*समर्थ एवं सशक्त जन लोकपाल के कार्यकलाप संबंधी कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव

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**गोपाल परसाद

सरकारी मशीनरी सरकारी धन के दुरुपयोग रोकने में सक्षम नहीं है , इसलिए जन लोकपाल   के माध्यम से सरकारी धन के दुरुपयोग रोकने के उपाय किए जांय और इस हेतु एक मॉनीटरिंग प्रणाली विकसित करे . हर व्यक्ति जो सरकार से वेतन पाता है , की जिम्मेदारी तय हो . आय से अधिक संपत्ति पाए जाने पर उसके विरुद्ध समयसीमा के अंतर्गत कानूनी कारवाई की जाए और उस संपत्ति को सरकारी संपत्ति घोषित की जाए. इस सम्बन्ध में बिहार सरकार के मॉडल को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए.

जन लोकपाल    द्वारा इंडियन सिविल सर्विस के सभी कैडरों (IAS /IPS /IRS /IFS आदि) पर विशेष निगरानी रखी जाए. इनसे सम्बंधित शिकायतों की अबिलम्ब जाँच की जाए तथा उस पर त्वरित करवाई हो , साथ ही जाँच होने तक उन अधिकारीयों को संवेदनशील पदों से मुक्त किया जाना चाहिए. ये जनता के सेवक हैं न की देश को लूटने के लिए नियुक्त किए गए हैं.

सभी राजनैतिक घराने /वंश, जिनके पास आजादी के बाद अकूत संपत्ति आई है और वास्तव में जो देश का पैसा है , उसे सरकारी खजाने में लाया जाए तथा उसका उपयोग देश के बुनियादी आवश्यकताओं/ समस्याओं, आधारभूत संरचनाओं एवं सुविधाओं के विकास पर खर्च हो , जैसे -मधु कोड़ा, लालू यादव, रामविलास पासवान, जयललिता, मायावती, मुलायम सिंह यादव , अमर सिंह, प्रकाश सिंह बादल, चौटाला परिवार, करूणानिधि परिवार , देवगौड़ा/कुमारस्वामी परिवार ,कर्णाटक के रेड्डी बंधु, आन्ध्र प्रदेश के जगन रेड्डी आदि. जन लोकपाल   के माध्यम से एक बड़े परिदृश्य में इस विन्दु पर जाँच की जाए एवं उस पर  कड़ी से कड़ी करवाई हो.

जन लोकपाल  द्वारा फेरा कानून के उल्लंघन करनेवाले, अवैध मनी लौन्डरिंग, हवाला एवं आतंकवादी गतिविधियों हेतु फंडिंग करनेवाले तत्वों उससे सम्बंधित पूरे नेटवर्क और उसके सरगनाओं को कानून के सीखचों में लाने की प्रक्रिया सुनिश्चित की जानी चाहिए . सरकारी ढिलाई एवं कानूनी खामियों का फायदा उठाकर ऐसे तत्व देश के नीव को खोखला करने में संलग्न हैं. दाउद अब्राहिम ,छोटा शकील , छोटा राजन  , हसन अली , हवाला केस में अभियुक्त जैन बंधु एवं हर्षद मेहता , चंद्रास्वामी जैसे बड़ी हस्तियों को शिकंजे में कसने की एकसूत्रित   कारवाई हो.

जन लोकपाल द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठानेवाले व्हिसल ब्लोअर एवं आरटीआई एक्टिविस्टों की हत्या होने पर शहीद का दर्जा दिया जाए एवं  उन्हें शहीदों को मिलनेवाली  सभी सुविधाएँ प्राप्त हो सके , जिससे देश के सजग प्रहरियों के परिवार को आर्थिक, सामाजिक सुरक्षा तथा सरकारी सहायता राशि के साथ- साथ सम्मान भी दिया जाना सुनिश्चित करने की योजना पर अमल करवाने की जिम्मेवारी हो.

