केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने संसद के जारी सत्र में प्रस्तुत करने के लिए आज सार्वजनिक खरीद विधेयक 2012 को मंजूरी दे दी है।
इस विधेयक के तहत मंत्रालयों, केन्द्र सरकार के विभागों और इससे जुड़े कार्यालयों, केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, केन्द्र सरकार के अधीन स्वायत्त एवं संवैधानिक संस्थाओं द्वारा किसी भी तरह की खरीद को नियमित करना है। इसका उद्देश्य खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेही, तथा ईमानदारी तय करना और बोलीदाताओं के साथ स्पष्ट एवं समान व्यवहार, प्रतियोगिता को बढ़ावा देना, आर्थिक क्षमता बढ़ाना, खरीद प्रक्रिया में ईमानदारी और आम लोगों का विश्वास बढ़ाना है। इस विधेयक में विस्तृत नियम कानून, दिशा-निर्देश और आदर्श दस्तावेज शामिल किये गये हैं। भारत सरकार की जरूरत के अनुसार इस विधेयक में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों को शामिल किया गया है और दुनिया भर में चल रहे इसके प्रावधानों से इसे सजाया गया है।
इस विधेयक के तहत सार्वजनिक खरीद पर एक संवैधानिक ढांचा तैयार किया जाएगा जिसका उद्देश्य खरीद में अधिक से अधिक विश्वसनीयता और पारदर्शिता लाना है।
इस विधेयक में निम्नलिखित प्रावधान हैं।
क. खरीद के प्रबंधन में मौलिक सिद्धांतों को रेखांकित करना जिससे खरीद प्रक्रियाओं में भ्रष्टाचार से लड़ा जा सके। विधेयक के मसौदे में खरीद प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण पक्षों के लिए अनिवार्य प्रावधान शामिल होंगे और निर्णय लेने के लिए एक समय सीमा भी तय की जाएगी।
ख. खरीद प्रक्रिया में प्रतियोगिता की भावना को अर्थव्यवस्था, क्षमता और विश्वसनीयता के हित में विकसित किया जाएगा।
ग. आवश्यकताओं की विभिन्नता और खरीद की अलग-अलग प्रक्रियाओं को देखते हुए विधेयक में आवश्यक लचीलेपन का प्रावधान किया गया है।
घ. सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए एक सार्वजनिक खरीद पोर्टल शुरू किया जाएगा और उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त के जज की देखरेख में लोगों की शिकायतें दूर की जाएगी।