सामान्य वर्ग का मतलब अनारक्षित होता, आरक्षित नहीं : चै0 लौटन निषाद

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चै0 लौटन निषादआई एन वी सी,
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पी0सी0एस0-2011 की भर्तियों पर भाजपा व सामान्य वर्ग द्वारा बवाल मचाया जा रहा है कि  यू0 पी0 पी0 एस0 सी0 में भर्ती के दौरान सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर एक जाति विशेष (यादव) के लोगों की भर्ती की गयी। इस मुद्दे पर प्रक्रिया व्यक्त करते हुये राष्ट्रीय निषाद संघ (एन0ए0एफ0) के राष्ट्रीय सचिव चै0 लौटन राम निषाद ने कहा कि सामान्य वर्ग का मतलब आरक्षित से समझना मूर्खता व मिथ्यारोप है, क्योंकि सामान्य वर्ग का तात्पर्य अनारक्षित होता है। जिसे एस0सी0एस0टी0 या ओ0बी0सी0 ग्रुप का भी वह अभ्यर्थी जो सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित उच्च मानक अंक या मेरिट को अर्जित करता है, उसकी नियुक्ति आरक्षित वर्ग में न कर
सामान्य या अनारक्षित वर्ग में की जायेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा व मनुवादी ताकतों को पिछड़ों, वंचितों का विकास व प्रतिनिधित्व पच नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि यू0पी0पी0सी0एस0 पर हल्ला मचाने वालें लोगों से पूछा है कि यू0पी0एस0सी0 (संघ लोक सेवा अयोग) में पिछड़ों की उपेक्षा व उनके कम प्रतिनिधित्व पर आवाज क्यों नहीं उठा रहें है। श्री निषाद ने मायावती के मेरे संघर्ष मय जीवन एवं बहुजन मूवमेन्ट का सफर नामा, भाग-1, पृष्ठ-317 (2006) के अनुसार उत्तर प्रदेश में 575 आई0ए0एस0 अधिकारियों में 112 एस0सी0 के और पिछड़े वर्ग के मात्र 6 अधिकारी है। उन्होनंे कहा कि देश में पिछड़े वर्ग की आबादी 52 प्रतिशत व उत्तर प्रदेश में 54 प्रतिशत से अधिक है, परन्तु केन्द्रीय सेवाओं में पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व 4.89 प्रतिशत ही है, क्या यह उचित है? प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति व भाजपा द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि पी0सी0एस0-2011 में पिछड़े वर्ग के 86 अभ्यर्थियों में 50 यादव ही है। इतिहास प्रवक्ता के 15 पदों पर 31 अक्टूबर, 2013 में जारी सीधी भर्ती परिणाम में 7 यादव सफल घोषित किये गये। जबकि सामान्य वर्ग के लिए 7, ओ0बी0सी0 के लिए 5 व एस0सी0 के लिए 3 पद आरक्षित थे, मिथ्यारोप है। जे0ई0 सिविल के 542 में से 313 ओ0बी0सी0 सफल घोषित किये गये है, जबकि ओ0बी0सी0 के लिए एक भी पद आरक्षित नहीं था, सीधी भर्ती में जनरल के 415, एस0सी0/एस0टी0 के 127 पद पर आरक्षण था, यह आरोप बे बुनियाद व हास्यास्पद है। 542 में 313 ओ0बी0सी0, 127 एस0सी0/एस0टी0 व 102 सामान्य वर्ग का चयन हुआ। सामान्य वर्ग के आरक्षित नहीं अनारक्षित माना जाता है जिसमें कोई भी कोई भी प्रतियोगी उच्च मेरिट के आधार पर नियुक्ति पा सकता है। श्री निषाद ने भाजपा के इस आरोप को भी बे बुनियाद बताया है जिसमें आरोप है कि सिविल इंजीनियरिंग के 3  पदों  के लिए 28 अक्टूबर, 2013 को हुये साक्षात्कार में 2 यादव सफल घोषित किये गये व सामान्य वर्ग का कोई सफल नहीं हुआ। आर्किटेक्चर प्रवक्ता के 15 पदों में ओ0बी0सी0 के 7 अभ्यर्थी व अंग्रेजी प्रवक्ता के 1 पद सीधी भर्ती में यादव महिला का चयन हुआ, भाजपा का यह भी आरोप बे सिर पैर का है, जो वर्णवादी
मानसिकता का परिचायक है। इन्दिरा साहनी बनाम भारत संघ के निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने मण्डल कमीशन के संदर्भ में स्पष्ट कर चुका है कि पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण वैध है और सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित मेरिट के बराबर या अधिक कोई आरक्षित श्रेणी का अभ्यर्थी अंक अर्जित करता तो उसे आरक्षित श्रेणी में न मानकर सामान्य वर्ग की श्रेणी में माना जायेगा। उन्होंने आगे बताया कि देश में 15 प्रतिशत सवर्ण का केन्द्रीय सेवाओं में 15 प्रतिशत की बजाय 69 प्रतिशत, एस0सी0/एस0टी0 का 23 की बजाय 25.43 व पिछड़े वर्ग का 52 प्रतिशत की बजाय मात्र 4.89 प्रतिशत प्रतिनिधित्व है। आई0ए0एस0 के कुल उपलब्ध 4820 पदों में सवर्ण 727 की जगह 3827 पद, एस0सी0/एस0टी0 964 की जगह 552 $ 276 = 828 पद पाये है जब कि पिछड़ा वर्ग 2506 की बजाय मात्र 165 पद प्राप्त किये है, आखिर पिछड़ांे के साथ ऐसा क्यों हुआ है? कुल केन्द्रीय सेवाओं को 232839 पदों में से सवर्ण 34878 की बजाय 16111645, एस0सी0/एस0टी0 53403 की बजाय 59214 व अन्य पिछड़े वर्ग 121047 की बजाय मात्र 11395 या 4.89 प्रतिशत ही पद प्राप्त कर पाये है।

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