लोकगीतों के सम्राट देशराज पटेरिया का निधन

0
34

छतरपुर। Deshraj Pateriya : बुंदेलखंड की शान बुंदेली लोकगीत गायक देशराज पटेरिया का शानिवार को सुबह 3 बजे दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। वे 67 वर्ष के थे। पटेरिया को बुंदेलखंड सहित लोक गायकी के क्षेत्र में लोकगीत सम्राट के रूप में जाना जाता है। उनके निधन से अंचल ने एक महान लोकगीत गायक खो दिया है। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार आज भेसासुर मुक्तिधाम में किया जाएगा।

बुंदेलखंड के लोकगीत सम्राट कहे जाने वाले पंडित देशराज पटेरिया का जन्म 25 जुलाई 1953 में छतरपुर जिले की तिंदनी गांव में हुआ था। चार भाइयों और दो बहनों में वह सबसे छोटे थे। हायर सेकेंडरी पास करने के बाद इन्होंने प्रयाग संगीत समिति से संगीत में प्रभाकर की डिग्री हासिल की। इसी बीच पंडित श्री पटेरिया की नौकरी स्वास्थ्य विभाग में लग गई थी। लेकिन इनका मन बुंदेली लोकगीत गाने में ज्यादा रहता था। इसी कारण वह दिन में नौकरी करते थे और रात में बुंदेली लोकगीतों में भाग लेते थे। वर्ष 1972 में उन्होंने मंचों से लोकगीत गाना शुरू कर दिया। लेकिन उनको असली पहचान वर्ष 1976 में छतरपुर आकाशवाणी ने दी। जब उनके लोकगीत आकाशवाणी से प्रसारित होने लगे, तो बुंदेलखंड में उनकी पहचान धीरे-धीरे बढ़ने लगी।

वर्ष 1980 आते-आते उनके लोकगीतों की कैसेट मार्केट में आ गए। जो बुंदेलखंड में फिल्मी गीतों की जगह बुंदेली गीत बजने लगे या कहें देशराज पटेरिया के लोकगीतों के जादू हर बुंदेलखंड वासी की जुबां दिखने लगा। इसके बाद उन्होंने बुंदेलखंड के आल्हा हरदौल ओरछा इतिहास के साथ-साथ रामायण से जुड़े हास्य, श्रृंगार संवाद से जुड़े संवाद के भी लोकगीत गाए हैं।बुंदेलखंड में आज उनके नाम सबसे ज्यादा लोकगीत गाने कार्यक्रम है। पंडित श्री पटेरिया अभी तक 10000 से ज्यादा लोक गीत गा चुके हैं। बुंदेली फोक के लिए चर्चित पंडित श्री पटेरिया फिल्मी गायक मुकेश को अपना आदर्श मानते थे। PLC.

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here