वरिष्ठ पत्रकार व विश्लेषक आलोक कुमार का लालू जी के नाम एक खुला – पत्र ….

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Image 1666लालू जी … इस मण्डल – कमण्डल की राजनीति से अब तो ऊपर उठिए ….. अब तक तो आप और आप जैसे अन्य किसी ना किसी रूप में यही मण्डल की राजनीति करते आ रहे थे और इसका परिणाम भी आप भुगत रहे हैं , जनता ने आप लोगों को हाशिए पर डाल दिया है  ….. यहाँ तक की ‘कमण्डल वालों’ ने भी कमण्डल का त्याग कर अपनी राजनीति की दिशा बदली क्यूंकी ‘कमण्डल की राजनीति’ के दुष्परिणाम वो भुगत चुके थे और अपनी दिशा बदलने में ही उन्हें अपना भला नजर आया ….. मैं मानता हूँ कि समाज को तोड़ने वाली राजनीति के सहारे आप जैसे लोग कुछ हद तक तो समाज को तोड़ने में सफल अवश्य ही रहे लेकिन खुद पूरी तरह टूटने के बाद भी आप चेत नहीं रहे ये हैरान करने वाली बात है ….

लालू जी …..इसमें कोई शक नहीं कि व्यक्तिगत तौर पर दूसरों की तुलना में बिहार में आपको ज्यादा जन-समर्थन प्राप्त है लेकिन अधिसंख्य जनता अब ऐसे चोचलों से ऊब चुकी है और जनादेश के माध्यम से अपना मंतव्य भी जाहिर कर चुकी है …. बेहतर होता कि आप जनहित और जन-सरोकार के मुद्दों की राजनीति करते , जनता से जुड़ कर संवाद के माध्यम से ये जानने की कोशिश करते कि जनता क्या चाहती है ? लेकिन सच तो ये है कि आपका  जनता से कोई लेना-देना न तो था , न आज है और ना ही आपकी राजनीति से भविष्य के लिए भी ऐसे कोई लक्षण दिख रहे हैं …. आपको भी स्पष्ट जनमत और १५ सालों का पर्याप्त अवसर मिला था लेकिन आपने उसे ‘जाया’ ही किया , आपने तो सिर्फ अराजकता का ‘मंगल’ किया और आपके कार्यकाल में भी ‘मण्डल’ वाली जनता की स्थिति बद से बदतर ही हुई…. कम से कम भूत में घटित राजनीतिक – घटनाक्रमों से भी सबक लीजिए “ आपने देखा है कि इसी मण्डल की राजनीति के सबसे बड़े पुरोधा बनने की फिराक में पूर्व-प्रधानमंत्री स्व. विश्वनाथ प्रताप सिंह जी कैसे गुमनामी के अँधेरों में गुम हो गए”…..

लालू जी …..मेरा स्पष्ट मानना है कि मण्डल हो या कमण्डल विखंडन की राजनीति से सिर्फ तात्कालिक व अल्पकालिक लाभ ही हासिल किया जा सकता है , जो आप हासिल कर चुके और अब इसके सहारे भविष्य का ताना-बाना बुनना आपके राजनीतिक – जीवन के लिए आत्मघाती ही साबित होगा   …. ऐसी राजनीति करने वालों को स्वीकार्यता कभी नहीं मिलती और साथ ही वो जल्द ही इतिहास के पन्नों में गुम हो जाते हैं …. इसको समझने के लिए ज्यादा दूर तक नजर दौड़ाने की जरूरत नहीं है “ हाल ही में सम्पन्न लोकसभा – चुनावों में बिहार और पड़ोसी राज्य उत्तर-प्रदेश में आप का और आप जैसे अन्य क्षत्रपों का जनता ने क्या हश्र किया है ये किसी से छुपा नहीं है ”…..  ये तो सब जानते और कहते हैं कि बिहार और यूपी ही वो दो राज्य है जो देश की राजनीति की दशा और दिशा तय करते हैं और इसको ध्यान में रख कर अगर आप आत्म-विश्लेषण करेंगे तो मण्डल की बुनियाद पर खड़ी की जाने वाली राजनीति की इमारत के लिए दीवारों पर लिखी गई इबारत आपको स्पष्ट दिखाई देगी …..

शुभेच्छाओं और सद्बुद्धि प्राप्ति की कामनाओं के साथ

जय भारत, जय बिहार

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आलोक कुमारआलोक कुमार ,

(वरिष्ठ पत्रकार व विश्लेषक ) बिहार की राजधानी पटना के मूल निवासी। पटना विश्वविद्यालय से स्नातक (राजनीति-शास्त्र), दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नाकोत्तर (लोक-प्रशासन)l लेखन व पत्रकारिता में बीस वर्षों से अधिक का अनुभव। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सायबर मीडिया का वृहत अनुभव। वर्तमान में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के परामर्शदात्री व संपादकीय मंडल से सम्बद्ध

*Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his  own and do not necessarily reflect the views of INVC.

1 COMMENT

  1. aapka ye kahna ki “बिहार और यूपी ही वो दो राज्य है जो देश की राजनीति की दशा और दिशा तय करते हैं” . ab prasangik nahi hai..

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