्य के विकास क्षेत्र में अकादमी का यह अनूठा कदम है। आज के इस वैश्वीकरण युग में युवाओं को मार्गदर्शन की विशेष जरूरत है तथा इस दायित्व का निर्वाह उन्होंने साहित्यकारों के द्वारा किया जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि साहित्य ही एकमात्र ऐसा साधन है जो युवा पीढ़ी का सही मार्गदर्शन कर सकता है। उनके काव्य पाठ के कुछ अंष देखिए-

नरभक्षी तेंदुए को तुरंत मार गिराते हैं
नरभक्षी नर को मारने में सालो-साल लग जाते हैं
उसे बचाने में वकील, दलील आगे आते हैं

विषेश आमंत्रित कवि श्लेश गौतम, इलाहाबाद ने अपनी कुछ चर्चित कविताओं की प्रस्तुति दी। उनकी कविताओं के कुछ काव्यांश देखिए-

गिरने के इस दौर का आंखों देखा हाल/पारा जाड़ों में गिरा नीयत पूरे साल
अंधेरों को हमेशा कोसने से कुछ नहीं होगा/जैसे कील उलटी ठोकने से कुछ नहीं होगा
शब्दों की अपनी सीमा है कैसे व्यक्त करू/मां तुमको पूरा-पूरा कैसे अभिव्यक्त करूं

अकादमी निदेषक डॉ. श्याम सखा ‘श्याम’ ने आज के युग में कविता की आवष्यकता विशय पर बोलते हुए कविता में लोक भाषा को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा- लोक भाषा कविता को जहां जीवंत बनाती है वहीं उसे शाश्वता भी प्रदान करती है। उन्होंने अपने कविता पाठ में कहा- मैं न महजब लिखता हूं, न जात लिखता हूं, दिल में आ जाए बस वही तो बात करता हूं मुझसे आज भी कुछ उम्मीद मत रखना मैं तो आज भी दिन को दिन व रात को रात लिखता हूं। काव्य गोष्ठी में श्रीमती संगीता बेनिवाल, डॉ. सरिता आर्य, डॉ. राजेष कुमारी, एस.एल. धवन, सुशील नरेलवी, राजकुमार सिंह, जगदीप सिंह, मदन गोपाल षास्त्री ने भी कविता पाठ किया। इस अवसर पर गोष्ठी के अध्यक्ष, आचार्य महावीर प्रसाद शर्मा, करनाल ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा- साहित्य को आज दिशा बोध की आवश्यकता है। आजकल ऐसे अधिकारी होने चाहिएं जो साहित्यकारों को सही दिशा निर्देश दे सके। उन्होंने ‘शब्द’ की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि हम लोग शब्द ब्रह्म के उपासक है शब्द की उपासना में एक अनुपम आनंद है। बाण भटृ ने लिखा है कि- नया अर्थ हो, नागरी जाति हो, श्लिष्ट अलंकार हो, शब्द योजना आनंदमय हो यह सभी गुण एक ही कवि में मिलने दुर्लभ हैं। उन्होंने शहीदों को प्रणाम करते हुए ‘जलियांवाला का बसंत’ शीर्षक से कविता सुनाई।

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