वडोदरा से दिल्ली वाया वाराणसी

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{संजय कुमार आज़ाद**}
विश्व के महानतम लोकतंत्र भारत में अभी आम चुनाव का खुमार यहाँ के नागरिकों के सर चढ़ कर बोल रहा है.भारत सहित विश्व के मिडिया कयास पर कयास लगा रहें किन्तु भारत का परिपक्व मतदाता को अबतक नही थाह पा रहे क्योंकि वे अब अपने अधिकारों के प्रति संजीदा हो गये इसमें रंचमात्र भी संदेह नही रहा .कल तक जो मतदाता परिवार का पालकी ढ़ोने में अपनी खुश किस्मती समझता था आज वह मतदाता गर्व से अपनी विकास की बात को रखता है .भारत का यह चुनाव राष्ट्रवाद बनाम परिवारवाद पर लड़ा जा रहा है.१९४७ से आजतक सिसकती लोकतंत्र अपने खुशियाली बाले दिन की बाट जोह रहा है.

विश्व को अपनी मुट्ठी में रखने की चाहत में जीने वाला पूंजीपति अमेरिका से लेकर भारत में कुकुरमुत्ते की तरह उगे विदेशी पैसो पर विके सेकुलर ज़मातों और उसके मर्सिया पढने बाले मिडिया गिरोहों के आँखों की किरकिरी बने एक व्यक्ति को इन आसुरी शक्तिओं ने जैसे जैसे अपना निशाना बनाया वह व्यक्ति इन असुरी शक्तिओं का सतत संघार कर एक भारत श्रेष्ठ भारत के निर्माण में लगा रहा और वह सोने की भाँती तपकर और निखरता गया.इतिहास साक्षी है की भारत के स्वाभिमान को जितना विदेशी शक्तिओं ने आहात नही किया उससे ज्यादा भारत मां के कपूतों ने अपनी स्वार्थ लिप्सा में अंधे होकर किया है और बदस्तूर वह सिलसिला आज भी ज़ारी है .

भारत में दंगों की जननी कोंग्रेस रही है यहाँ तक की यह दल तो सत्ता के लिए देश को टुकड़े करने से भी बाज़ नहीं आया और यदि दंगों के मानदंड पर तौला जाय तो कांग्रेस के अधिकांश प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का हाथ इन दंगों की खून से रंगा है.अभी इस देश के नागरिक भूले नही होंगे जब कांग्रेस के एक प्रधानमन्त्री के शह पर हजारों सिख पंथ के अनुआइओ को कत्ल करवाया गया और उस व्यक्ति को भारत रत्न दिया गया था ?जिस गुजरात में २००२ के दंगे के बाद आज तक दंगा नही हुआ उसी गुजरात में २००२ से पूर्व का इतिहास पलटकर देखें तो गुजरात का इतिहास इस कांग्रेसी के कार्यकाल में दंगों से भरा पडा रहा है गुजरात के अनेक शहर छ-छ महीनो तक कर्फु में अपना भविष्य तलाशता रहता ? २००२ के दंगों में हर तरह की जांच हुई और सबने उस व्यक्ति को निर्दोष पाया किन्तु दंगों के जीवन जीने का आदि कांग्रसी और उसके तथाकथित लोकतांत्रिक गिरोह को भला गुजरात की शान्ति कैसे सहन होती.हर मंचो पर इस गिरोह का गुलाम दंगों का स्यापा कर वैचारिक दंगो में हमेशा जीने की कोशिश करता आया है .

२००२ से एक राज्य के निर्वाचित मुख्यमंत्री के प्रति अपनाया गया रवैया और किया जा रहा दुष्प्रचार उस राज्य के जनता के प्रति अक्षम्य अपराध और इस देश की न्याय व्यबस्था सहित संविधान की तौहीन है.किन्तु कांग्रेस और उसके गिरोह के लिए इस देश की संविधान के बजाय एक विदेशी परिवार की आज्ञा ही तो संविधान है.अभी हाल में संजय बारू और परक की जो पुस्तके बाज़ार में आई उससे भारत का सर शर्म से झुक गया ?

किस तरह से एक वेदेशी महिला के हाथों की कठपुतली इस देश का प्रधान मंत्री बना रहा और संविधानिक संस्थाओं को शने-शने खोखला बनाता गया. माँ-पुत्रों की जोड़ी ने इस देश के लोकतंत्र के साथ इस देश के संविधान के साथ घिनौना और अक्षम्य अपराध किया जिसका प्रगटीकरण  टू जी घोटाला से लेकर जीजा जी घोटाला के रूप में भारत को मिला .गजनी नादिरशाह मुगलों और अंग्रेजों की तरह देश को लुटने बाला यह परिवार लोकतंत्र के लिए नासूर है  और क्या इसके बाद भी हम ऐसे तत्वों को भारत की लोकतंत्र में समाहित करने का अक्षम्य पाप के भागीदार बनेंगे ? शाहबानो से लेकर तंदूर काण्ड के द्वारा कांग्रेस के मानसिकता को समझा जा सकता है?

