विश्व के सबसे ऊंचे रावण के पुतले को चौथा लिम्का रिकॉर्ड

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invc{ निर्मल रानी } दुनिया के कई देशों में $खासतौर पर भारतवर्ष में रावण के तरह-तरह के आकर्षक पुतले बनाए जाते हैं तथा विजयदशमी के दिन बुराई के प्रतीक स्वरूप बनने वाले इन पुतलों का दहन किया जाता है। रावण के यह पुतले देश-दुनिया व समाज में फैली तमाम कुरीतियों व बुराईयों का प्रतीक तो  समझे ही जाते हैं इसके अतिरिक्त रावण के इन पुतलों का निर्माण कराने वाली कमेटियां,क्लब अथवा इसके निर्माण में जुटे कारीगर इन पुतलों को तरह-तरह के रंग-रूप,साज-सज्जा से भी सुशोभित करते रहते हैं। भारतवर्ष में प्रत्येक वर्ष देश के अलग-अलग क्षेत्रों से ऊंचे से ऊंचे रावण के पुतले बनाए जाने के भी समाचार आते रहते हैं। परंतु रावण के पुतलों की ऊंचाई के क्षेत्र में अब तक देश के जिस क्लब अथवा संगठन ने पूरे विश्व में अपना नाम रोशन किया है तथा कीर्तिमानों की झड़ी लगाकर रख दी है वह है हरियाणा राज्य के अंबाला जि़ले का श्री रामलीला क्लब बराड़ा।  इस क्लब को अपने संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिंद्र सिंह चौहान के निर्देशन में 200 $फुट ऊंचे रावण के अत्यंत सुंदर एवं आकर्षक पुतले के निर्माण के लिए चौथी बार लिम्का रिकॉर्ड से नवाज़ा गया है। इस प्रकार अपनी ही कलाकृति को लेकर बार-बार अपना ही कीर्तिमान तोडक़र चार बार लगातार लिम्का रिकॉर्ड हासिल करने वाला श्री रामलीला क्लब बराड़ा देश का इकलौता क्लब बन गया है।
क्लब द्वारा सर्वप्रथम 2009 में 175 $फुट ऊंचे रावण के पुतले का निर्माण करने के पश्चात देश के सबसे ऊंचे पुतले बनाए जाने की चुनौती पूरे देश के रावण के पुतले का निर्माण करने वाले संगठनों को दी गई थी। और इस प्रकार देश का सर्वोच्च पुतला होने का दावा लिम्का बुक ऑ$फ रिकॉर्ड हेतु पेश किया गया। एक वर्ष की गहन छानबीन के बाद लिम्का रिकॉर्ड की ओर से क्लब को पहली बार अपने 2011 के लिम्का रिकॉर्ड प्रकाशन में सम्मानित स्थान दिया गया। और 2011 में पहला लिम्का रिकॉर्ड प्रमाण पत्र जारी किया गया। उसके पश्चात 185 $फुट के पुतले के निर्माण के लिए 2013 का लिम्का रिकॉर्ड प्रदान किया गया। इसी तरह 2012 में निर्मित 195 $फुट ऊंचे रावण के पुतले का उल्लेख 2014 की लिम्का Limca Book Of record Editor Vijaya Ghosh Presenting LBR2015 world record To Rana Tejinder Singh & Tanveer Jafriबुक ऑ$फ रिकॉर्ड में किया गया तथा तीसरे लिम्का कीर्तिमान प्रमाणपत्र से नवाज़ा गया। और अब क्लब को 2013 में निर्मित किए गए 200 $फुट ऊंचे रावण के पुतले के लिए पुन: चौथी बार लिम्का रिकॉर्ड दिया गया है।
श्री रामलीला क्लब बराड़ा महज़ रावण के विश्व के सर्वोच्च पुतले का ही निर्माण नहीं करता बल्कि यह क्लब देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र तथा सर्वधर्म संभाव के साथ-साथ सामाजिक सेवाओं तथा अन्य कई आयोजनों के लिए भी जाना जाता है। इस क्लब का गठन 1987 में क्लब के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिंद्र सिंह चौहान द्वारा किया गया था। चौहान ने 1987 में सर्वप्रथ्रम अपने हाथों से 20 $फुट ऊंचे रावण के पुतले का निर्माण किया था और विजयदशमी के दिन बुराई के इस 20 $फुट ऊंचे प्रतीक का दहन किया था। उस समय तक बराड़ा $कस्बे व उसके आसपास दशहरा का कोई भी आयोजन नहीं हुआ करता था। तेजिंद्र चौहान द्वारा 1987 में की गई इस शुरुआत ने आज न केवल बराड़ा $कस्बे को बल्कि जि़ला अंबाला तथा हरियाणा राज्य को रावण के इस पुतले की ही बदौलत प्रसिद्धि के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा दिया है। अपने 27 वर्ष पूर्व के गठन से लेकर अब तक क्लब द्वारा चौहान के निर्देशन में रावण का यह पुतला न केवल प्रत्येक वर्ष अपनी लंबाई बढ़ाता गया बल्कि इसकी साज-सज्जा,सुंदरता व चित्रकारी में भी चार चांद लगते गए। समय बीतने के साथ-साथ बढ़ती मंहगाई की मार भी इस विशाल पुतले पर पड़ती गई। यही वजह है कि गत् वर्ष बनाया गया 200 $फुट ऊंचा रावण का पुतला लगभग 20 लाख रुपये में तैयार हो सका। श्री रामलीला क्लब को दिए गए चौथे लिम्का कीर्तिमान प्रमाण पत्र में पांच दिवसीय बराड़ा महोत्सव का भी उल्लेख किया गया है। बराड़ा महोत्सव की शुरुआत मात्र तीन वर्ष पूर्व क्लब के 25 वर्ष पूरे होने के invc newsअवसर पर 2012 में की गई थी। इस बराड़ा महोत्सव को पांच दिनों तक आयोजित करने के पीछे मुख्य म$कसद यही था कि विश्व की सबसे ऊंची रावण के पुतले रूपी कलाकृति को दूर-दराज़ से आने वाले लोग अपने समय व सुविधा के अनुसार आकर देख सकें।  