विद्यार्थियों को समयानुरूप ज्ञान संपन्न करें : कालीचरण सराफ

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कालीचरण सराफ invc newsआई एन वी सी न्यूज़
जयपुर,
उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने महाविद्यालय प्राचार्यों को उच्च शिक्षा में राजस्थान को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिए जाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि वैश्विकरण के इस दौर में अध्ययन-अध्यापन के तौर तरीकों में समयानुरूप सभी आवश्यक परिवर्तन लाते हुए विद्यार्थियों को ज्ञान संपन्न किए जाने की जरूरत है। उन्होंने महाविद्यालयों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती रक्तदान दिवस के रूप में मनाने के साथ ही माह का एक दिन स्वच्छता के लिए निर्धारित कर किसी सार्वजनिक स्थान पर श्रमदान करने, महाविद्यालय परिसर में पौधारोपण पर विशेष ध्यान देने, बुक बैंक की स्थापना करने तथा विद्यार्थियों में संस्कार निर्माण के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं में सद्वाक्य लेखन को भी व्यवहार में क्रियान्वित किए जाने पर जोर दिया है।
श्री सराफ सोमवार को यहां इन्दिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में महाविद्यालय प्राचार्य सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि  संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है। उन्होंने प्राचार्यों को महाविद्यालय में अध्ययन-अध्यापन को प्राथमिकता में रखते हुए कार्य करने, शिक्षकों को कक्षा में जाकर सही ढंग से पढ़ाने और इस तरह के शैक्षिक माहौल बनाए जाने पर जोर दिया है जिससे उच्च शिक्षा का विकास हो।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा में योग्य प्राध्यापकों का चयन राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। योग्य अभ्यर्थियों का चयन सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने नियमों को परिवर्तित करते हुए लिखित परीक्षा का 88 प्रतिशत एवं साक्षात्कार का 12 प्रतिशत अंक निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं व्यक्तिगत इस बात के लिए प्रयासरत हैं कि प्रदेश के दूरदराज के महाविद्यालयों में भी पर्याप्त शिक्षक हों। इसी संबंध में राजस्थान लोक सेवा आयेाग को 248 रिक्त पदों की भर्ती के लिए अभ्यर्थना भी राज्य सरकार ने भिजवाई है। सरकार गैर शैक्षिक पदों पर भर्ती के लिए भी शीघ्र ही कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि महाविद्यालयों में मानवीय एवं भौतिक संशोधनों की किसी स्तर पर कमी नहीं रहने दी जाएगी।
श्री सराफ ने छात्रसंघ चुनावों के अंतर्गत लिंगदोह कमेटी के सुझावों पर अमल करते हुए कार्य किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि छात्रसंघ चुनाव भयमुक्त वातावरण में निर्विघ्न संपन्न हो इसके लिए प्रभावी तैयारियां करें। महाविद्यालय प्राचार्य संबंधित जिला कलक्टर से मिलकर चुनावों में अराजकता नहीं हो, इसे सुनिश्चित करावें।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा में सुधार के लिए महत्ती प्रयास किए हैं। इसके अंतर्गत ही महाविद्यालयों में रिक्त पदों पर भर्ती के साथ ही बायोमैट्रिक से उपस्थित सुनिश्चित की गई है वहीं छात्र हित में
प्रवेश सीटों में भी वृद्घि की गई है। रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों की शुरूआत करने के साथ ही महाविद्यालयों को वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाए जाने के लिए सरकार प्रयासरत है। उन्होंने प्राचार्यों को उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए प्रतिबद्घ होकर कार्य करने का आह्वान किया।
सम्मेलन में प्रमुख शासन सचिव श्री पी.के. गोयल ने देश में उच्च शिक्षा की स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि अभी भी बहुत से दूसरे देशों से उच्च शिक्षा में हम पिछड़े हुए हैं। इस संबंध में जरूरत इस बात की है कि महाविद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था ही बेहतर नहीं हो बल्कि वहां अच्छा माहौल बने इस पर भी प्राचार्य ध्यान दें। उन्होंने महाविद्यालयों में अनुशासन, नैतिकता की शिक्षा पर जोर दिए जाने के साथ ही प्राचार्यों को स्थानीय प्रशासन से सहयोग लेने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व अन्य संस्थाओं से परियोजनाओं को स्वीकृत कराकर उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार किए जाने पर जोर दिया।
इससे पहले डॉ. आर.एस. विजयवर्गीय ने सम्मेलन के विभिन्न सत्रों के बारे में जानकारी दी। सम्मेलन प्रतिवेदन डॉ. बेनीराम वर्मा एवं श्री मुकेश शर्मा ने रखा। महाविद्यालयों में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति, राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान पर डॉ. विजयवर्गीय, डॉ. हेमन्त पारीक एवं डॉ. अलका कुमार ने विचार रखे। द्वितीय तकनीकी सत्र में डॉ. दीपक शर्मा ने छात्र संघ चुनावों, एनएसएस, एनसीसी एवं युवा विकास केन्द्रों के बारे में जानकारी दी। विभिन्न अन्य सत्रों में डॉ. ज्योत्सना भारद्वाज, डॉ. विनय शर्मा, डॉ. उमा प्रधान, डॉ. कीर्ति शेखावत, डॉ. सुभाषगुप्ता, डॉ. अल्पना व्यास, डॉ. अनिला जैन, डॉ. शिव प्रकाश शर्मा एवं डॉ. उर्मिल तलवार आदि वक्ताओं ने विचार रखे।

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