साक्षी महाराज के नाम वाहिद खान खुला – पत्र : मदरसों पर लगाए गए अपने आरोप सिद्व करो , अन्यथा अपना नाम बदल लो

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{ वाहिद खान }
साक्षी महाराज भारत  धर्म निरपेक्ष मंदिर(लोकसभा) उत्तरप्रदेश के उन्नाव संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है उनके द्वारा एक विवादस्पद और सांप्रदायिक बयान 14 सिंतबर को दूर संचार में देख कर देश के करोड़ो दिल व दिमाग यह सोचने पर मजबूर हो गए। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी विकास की नींव मे ऐसे घुन भी लगे हैं जो देश की एकता और अखण्डता के लिये घातक विष भरे हुये है।

एक ओर हमारे देश के माननीय गृहमंत्री दूर संचार पर ही कहते हैं कि लव जिहाद क्या है मुझे नहीं मालूम? दूसरी ओर संासद साक्षी महाराज कहते  है कि लव जिहाद के लिये विदेशो, अरब देशों से पैसा आ रहा है। हिंदू सिख जैन आदि धर्मों की लड़कियां को बहला फुसलाकर मुस्लिम बनाने के लिये अलग अलग रेट फिक्स है, आश्चर्य होता है इतने संवेदन शील मामले पर हमारी सरकार अनभिज्य कैसे है? हमारे देश का इंटेलिजेंस ब्यूरो क्या सो रहा है? या यह साक्षी महाराज बकवास कर रहे है। सरकार को इनमे से इनकी कही बातों के साक्ष्य प्राप्त करके कड़ी से कड़ी कार्य कानूनी कार्यवाही करना चाहिये।
लगता है साक्षी महाराज का सामान्य ज्ञान बहुत ही कमजोर है तभी तो वह कहते है कि एक भी मदरसा ऐसा बता दो जहां १५ अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय झंडा फहराया जाता हो साक्षी महाराज आज अपनी बंद आंखे को खोलकर देखो तो आपको दिखेगा कि देश के मदरसो मे यौमे आजादी पंद्रह अगस्त और यौमे जम्हूरिया 26 जनवरी को पूरी आन बान और शान से न केवल कौमी तिरंगा झंडा फहराया जाता है बल्कि अन्य शैक्षणिक संस्थाओं की तरह सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते है अगर साक्षी महारजा अपनी आंखे मूंद रखे तो यह गुनाह उनका है मदरसो का नही मदरसो ने तो मूल्क को आजाद कराने के लिये जो कुर्बानियां पेश की है उनके लिये इतिहास साक्षी है साक्षी महाराज को अपनी आंखो से साम्प्रदायिकता की एनक हटाने की आवश्यकता है इसलिये के पन्ने पलट कर देखिये।

साक्षी महाराज का वक्तव्य आज 15 सितबर के समानान्तर पत्रो मे भी छपा है जिसमे उन्होने  आरोप लगाया  है कि मदरसो मे राष्ट्रीयता की शिक्षा नहीं दी जाती वहां केवल कु रान की शिक्षा देना आतंकवादी ओर जिहादी बनाया जाता है साक्षी महाराज देश के लिये सबसे पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद  ने भी मदरसे की तालीम हासिल की थी और हमारे देश के सवौच्च पद पर विराजमान भूतपूर्व राष्ट्रपति मरहूम जाकिर हुसैन साहब और फखरूददीन अली अहमद साहब भी किसी न किसी मदरसे से शिक्षा प्राप्त कर चुके है क्या इन सब मे भी आपको आतंकवादी अवगुण दिखायी पड़ते है।

मदरसे देश और धर्म की वह पूंजी है जहां से इंसानियत फलती है और फूलती है जहां सिखाया जाता है कि हम सब एक बाप आदम और एड़ भी हव्वा की औलादे है हम भले ही देश काल और परिस्थितियो के कारण अलग हो गए है किंतु हम सब आपस मे भाई भाई है। मदरसो की शिक्षा ने हमें सिखाया है कि हम नेक बने, नेकीयो की बाते फैलाने और बुराईयो को मिटाने के लिये संघर्ष करना ही जिहाद है। रमजान माह मे एक महीने के अनिवार्य रोजे रखकर व्यक्ति अपने आप से जिहाद करता है अपनी बुराईयो को मिटाता है और नेकियो को फैलाता है।
इस्लाम ने हर स्त्री के साथ व्यभिचार करने वाले को सरेआम पत्थर मारकर मृत्यु दंड देने की सजा देने का हुक्म दिया है। हमारे भारतीय कानून में भी यदि ऐसी कड़ी धाराये शामिल हो जाये तो आज के बलात्कारियों की भूख का अंत मिनटो मे हो जाये।

साक्षी महाराज भारत मे करोडों मुसलमान बसते है जो अपने खून पसीने की कमाई भारत सरकार को विभिन्न टैक्सो के रूप मे देते है तो सरकारी खजाने पर हमारा अधिकारी नहीं है कि हमारे देश के मदरसो पर कुछ राशि खर्च हो सके ये भी आपको खलने लगा है हालांकि मदरसे अधिकतर मुसलमानो की जकात फंड से चलते हैेेे। साक्षी महाराज आतंकवाद का कोई धर्म नही होता और आतंकवादी धार्मिक नहीं हो सकता अपने ज्ञान के चक्षुओ को खोलकर जबान को तकलीफ दीजिये तभी आपके पद की गरिमा सुरक्षिम रह सकेगी ।
धन्यवाद सहित

अ०वाहिद खान
सचिव
सुमैया वेलफेयर  सोसायटी सिवनी
*Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his  own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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