बराड़ा महोत्सव के आयोजन से पूर्व रावण का यह पुतला कभी-कभी तो विजयदशमी के दिन और कभी विजयदशमी से मात्र एक दिन पूर्व क्रेन द्वारा खड़ा किया जाता था। और कुछ ही घंटों के बाद विजयदशमी की संध्या पर इसे अग्रि की भेंट कर दिया जाता था। परंतु अब यह पुतला विजयदशमी से ठीक एक सप्ताह पूर्व खड़ा कर दिया जाता है और विजयदशमी की संध्या तक यानी पूरे पांच दिवसीय बराड़ा महोत्सव के दौरान इस विशालकाय पुतले का दर्शन करने वालों का तांता लगा रहता है। स्कूल के बच्चे भी अंबाला व आसपास के क्षेत्रों से यहां तक कि उत्तर प्रदेश,हिमाचल प्रदेश,पंजाब व दिल्ली जैसे पड़ोसी राज्यों से इस विशाल पुतले को निहारने हेतु तथा इस पुतले के साथ खड़े होकर अपनी $फोटो उतरवाने के लिए आते रहते हैं।
बराड़ा महोत्सव के इस आयोजन में अब तक हास्य कवि सम्मेलन,जादू,संगीत, $कव्वाली,पंजाबी व सू$फी संगीत जैसे कई आयोजन हो चुके हैं। इन आयोजनों में देश की चिरपरिचित श$िख्सयतें जैसे गुरदास मान,हंसराज हंस,शैरी मान,प्रीत हरपाल आदि अपना लाईव कन्सर्ट पेश कर चुके हैं तो देश के प्रसिद्ध जादूगार शंकर सम्राट अपने जादू के शानदार करतब दिखा चुके हैं। तस्लीम आरि$फ जैसे सुप्रसिद्ध $कव्वाल द्वारा बराड़ा महोत्सव में $कव्वाली के शानदार कार्यक्रम पेश किए जा चुके हैं। तो मगहर अली जैसे पंजाबी सू$फी संगीत के मशहूर कलाकार भी बराड़ा महोत्सव में सू$फी संगीत की छटा बिखेर चुके हैं। इसी प्रकार बराड़ा महोत्सव में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन में अशोक चक्रधर,सुरेंद्र शर्मा,अरूण जेमिनी,पापुलर मेरठी,संपत सरल, अशोक झंझटी, सूर्यकुमार पांडे तथा अलबेला खत्री जैसे कई राष्ट्रीय कवि शरीक हो चुके हैं।
इस क्लब की एक विशेषता यह भी है कि क्लब के संस्थापक अध्यक्ष व सूत्रधार जहां तेजिंद्र सिहं चौहान हैं वहीं इसके संयोजक सुप्रसिद्ध लेखक व स्तंभकार तनवीर जा$फरी हैं। क्लब की समस्त गतिविधियों में तथा इसे प्रसिद्धि व ऊंचाई के शिखर तक ले जाने में जा$फरी की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके अतिरिक्त आगरा से प्रत्येक वर्ष आने वाले कई मुस्लिम कारीगर भी तेजिंद्र चौहान के निर्देशन में तैयार होने वाले रावण के इस विशाल पुतले के निर्माण में शामिल होते हैं तथा अपने अथक परिश्रम से विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाली इस कलाकृति को तैयार करते हैं। तेजिंद्र चौहान के अनुसार दुनिया का सबसे ऊंचा रावण का यह पुतला समाज में फैली अनेक सामाजिक बुराईयों व कुरीतियों जैसे आतंकवाद,सांप्रदायिकता,जातिवाद, दहेज प्रथा, कन्या भ्रुण हत्या,अशिक्षा,मंहगाई,मिलावट$खोरी,रिवश्त$खोरी, भ्रष्टाचार,बेरोज़गारी,असमानता,अस्पृश्यता आदि का प्रतीक है। और समाज में निरंतर बढ़ती जा रही उपरोक्त बुराईयों के कारण ही बुराई के प्रतीक इस पुतले की लंबाई भी निरंतर बढ़ती गई। चौहान के अनुसार विजयदशमी के दिन विश्व के इस सबसे ऊंचे रावण के पुतले का दहन कर हमारा क्लब यही संदेश देता है कि बुराईयां अपना कितना ही विकराल रूप क्यों न धारण कर लें परंतु आ$िखरकार उन्हें इसी प्रकार से नष्ट हो जाना पड़ता है जिस प्रकार दुनिया का सबसे ऊंचा रावण का पुतला बराड़ा महोत्सव के आयोजन में विजयदशमी के दिन अग्रि की भेंट चढक़र बुराई पर अच्छाई की जीत का व्यापक संदेश देता है।

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nirmal raniनिर्मल रानी

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.

Nirmal Rani (Writer )
1622/11 Mahavir Nagar Ambala City
134002 Haryana phone-09729229728
*Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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