संजय कुमार गिरि की कविता

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जीवन एक संघर्ष हे ,
इन्सान हर मोड़ पर
गुमराह हो जाता हे
सफल वही होता हे
जो संगर्ष स्वीकारता हे .
जीने की राह के
रास्ते तो अनेक हें
किन्तु फिर भी ,
इन्सान जीने की राह
स्वंम ही अपनाता हे ,
जीना भी एक कला हे
यह शायद कम लोग
ही जानते हें ,किन्तु !
फिर भी ,कुछ लोग
जीवन को खेल समझतें हें.
और मौत को गले लगते हें.
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संजय कुमार गिरि

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