जन लोकपाल    द्वारा प्रशासनिक सुधार हेतु जिम्मेदार विभाग (DOPT)के सभी विभागीय आदेश/ नीति/ नियमावली के समीक्षा की जिम्मेदारी भी हो ताकि मात्र सर्कुलर जरी कर निश्चिन्त हो जाने एवं उसपर पूर्णतः अमल नहीं होने की शिकायत दूर की जा सके. सीबीआई को आरटीआई एक्ट के दायरे से अलग करने संबंधी सर्कुलर (जो कैबिनेट में पास नहीं हुआ है और जिसका जिक्र सरकारी गजट में भी नहीं है ) को रोकना तथा आरटीआई एक्ट के धारा -4  (जो बर्ष 2006  तक में सभी विभागों में पालन  हो जाना था)का पालन अब तक सभी मंत्रालयों में लागू नहीं होने पर सरकार से प्रश्न पूछने एवं कारवाई करवाने की जिम्मेवारी भी हो.

जन लोकपाल द्वारा मॉनीटरिंग हेतु देश के सक्रिय आरटीआई एक्टिविस्टों की सहायता, सलाह/ सुझाव लेना अनिवार्य किया जाना चाहिए , क्योंकि एक सक्रिय आरटीआई कार्यकर्ता को किसी भी विभाग के विजिलेंस विभाग से ज्यादा और वास्तविक जानकारी होती है. अतः सभी मंत्रालयों के सलाहकार समिति में आरटीआई एक्टिविस्टों की सेवाएँ सुनिश्चित की जानी चाहिए.

देश की वैसी जाँच एजेंसियां , जो कानूनी रूप से तो स्वायत्त है परन्तु वास्तव में सत्ताधारी दलों के दिशानिर्देश के अनुसार कार्य कर रहे हैं , की मॉनीटरिंग रखें तथा सरकार को उनके जाँच में अनावश्यक हस्तक्षेप करने से मना करे. इसके सन्दर्भ में त्वरित एवं पारदर्शी प्रक्रिया अपनाया जाना अनिवार्य होना जन लोकपाल सुनिश्चित करे.

कैश फॉर  वोट मामले में अमर सिंह को मोहरा के रूप में इस्तेमाल करने वाले ताकतवर चेहरों को बेनकाब नहीं किया जा रहा है. बोफोर्स  कांड, जैन हवाला कांड , चारा घोटाला कांड जैसे अनेको कांडों में सीबीआई की असफलता के साथ -साथ उसके द्वारा अधिकाधिक मामलों में क्लोजर   रिपोर्ट लगाने से उसका नकारापन प्रतीत हो रहा है. सीबीआई एवं  अन्य जाँच एजेंसियों के प्रति आम जनों में विश्वसनीयता में कमी आईहै . इन महत्वपूर्ण विन्दुओं पर गंभीरता पूर्वक मंथन कर ठोस कार्य योजना का खाका जन लोकपाल द्वारा बनाया जाना चाहिए, ताकि घोटाले की रकम सरकारी खजाने में आ सके . आज तक कितने घोटालेबाजों को सजा मिली है और कितनों से रकम की वापसी हुई है , यह जानने और पूछने का पूरा अधिकार जन लोकपाल को हो.

सीबीआई  व अन्य जाँच एजेंसियों सहित आयकर व संपत्तिकर विभाग द्वारा सरकारी स्तर पर बदले की भावना से कारवाई की जा रही है. स्वामी रामदेव , आचार्य बालकृष्ण ,अन्ना हजारे, किरण बेदी, प्रशांत भूषण, अरविन्द केजरीवाल के मामलों से तो फिलहाल ऐसा ही प्रतीत होता है. यदि सरकारी तंत्र के नीयत में खोट नहीं था ,तो सरकार उतने दिन से क्यों सो रही थी?इन विभागों का सरकारी इस्तेमाल/ राजनैतिक इस्तेमाल होने से लोकतंत्र की चूलें हिल सकती हैं . जन लोकपाल को पुलिस , सीबीआई अथवा किसी भी जाँच एजेंसियों से अनसुलझे मामलों एवं केस को बंद किए जाने के मामलों में हस्तक्षेप का पूरा अधिकार प्राप्त हो क्योकि इसकी आड़ में एक बड़ा घोटाला किया जा रहा है ,जिससे पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं मिल पाता है.

**GOPAL PRASAD ( RTI Activist)

Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC

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