संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के परिणाम निरस्त किये जाये : अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच

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admin-ajaxआई एन वी सी ,
दिल्ली ,
अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच द्वारा हिन्दू महा सभा भवन में आयोजित हिन्दी संगठनों की बैठक में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में अंग्रेजी के अनिवार्य 10 वीं स्तर के प्रश्न पत्र और अंग्रेजी के 22.5 अंक के प्रष्न पत्र को 18 जनवरी 1968 के संसदीय संकल्प के विरुद्ध बताया।

मंच के अध्यक्ष श्री चन्द्र प्रकाश कौशिक ने गृहमंत्री महोदय और कार्मिक एवम् लोक शिकायत मंत्रालय को ज्ञापन देकर उनका ध्यान 18 जनवरी 1968 के संसदीय संकल्प की ओर दिलाते हुए कहा कि उक्त संकल्प के अनुच्छेद 4-क से स्पष्ट है कि संघ सेवाओं व पदों की भरती के लिये परीक्षार्थियों से हिन्दी अथवा अंग्रेजी में से किसी भी एक का ज्ञान अनिवार्यतःअपेक्षित होगा, दोनो का नही। केवल कुछेक विशेष पदों की भरती के लिये जिनके कार्य के संतोष जनक निष्पादन के लिये उच्च स्तरीय हिन्दी अथवा उच्च स्तरीय अंग्रेजी अथवा दोनो का उच्च स्तरीय ज्ञान अपेक्षित होगा।साफ सी बात है कि यह संकल्प हिन्दी माध्यम के छात्रों से अंग्रेजी के सामान्य स्तर के ज्ञान के विस्द्ध है।

हिन्दी संगठनों की बैठक में अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच के महामत्री श्री मुकेश जैन ने कहा कि 10 वीं स्तर के अंग्रेजी के सामान्य ज्ञान की अर्हता परीक्षा लेने और अंग्रेजी के 22.5 अंक के प्रष्न पत्र का नियम बनाने वाले अधिकारियों ने न केवल संसदीय संकल्प के विरूद्ध काम किया है बल्कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 351 हिन्दी का विकास करना संघ का कर्तव्य  होगा और अनुच्छेद 344 अंगेजी के स्थान पर हिन्दी को प्रतिष्ठापित करने का भी खुल्लम-खुल्ला विरोध किया है। निश्चय ही हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग की नयी परीक्षा प्रणाली बनाने वाले अधिकारियों नें भारतीय संविधान, संसद और संसदीय संकल्प के विरुद्ध काम किया है। श्री जैन ने राजाज्ञा का उल्लंघन करने वाले इन अधिकारियों के इस कदम को भारत सरकार के विरुद्ध राजद्रोह का मामला बताया।
अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच के उपाध्यक्ष स्वामी ओम जी  ने कहा कि इन अधिकारियों के भारत सरकार के विरुद्ध उठाये कदमों से हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली गयी प्रशासनिक परीक्षाओं में हिन्दी और भारतीय भाषाओं के उम्मीद्ववारों को नाम मात्र ही सफलता मिली हैॅ। जहां पहले हिन्दी व भारतीय भाषाओं के माध्यम के सफल उम्मीद्वार 50प्रतिशत होते थे वहां अब 90 प्रतिशत सफल उम्मीद्वार अंग्रेजी माध्यम के है। सोनिया गांधी की आतंकवादी मिश्निरी परस्त सरकार के उक्त आदेशों से हमारे पूर्व हुक्मरान अंग्रेजों के एजेन्ट मिश्निरियों द्वारा चलाये जा रहे अंग्रेजी मिश्नरी स्कूलों को फलने बढ़ने और कमायी करने का पूरा मौका मिला है। इससे निश्चय ही इन देश और हिन्दी के दुश्मन मिश्निरीं स्कूलों की कमाई भारत सरकार के विरुद्ध चलाये जा रहे नक्सली मिश्निरी आतंकवादियो के लिये नये-नये अस्त्र- शस्त्र खरीदने के लिये रुपयों  की बरसात करेगी।
मंच के उापाध्यक्ष श्री नेत्रमाल सूदन ने कहा कि प्रधान मंत्री जी और यू पी ए की अध्यक्षा और मानव संसाधन विकासमंत्री कपिल सिब्बल ने भी इस मामले में अपनी जम्मेदारी का सही ढंग से निर्वाह नही किया है।श्री सूदन ने उक्त परीक्षाओं के परिणामों को निरस्त करने की मांग भी सरकार से की।
अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच ने राजधानी के हिन्दी संगठनों के साथ मिलकर निर्णय लिया है कि इन परीक्षाओं के परिणामों को निरस्त करने की समुचित कार्यवाही न होने पर इस मामले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ले जाया जायेगा। इसी के साथ तन्त्र-मंत्र सम्राट स्वामी ओम जी के नेत्त्व में राजधानी दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायधीषों के सिर चढा अेग्रतजी का भूत भी मोर पख की झाडू मारकर उतारा जायेगा।

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