साहित्यिक रचनाएं हर दौर में प्रसांगिक

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आई एन वी सी न्यूज़
लखनऊ,
साहित्य समाज का प्रतिविम्ब होता है। किसी भी साहित्य में दो पहलू होते है। एक तो जो समाज में घटित होता है, उससे प्रेरित होकर लिखा जाता है और दूसरा जिस पर घटित होता है उसकी संवेदनाओं में उतर कर लिखा जाता है। क्रांतिकारी शायर हिन्दी गोरखपुरी ने अपनी शायरी में इन दोनो ही पहलुओं को बड़ी मार्मिकता के साथ व्यक्त किया है।

यह विचार राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने यहां गोमतीनगर स्थित आर.टी.आई. भवन में वहीदुद्दीन हिन्दी गोरखपुरी की कविता संग्रह ‘कुल्लियात-ए-हिन्दी गोरखपुरी के विमोचन के अवसर पर व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि साहित्यिक रचनाएं हर दौर में प्रसांगिक होती है। आजादी के लिए आन्दोलनों में विशेष तौर पर एशियाई देशों में हिन्दी गोरखपुरी की रचानाओं एवं उनके अच्छे परिणामों को भुलाया नहीं जा सकता।

श्री उस्मान ने कहा कि हिन्दी गोरखपुरी की शायरी देश के लिए बड़ी पूंजी है। स्वतंत्रता संग्राम के प्रारम्भिक दौर में उनकी क्रांतिकारी शायरी से अंग्रेजी शासन इस कदर भयभीत हो गया कि उसने उनकी शायरी (नज्म) को जब्त कर उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हिन्दी गोरखपुरी के देश प्रेम का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने देश से प्रेरित होकर अपना उपनाम ही हिन्दी रख लिया। उन्होंने कहा कि हिन्दी गोरखपुरी के इस कविता संग्रह को डा0 सलीम अहमद और समीना अदीब ज्या ने संग्रहीत किया है।

इस अवसर पर पुस्तक के संग्रहकर्ता डा0 सलीम अहमद ने कहा कि मुझे अपने सहपाठी एवं हिन्दी गोरखपुरी के पुत्र अनवर जमाल के साथ उनके सानिध्य में रहकर उनकी शायरी पढ़ने एवं सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि उनके देश प्रेम से प्रेरित होकर मैंने उनके कविता संग्रह के काम को किया और यह मेरे लिए अत्यन्त खुशी और गर्व की बात है।

इस अवसर पर टांडा से आए डा0 अमीन अहसन ने कहा कि हिन्दी साहब को हिन्दुस्तान से अत्यधिक प्रेम था और इसी कारण उन्होंने अपना उपनाम हिन्दी रख लिया। टांडा के ही अनस मसरूर अंसारी ने कहा कि हिन्दी गोरखपुरी का संबंध जिस तरह से विमोचन पर उ0प्र0 ऊर्दू अकादमी के अधीक्षक डा0 मखमूर काकोरवी ने बधाई देते हुए इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बताया।




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