सच्चा धर्म शांति, सद्भाव सिखाता है ख़ून ख़राबा नहीं

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– तनवीर जाफ़री – 

भारतवर्ष केवल विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते ही नहीं जाना जाता बल्कि इसकी इससे भी बड़ी पहचान विभिन्नता में एकता की भी है। भारत जैसे विशाल देश में सदियों से विभिन्न धर्मों,जातियों तथा आस्था व विश्वास के मानने वाले लोग न केवल मिल-जुल कर रहते आ रहे हैं बल्कि एक-दूसरे के धार्मिक त्यौहारों,एक-दूसरे की परंपराओं,रीति-रिवाजों व दुःख-सुख के भी सहभागी रहे हैं। हमारा इतिहास हमें बताता है कि किस प्रकार शिवाजी तथा महाराणा प्रताप जैसे शासकों ने अपने मुस्लिम सेनापतियों पर भरोसा कर मुग़ल शासकों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी तो दूसरी ओर अकबर जैसे शासक ने मानसिंह जैसे योद्धा को अपना सेनापति बनाकर विश्वास व सौहार्द्र का परिचय दिया। इस देश में जहां मुग़ल शासकों व नवाबों ने मंदिरों के लिए अनेक ज़मीनें दीं व कोष स्थापित किए वहीं अनेक हिंदू राजाओं ने इमामबाड़े बनाए व ताज़ियादारी की। यह वह देश है जहां अनेक मुस्लिम कवि हिंदू देवी-देवताओं की प्रशंसा में भजन व दोहे लिखा करते थे। यह सिलसिला आज भी जारी है। परंतु लगता है हमारे देश की सत्तालोभी राजनीति ने इस भारतीय सौहार्द्र को कलंकित करने की ठान ली है। उ मीद तो यह की जाती है कि यदि जनता किसी प्रकार की अशांति फैलाए, समाज में धर्म या समुदाय के आधार पर वैमनस्य फैलाने की कोशिश करे,समाज में दंगे-फ़साद की स्थिति पैदा करे,समाज को बांटने की कोशिश करे तो सत्ता के ज़ि मेदार,शासन से जुड़े लोग, संविधान के रखवाले तथा धर्मगुरु व धर्मोपदेशक अपनी भरपूर कोशिश कर ऐसे लोगों के इरादों को नाकाम करेंगे और समाज में अमन-शांति व सद्भाव कायम रखने का भरपूर प्रयत्न करेंगे।
परंतु सत्तालोभी व सत्ता प्रधान राजनीति ने तो गोया धर्म व राजनीति की मान्यताओं व उसकी परिभाषा को ही बदल कर रख दिया है। शासक दल से जुड़े लोग ही दंगा-फ़साद फैलाने की कोशिशों में लगे दिखाई दे रहे हैं। उनके बयानों व उनकी गतिविधियों से साफ़ पता चल रहा है कि उनकी नीयत व मंशा क्या है? तो दूसरी ओर आम जनता की ओर से शांति व सद्भाव की अपीलें होती सुनी जा रही हैं। कितने शर्म की बात है कि जो काम शासक वर्ग व सत्ता से जुड़े लोगों को करना चाहिए वह काम साधारण जनता कर रही है जबकि सत्ता के चाहवान लोग समाज को धर्म के आधार पर बांट कर अपने राजनैतिक नफ़े-नुकसान के अनुसार अपने बयान दे रहे हैं तथा अपनी सभी गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। पिछले दिनों देश में रामनवमी का त्यौहार मनाया गया। रामनवमी प्रत्येक वर्ष लगभग पूरे देश में पूरी श्रद्धा व उल्लास के साथ शांतिपूर्ण तरीके से मनाई जाती है। परंतु दुर्भाग्यवश इस बार की रामनवमी बिहार व पश्चिम बंगाल सहित कई अन्य राज्यों में हिंसा व ख़ून-ख़राबे के बीच संपन्न हुई। देश के कई ज़िलों में सांप्रदायिक दंगे हुए और बेगुनाह,ग़रीब लोगों की जान व माल को कई जगह नुकसान पहुंचा।
ऐसा ही एक दुर्भाग्यपूर्ण शहर पश्चिम बंगाल का आसनसोल भी था। यहां भी कई लोग दंगों की भेंट चढ़ गए। इनमें आसनसोल की एक मस्जिद के इमाम मौलाना इमादादुल रशीदी का 16 वर्षीय पुत्र सिब्तुल्ला रशीदी भी था। इमाम के पुत्र की हत्या के बाद उसकी मौत का बदला लेने के उद्देश्य से हज़ारों की भीड़ मस्जिद के बाहर मैदान में जमा हुई जो इमाम के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त कर रही थी। परंतु इमाम रशीदी ने बड़े ही हैरतअंगेज़ तरीके से उस भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि वह नहीं चाहते कि शहर में और हिंसा फैले और कोई और बाप अपना बेटा खोए। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि यदि समाज के किसी सदस्य ने बदले की बात की तो वे मस्जिद और शहर छोड़कर चले जाएंगे। इमाम की इस अपील की ज़िला प्रशासन सहित पूरे देश में प्रशंसा की गई। उनकी इस अपील के बाद आसनसोल में शांति का माहौल भी स्थापित होने लगा। इसी प्रकार की एक घटना इसी वर्ष फ़रवरी में उस समय हुई थी जब अंकित सक्सेना नामक एक युवक को कुछ लोगों ने इसलिए मार डाला था क्योंकि वह मुस्लिम समुदाय की एक लड़की से प्यार करता था। अंकित के हत्यारे, लड़की के परिजन बताए जा रहे थे। जिस समय अंकित की हत्या की ख़बर फैली उसी समय दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष सांसद मनोज तिवारी अंकित के पिता से मिलने व अपनी सहानुभूति व्यक्त करने वहां जा पहुंचे। राजनैतिक स्तर पर इस बात की कोशिश की गई की मामले को सांप्रदायिक रंग देकर इसका राजनैतिक लाभ उठाया जाए। परंतु अंकित के पिता ने भी साफ़तौर पर यही कहा कि उनके बेटे की हत्या के मामले को सांप्रदायिक रंग न दिया जाए,उन्हें किसी धर्म से नफ़रत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यहां कुछ लोग हमसे बात करते हैं और इस घटना को मज़हब से जोड़कर दिखा रहे हैं। एक भाजपा विधायक ने ट्वीट भी किया कि अंकित को ऑनर किलिंग के नाम पर अल्पसं यक लोगों ने मार डाला है। परंतु अंकित के पिता व इमाम रशीदी जैसे लोगों ने सांप्रदायिक शक्तियों व वैमनस्य पूर्ण विचारों का साथ न देकर वास्तविक धर्म व मानवता का परिचाय दिया।
अब इसी संदर्भ में उत्तर प्रदेश के वर्तमान मु यमंत्री के बयानों पर भी ग़ौर फ़रमाईए जो वे मु यमंत्री की कुर्सी तक पहंुचने की ख़ातिर दिया करते थे और आख़िरकार वे अपने मकसद में कामयाब भी हुए। यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा कि सांप्रदायिकता की राजनीति के विशेषज्ञों ने योगी  की इस प्रकार की विभाजनकारी व हिंसा फैलाने वाली बातों को ही सकारात्मक रूप में देखा तथा उनके ऐसे बयानों में ही उनकी योग्यता नज़र आई। गोरखपुर में अपने समर्थकों की भीड़ को उकसाते हुए योगी जी ने कहा था कि यदि तुम (मुसलमान) हमारी (हिंदुओं की)एक बेटी को उठाकर ले जाओगे तो हम तु हारी सौ बेटियों को उठाकर लाएंगे। यदि तुम हमारे एक आदमी की हत्या करोगे तो हम तु हारे सौ लोगों की हत्या करेंगे। योगी के इस भाषण की विशेषता यह भी थी कि वह जनता द्वारा ही अपनी बात पूरी करवा कर उनमें जोश व उत्साह पैदा कर रहे थे। यही स्थिति पिछले दिनों भागलपुर में रामनवमी के जुलूस में उस समय पैदा हुई जब केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के पुत्र अरिजीत शाश्वत के नेतृत्व में हथियारबंद युवकों का एक बड़ा जुलूस लगभग पंद्रह किलोमीटर तक अल्पसं यक समुदाय के लोगों को ललकारता,उन्हें धमकाता तथा अपमानित करता हुआ घूमता रहा। इस जुलूस के बाद भागलपुर में हिंसा भड़क उठी। आख़िरकार प्रशासन ने उस मंत्री पुत्र के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की व उसे गिर तार कर जेल भेजा गया।
केवल योगी आदित्यनाथ या अरिजीत शाश्वत ही नहीं बल्कि इस समय पूरे देश में सैकड़ों मंत्री,सांसद,विधायक तथा ज़ि मेदार पदों पर पर बैठे लोग देश को धर्म व जाति के आधाार पर विभाजित करने की नापाक कोशिशों में सिर्फ़ इसलिए लगे हैं ताकि समाज के ध्रुवीकरण का लाभ उन्हें मतों के रूप में मिल सके तथा जनता के पैसों पर ऐश करने का उनका मकसद पूरा हो सके। तो दूसरी ओर इमाम रशीदी व सक्सेना जैसे शांतिप्रिय लोग जो इन सत्तालोभी राजनीतिज्ञों के इरादों को समझते हैं वे अपना लाख नुकसान हो जाने के बावजूद समाज को जोड़ने तथा धर्म के आधार पर बंटने से रोकने के लिए प्रयासरत हैं। निश्चित रूप से इनकी अपील से यही साबित होता है कि सच्चा धर्म शांति-सद्भाव सिखाता है ख़ून-खराबा नहीं।

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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