२०१४ का लोकसभा चुनाव में भारत का भविष्य तय होगा की हम भारत की दुर्दशा चाहते हैं या भारत की संप्रभुता .एक अमेरिकी अखवार ने जो खुलासा गाँधी-नेहरु परिवार के दामाद प्रियंका पति बाड्रा जो महज़ १०वी पास है के बारे में किया वह अत्यंत चिंताजनक है क्या हम भारतबासी इतने निरीह और स्वाभिमान शून्य है जो इस तरह के भ्रष्ट भारत में जीने को मजबूर हैं ? आज भारत को जिस मुकाम में लाकर इन गिरोहों ने खडा किया वैसे में २०१४ का चुनाव अबतक के सभी चुनावों से अलग है.इस चुनाव में यमुना का जो रास्ता बताया वह भी अद्वितीय है साबरमती  से यमुना भाया गंगा से इस बार नव उत्थान की धार बहेगी .जिस तरह से आज साबरमती नदी जीवनदाई बनी उसी तरह गंगा माता का भी उद्धार होगा और यमुना नदी के तट पर सशक्त भारत और श्रेष्ठ भारत की नीव रखी जाएगी .

मां गंगा के पावन तट पर बसा वाराणसी जो भारत की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विश्व विख्यात रही और इस ख्याति को मुगलों ने जिस तरह से मटिया मेट करने का घृणित प्रयास किया उसका वीभत्स रूप भगवान् काशी विश्वनाथ के मंदिर का क्षरण कर उसपर बलात निर्मित कुख्यात मस्जिद है .भारत की सांस्कृतिक राजधानी भी अपने पुनर्निर्माण की बाट को जोह रहा था जिसकी स्पस्ट दृष्टि २४ अप्रेल १४ को वाराणसी की गलिओं में वहाँ के सड़कों पर वहाँ के छज्जे और बीथियो पर उमड़ा जनसैलाव था .किसी ने इस स्वत स्फूर्त ज़न्सैलाव को लहर कहा तो किसी ने सुनामी किन्तु वास्तव में यह ज़नसैलाव वाराणसी की तड़प थी जो सदीओ से दवी थी .

विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में शुमार श्री नरेंद्र मोदी के प्रति लोगो का उत्साह और प्रेम आज भारत में जिस राष्ट्रवाद की चेतना को जागृत किया है वह अभिनंदनीय है खासकर आत्महत्या कर रहे भारत के किसान और आतंकवाद की ओर अग्रसर हो रहे युवाओं के लिए तो आशा की जो किरण लेकर आये वह जीवनदायी है .आज देश का सत्ता मुद्दे तलाश रहा है की किन मुद्दे पर चुनाव लडूं मुद्दाविहीन देश का वर्तमान नेतृत्व व्यक्तिगत मुद्दों पर इस देश के नागरिकों से बोट की चाहत रखता है ?पंथ जाति भाषा क्षेत्र के नाम पर और अब तो स्त्री पुरुष के नाम पर बाटने बाली वर्तमान सरकार साठ साल तक सत्ता का सुख भोगकर जनता  को क्या दिया यह बताने लायक भी कुछ उसके पास नहीं है यह कैसी बिडम्बना है इस देश की .

आज भारत के आम लोगों ने जिस तरह से अपना विश्वास श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति दिखया है वह भारत के अच्छे दिन आने का शुभ संकेत है .आज असम में भारत के नियंत्रित और निर्देशित प्रधानमन्त्री श्री मनमोहन सिंह ने मीडिया के एक प्रश्न के ज़वाव में कहा की भारत में मोदी की लहर नही बल्कि मिडिया का फैलाया लहर है .और आज ही वाराणसी में श्री नरेन्द्र मोदी अपने नामांकन करने जब वहाँ पहुंचे तो भारत के इतिहास में पहली बार किसी नेता के नामांकन से पूर्व लगभग आठ लाख लोगों से अधिक ज़नसमुदाय ने स्वागत किया हो .भारत के जिस प्रधानमन्त्री ने आजतक लोकसभा का चुनाव नही लड़ा सदैव जिसने चाकरी-कृपा से राज्यसभा के द्वारा आजतक निर्देशों का पालन करते जिया हो उन्हें सोनिया लहर के सिवा कुछ दिख भी तो नही सकता है .

अब तक सात रेसकोर्स में १० जनपथ के …………ही चक्कर लगाता रहा है किन्तु १६ मई के बाद सात रेसकोर्स बास्तव में भारत के लोकतंत्र का परिचायक होगा जहां से सशक्त भारत स्वस्थ भारत एक भारत श्रेष्ठ भारत का नव निर्माण होगा अब इसमें कोई संदेह नहीं रहा है .भारत के भाग्य को बदलने को आतुर इस देश के भाग्य बिधाता ने जिस तरह से आज वाराणसी में अपना साहस और शौर्य को प्रदर्शित किया वह सशक्त लोकतंत्र का परिचायक है.

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sanjay-kumar-azad1**संजय कुमार आजाद
पता : शीतल अपार्टमेंट,

निवारणपुर रांची 834002
मो- 09431162589
(*लेखक स्वतंत्र लेखक व पत्रकार हैं)
*लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं ।

1 COMMENT

  1. बहुत सारे मुद्दों से सहमत नहीं , ये हिन्दू जागरण मंच का पञ्च मात्र है

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