वर्तमान दौर में शरीया क़ानून की प्रासंगिकता?

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-तनवीर जाफ़री-

                                                           अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर गत 15 अगस्त को क्रूर तालिबानों के बलात क़ब्ज़े के बाद उनके द्वारा एक बार फिर यह घोषणा की गयी है कि अफ़ग़ानिस्तान में शरीया क़ानून लागू किया जायेगा। इस्लामी शरीयत (क़ायदे/क़ानूनों ) की नीतियों के अनुसार चलने वाली व्यवस्था को आम तौर पर शरीया या शरीया क़ानून कहा जाता है। दूसरे शब्दों में शरिया क़ानून इस्लाम की उस क़ानूनी व्यवस्था का नाम है जिसे इस्लाम की सबसे प्रमुख व  पवित्र पुस्तक क़ुरआन शरीफ़ व इस्लामी विद्वानों के फ़तवों, उनके निर्णयों या इन सभी को संयुक्त रूप से मिलाकर तैयार किया गया है। इस समय दुनिया के जिन मुस्लिम बाहुल्य देशों में शरीया क़ानून पूर्ण अथवा आंशिक रूप से प्रभावी हैं उनमें ईरान,पाकिस्तान,मिस्र (इजिप्ट ),इंडोनेशिया,इराक़ ,सऊदी अरब,यूनाइटेड अरब  एमिरेट्स,क़तर,मलेशिया,यमन, मालडीव्ज़,मॉरिटेनिया,नाइजीरिया तथा अफ़ग़ानिस्तान जैसे देश शामिल हैं। कुछ अन्य देशों में शरीया क़ानून लागू करने की मांग हो रही है जबकि सूडान जैसे अफ़्रीक़ी देश जहाँ गत तीस वर्षों तक इस्लामी शासन था उसने शरीया क़ानून को समाप्त कर दिया है तथा पुनः लोकतान्त्रिक देश के रूप में स्थापित होने के लिए प्रयासरत है। जबकि पहले सूडान में इस्लामिक शरीया क़ानून के तहत इस्लाम को त्यागने पर मौत की सजा भी हो सकती थी। हालाँकि उदारवादी मुस्लिम चिंतकों का एक वर्ग यह मानता है कि धर्मत्याग के लिए दंड दिया जाना अल्लाह पर ही छोड़ देना चाहिए। क्योंकि धर्म त्याग से इस्लाम को कोई ख़तरा नहीं है। क़ुरआनी आयत ‘लकुम दीनकुम वाले दीन ‘ जहाँ ‘हमें हमारा दीन मुबारक तुम्हें तुम्हारा दीन मुबारक’ का सन्देश देकर  प्रत्येक धर्मों के सम्मान का सन्देश देता है वहीं क़ुरआन ही स्वयं यह घोषणा भी करता है कि धर्म में “कोई बाध्यता नहीं” होती। ऐसे में तालिबानी शरीया क़ानून और तालिबानी लड़ाकों की रक्तरंजित कार्रवाइयां,उनके ज़ुल्म व बर्बरता,उनकी दक़ियानूसी ग़ैर इन्सानी सोच,अफ़ग़ानी राष्ट्रवाद की आड़ में शरीया क़ानून के नाम पर उनके द्वारा फैलायी जा रही हिंसा व अराजकता,निहत्थे लोगों को क़त्ल करना,महिलाओं को तीसरे दर्जे का प्राणी समझ उनपर ज़ुल्म ढाना,शिक्षा और विकास और आधुनिकता का विरोध करना क्या यही शरिया क़ानून की परिभाषा है? या तालिबान शरीया के नाम पर कट्टर मुल्लाओं द्वारा निर्मित अपना पूर्वाग्रही क़ानून अफ़ग़ानिस्तान पर थोपना चाह रहा है ?

