हरयाणा,,
कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र के इतिहास विभाग के रिफे्रशर कोर्स में व्याख्यान के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, अलीगढ़ विश्वविद्यालय, जम्मू विश्वविद्यालय तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विख्यात विद्वान आयेंगे। इस बारे में जानकारी देते हुए व्याख्यान के संयोजक प्रोफेसर अमरजीत सिंह ने बताया कि आज के प्रथम सत्र में जेएनयू के प्रोफेसर नजफ हैदर ने मध्यकालीन कृषकों के इतिहासलेखन व स्त्रोतों पर प्रकाश डाला। उनके द्वारा इरफान हबीब और डब्लयू एच मोरलैंड के इतिहास लेखन पर व्याख्यान दिया गया। उन्होंने बताया कि मोरलैंड के द्वारा कृषक इतिहास को उत्पादन प्रक्रिया का एक जरिया माना है और कृषि को सम्भवतः पर्यावरण व जनसंख्या दोनों ही प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने इनके पुस्तकों में वर्णित भू राजस्व नीति, आकलन व जमा व हासिल जैसे मुद्दों को भी आधार बनाया है। कृषकों और जमीदारों का क्या आपसी सम्बंध था और इनका क्या प्रभाव पड़ा। इन सबका अध्ययन किया गया।
व्याख्यान के अंत में प्रोफेसर हैदर ने मुगलकाल में उत्पन्न हुए जागीरदारी संकट एवं इसके स्वरूप पर प्रकाश डाला । दोपहर बाद के सत्र में रोहतक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जयवीर धनखड़ ने आधुनिक काल के किसान आन्दोलनों, कृषि पद्धति एवं कृषक सम्बंधों पर इतिहास लेखन करने के लिए विभिन्न तरह के ऐतिहासिक स्त्रोतों की जानकारी प्रतिभागियों को दी। इस सम्बंध में प्रोफेसर धनखड़ ने राष्ट्रीय स्तर के अभिलेखागारोें एवं पुस्तकालयों के साथ साथ हरियाणा में स्थित विभिन्न अभिलेखागारों एवं उनमें उपलब्ध शोध स्त्रोतों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंनें ये विशेष बात बताई कि ब्रिटिश काल से लेकर अब तक यह श्रृंखलाबद्ध मिलते हैं। उन्होंने बताया कि इस कोर्स में हरियाणा के कालेजों के अतिरिक्त गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, बिहार एवं छत्तीसगढ़ इत्यादि प्रदेशों के प्रतिभागी भी हिस्सा ले रहे हैं।