                                                       केवल इस्लाम ही नहीं बल्कि अन्य कई धर्मों के रूढ़िवादी लोग भी पश्चिमी संस्कृति व सभ्यता का विरोध करते दिखाई देते हैं। इनका विरोध ख़ास तौर पर पश्चिमी लिबास और भाषा को लेकर होता है। यह शक्तियां पश्चिमी खुलेपन को पसंद नहीं करतीं। परन्तु यह भी सच है कि आज पश्चिमी देशों की तरक़्क़ी का रहस्य भी इनका वही खुलापन, वही लिबास व भाषा है जिसका सदुपयोग पूरी दुनिया कर रही है। स्वयं पश्चिमी संस्कृति व सभ्यता का विरोध करने वाले रूढ़िवादी लोग भी। जबकि इसी तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि दुनिया के जो भी देश जितने ही धार्मिक रूढ़िवादिता के शिकार हैं वे उतना ही अधिक पीछे भी हैं। उदाहरण के तौर पर शरीया के अनुसार सूद-ब्याज़ आधारित व्यवसाय ग़ैर शरई है। जनवरी 2018 में भारत के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम,देवबंद ने अपने एक फ़तवे में बैंक की नौकरी से रोज़ी रोटी चलाने वाले घरों से शादी का रिश्ता जोड़ने से परहेज़ करने का निर्देश दिया था। क्योंकि वह उस संस्थान में काम करके अपनी रोज़ी कमाता है जो सूद-ब्याज़ के धंधे में शामिल है। यह तो है शरिया का मंतव्य। शरीया निर्देश संबंधी इसी एक विषय पर विरोधाभास पैदा करने वाला सबसे बड़ा उदाहरण देखिये। जिस समय भारत को ग़ुलामी की ज़ंजीरों से मुक्त कराने के लिये स्वदेशी आंदोलन चलाया गया उस समय देश ने अपने स्वदेशी बैंक की ज़रुरत भी महसूस की। उस समय प्रखर राष्ट्रवादी  हाजी अब्दुल्लाह क़ासिम साहब बहादुर ने 12 मार्च 1906 को कारपोरेशन बैंक की बुनियाद रखी। जैसा कि नाम  से ही स्पष्ट है की हाजी अब्दुल्लाह क़ासिम साहब,  हाजी भी थे और उनके व्यवसाय से ज़ाहिर है कि वे पूर्ण रूप से शिक्षित भी थे। दुनिया में जहाँ भी कॉरपोरेशन बैंक की शाखायें हैं हर जगह कारपोरेशन बैंक कर्मचारी  बैंक के संस्थापक हाजी अब्दुल्लाह क़ासिम साहब बहादुर के चित्र पर माल्यार्पण करते हैं तथा उनके समक्ष पूरी श्रद्धा से नत मस्तक भी होते हैं। इस उपरोक्त पूरे प्रकरण में शरीया  सही है या हाजी अब्दुल्लाह क़ासिम साहब बहादुर द्वारा बैंक की स्थापना किया जाना ? दुनिया में मुस्लिमों द्वारा और भी अनेक बैंक स्थापित किये गए हैं। क्या आज अफ़ग़ानिस्तान या कोई भी शरीया का पाबंद देश अपनी शर्तों पर वर्ल्ड बैंक अथवा आई एम एफ़ के साथ लेनदेन कर सकता है ?आज शरीया के न जाने कितने स्वयंभू पैरोकारों ख़ास कर तेल उत्पादक देशों के अमीरों के पैसे पश्चिमी देशों  के अनेक बैंकों में पड़े हैं  और वे उनके ब्याज़ के पैसों से ऐश फ़रमा रहे हैं।

                                                      अफ़ग़ानी तालिबानों का स्वगढ़ित शरीया क़ानून वैसे भी कई तरह से ग़ैर शरई व ग़ैर इस्लामी ही नहीं बल्कि ग़ैर इन्सानी (अमानवीय ) भी है। क्योंकि इसमें वह असहिष्णुता व बर्बरता है जिसकी शरीया या इस्लाम में कोई गुंजाईश ही नहीं है। महिलाओं पर ज़ुल्म ढहाना,स्कूलों को ध्वस्त करना,उनमें आग लगाना,छोटी मासूम बच्चियों व बच्चों को क़त्ल करना,बेगुनाह लोगों की हत्याएं करना, देश की संपत्ति को नुक़सान पहुँचाना,अफ़ीम के कारोबार में शामिल रहना,शिक्षा से दूरी रखना और जाहिलों व जहालत को गले लगाना,दूसरे धर्म व समुदाय के लोगों की हत्याएं करना व उनके धर्मस्थलों को क्षतिग्रस्त करना, धार्मिक व सामाजिक आज़ादी ख़त्म करना आदि सब तालिबानी शरीया के उदाहरण हैं। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल  के हवाले से प्राप्त समाचारों के मुताबिक़ तालिबान ने ग़ज़नी प्रांत में हज़ारा समुदाय के लोगों का बड़ी संख्या में क़त्ल किया है। ग़ज़नी प्रांत में हुई ये घटना मालिस्तान में 4 से 6 जुलाई के मध्य हुई जिसमें  दर्जनों हज़ारा/शिया पुरुषों की हत्या कर दी गयी। अपने राजनैतिक व वैचारिक विरोधियों के घरों की तलाशी लेकर उनके परिवार के लोगों को मारा जा रहा है। गत  सप्ताह में ही अब तक कई विदेशी नागरिक,तालिबानों के हाथों मारे जा चुके हैं। निःसंदेह ‘तालिबानी कारगुज़ारियां’ वर्तमान दौर में किसी भी  शांतिप्रिय प्रगतिशील व उदारवादी समाज को स्वीकार्य नहीं हैं। ऐसे में तालिबानों द्वारा थोपे जा रहे शरीया क़ानून कीवर्तमान दौर में कोई प्रासंगिकता नज़र नहीं आती।
 
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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social  activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

Contact – : Email – tjafri1@gmail.com –

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